जल नेति क्रिया: स्वास्थ्य और आनंद की ओर एक कदम
सभी को हमारा मुस्कुराता हुआ नमस्कार! प्यारे दोस्तों, एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर कार्यक्रम में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। पिछली बार हमने नौली क्रिया पर चर्चा की थी। आज हम बात करेंगे जल नेति क्रिया के बारे में, जो ENT से संबंधित रोगों के लिए अत्यंत लाभकारी है।
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जल नेति क्रिया का परिचय
जल नेति क्रिया हमारे कान, नाक और गले पर गहरा प्रभाव डालती है। यह सिर दर्द, माइग्रेन, सर्दी और अस्थमा जैसी समस्याओं में लाभकारी है। इसके अतिरिक्त, यह हमारी आंखों की रोशनी बढ़ाने और ENT स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करती है।
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जल नेति के लिए आवश्यक सामग्री और तैयारी
- पानी का प्रकार:
- नमकीन और गुनगुना पानी इस्तेमाल करें।
- पानी में नमक की मात्रा हमारे आंसुओं या जैसे हम सब्जियों में डालते हैं उसकी तरह होनी चाहिए।
- नेति पॉट:
- जल नेति के लिए एक नेति पॉट आवश्यक है, जिसमें पानी डालकर नाक से प्रवाह किया जाता है।
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जल नेति क्रिया की प्रक्रिया
- तैयारी:
- सबसे पहले हथेली में थोड़ा सा पानी लें।
- नमकीन पानी का स्वाद चेक करें ताकि नमक की मात्रा न अधिक हो और न कम।
- क्रिया का आरंभ:
- नाक से पानी डालते समय मुंह से सांस लें और निकालें।
- पानी को दूसरी नासिका से बाहर निकालें।
- यह प्रक्रिया दोनों नासिकाओं से समान रूप से करें।
- सही मुद्रा और प्रवाह:
- गर्दन को हल्का सा टेढ़ा रखें।
- नेति पॉट की टोंटी को नाक में लगाकर धीरे-धीरे पानी डालें।
- अगर पानी तुरंत बाहर नहीं आता, तो घबराएं नहीं। नियमित अभ्यास से यह प्रक्रिया सहज हो जाएगी।
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जल नेति के बाद की योगिक क्रियाएं
जल नेति के बाद नाक में पानी रुकने से बचाने के लिए कुछ यौगिक क्रियाएं करें:
- झुककर सांस निकालना:
- कमर को हल्का झुकाएं और नाक से सांस को जोर से बाहर निकालें।
- कटी शक्ति विकासक क्रिया 5:
- पैरों को कंधों के बराबर दूरी पर रखें।
- श्वास लेते हुए हाथों को दाएं और बाएं घुमाएं।
- कटी शक्ति विकासक क्रिया 3:
- श्वास भरते हुए कमर को पीछे झुकाएं और छोड़ते हुए आगे झुककर सिर को घुटनों से छूने का प्रयास करें।
- सूर्य नमस्कार और शशांक आसन:
- इन योगासनों में श्वास बाहर निकालने पर ध्यान दें।
जल नेति के फायदे
- सिर दर्द, माइग्रेन और सर्दी-जुकाम में राहत।
- अस्थमा और आंखों की रोशनी बढ़ाने में सहायक।
- ENT (कान, नाक, गला) स्वास्थ्य में सुधार।
सावधानियां
- पानी गुनगुना और सही मात्रा में नमकीन हो।
- क्रिया के दौरान केवल मुंह से सांस लें।
- नासिकाओं में पानी न रुकने दें; अन्यथा, सिर दर्द, सर्दी या माइग्रेन हो सकता है।
- जल्दबाजी न करें और क्रिया को धैर्यपूर्वक करें।
इसी के साथ आप सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद। आप सभी का दिन शुभ रहे, मंगल में रहें और आनंदित रहे।
योगाचार्य ढाका राम
संस्थापक, योगा पीस संस्थान