Skip to main content
08-Sep-2025

महामंत्र हरि ॐ

योगाचार्य ढाकाराम

हरि ॐ का आध्यात्मिक अर्थ

हरि” का अर्थ है वह परम शक्ति जो सृष्टि का पालन करती है — भगवान विष्णु
” को प्रणव कहा गया है, जो सम्पूर्ण ब्रह्मांड का मूल स्वर है।
वेद और उपनिषद इसे सर्वोच्च ध्वनि मानते हैं — सृष्टि के आरंभ और अंत दोनों में इसका अस्तित्व है।

जब “हरि ॐ” का संयुक्त उच्चारण किया जाता है, तो यह मंत्र साधक को दिव्य ऊर्जा से जोड़कर ईश्वर के साथ प्रत्यक्ष संबंध स्थापित करता है।


अभ्यास की विधि

  1. बैठने की स्थिति
    • साधक को शांत मन से सुखासन में बैठना चाहिए।
    • रीढ़ को सीधा रखें, ताकि ऊर्जा का प्रवाह ऊपर की ओर सहज हो सके।
  2. “हरि” उच्चारण के समय
    • दोनों हाथों को साइड से फैलाते हुए ऊपर उठाएँ।
    • यह क्रिया ब्रह्मांडीय ऊर्जा को आमंत्रित करने का प्रतीक है।
    • इससे हृदय चक्र और आज्ञा चक्र सक्रिय होते हैं।
  3. “ॐ” उच्चारण के समय
    • होंठ मिलाने के साथ दोनों हथेलियाँ नमस्कार मुद्रा में आ जाएँ।
    • यह समर्पण और एकता का प्रतीक है।
    • इस समय सहस्रार चक्र सक्रिय होता है और दिव्य ऊर्जा अवतरित होती है।
  1. “म्” ध्वनि के साथ
    • शरीर को झुकाकर माथा भूमि पर स्पर्श कराएँ।
    • दोनों हाथ आगे खींचें, जिससे इड़ा और पिंगला नाड़ी संतुलित हों।
    • ध्यान रखें, कूल्हे ज़मीन से न उठें — अन्यथा मूलाधार चक्र का पृथ्वी से संपर्क टूट जाता है।

लाभ

  • मस्तिष्क शांत होता है, तंत्रिका तंत्र संतुलित रहता है।
  • हृदय गति सामान्य होती है, रक्तचाप नियंत्रित रहता है।
  • रीढ़ सीधी रहने से स्नायु तंत्र सक्रिय होता है।
  • मूलाधार, मणिपुर और सहस्रार चक्र जागृत होते हैं।
  • मानसिक तनाव, चिंता और डर कम होते हैं।
  • शरीर में सकारात्मक कंपन उत्पन्न होते हैं, जो आत्मा को गहराई से स्पर्श करते हैं।

आध्यात्मिक महत्त्व

“हरि ॐ” के अभ्यास से साधक धीरे-धीरे आत्मा की शुद्धता की ओर बढ़ता है।
उसकी चेतना सीमित अहं से निकलकर असीम ब्रह्मांड से जुड़ने लगती है।

  • योग में यह साधना शरीर और मन को संतुलित करती है।
  • भक्ति में यह ईश्वर से आत्मिक जुड़ाव कराती है।
  • ज्ञान में यह आत्मा को सत्य की ओर ले जाती है।

उपसंहार

हरि ॐ” केवल एक शब्द या ध्वनि नहीं, बल्कि एक गहन आध्यात्मिक और वैज्ञानिक प्रक्रिया है।
सही मुद्रा, भाव और समर्पण के साथ इसका अभ्यास शरीर, मन और आत्मा को पूर्ण रूप से जागृत करता है।

यह मंत्र साधक के भीतर छिपी दिव्यता को प्रकट करता है और ब्रह्मांड की अनंत ऊर्जा से जोड़ देता है।

आप सभी खुश रहें, मस्त रहें और आनंदित रहें।
धन्यवाद!

योगाचार्य ढाकाराम
संस्थापक, योगापीस संस्थान

Yogacharya Dhakaram
Yogacharya Dhakaram, a beacon of yogic wisdom and well-being, invites you to explore the transformative power of yoga, nurturing body, mind, and spirit. His compassionate approach and holistic teachings guide you on a journey towards health and inner peace.