01-Sep-2025
मुस्कान के साथ स्वास्थ्य की ओर – उत्थित पद्मासन का अभ्यास
योगाचार्य ढाकाराम

हरि ओम!
आप सभी को हमारा मुस्कुराता हुआ नमस्कार। कहते हैं – मुस्कुराहट के बिना कुछ नहीं, इसलिए आइए हमेशा मुस्कुराते रहें।
“एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर” कार्यक्रम में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।
आज का विषय: उत्थित पद्मासन (Uttit Padmasana)
‘उत्थित’ का अर्थ है – उठा हुआ, और ‘पद्मासन’ का अर्थ है – कमल की मुद्रा।
अतः उत्थित पद्मासन = उठा हुआ पद्मासन

अभ्यास विधि:
- पद्मासन में बैठना:
- दंडासन में बैठ जाएं।
- दाहिने पैर को मोड़ें और एड़ी को नाभि से सटाकर बाईं जांघ पर रखें।
- फिर बाएं पैर को मोड़कर उसकी एड़ी को दाईं जांघ पर रखें।
- हाथों की स्थिति:
- दोनों हथेलियाँ जमीन पर रखें – नितंबों के दोनों ओर।
- उत्थान प्रक्रिया:
- धीरे-धीरे शरीर को ऊपर उठाएं।
- कमर बिल्कुल सीधी रखें।
- नितंब और घुटने जमीन के समांतर हों।
- दोनों हाथ सीधे और कोहनियाँ बिना मुड़े रहें।
- दृष्टि सामने रखें।
- स्थिति बनाए रखें:
- 30 सेकंड से लेकर 1 मिनट तक इस अवस्था में रहें।
- शरीर को यथासंभव ऊपर उठाने का प्रयास करें।
- वापस आने की प्रक्रिया:
- धीरे-धीरे जिस क्रम में गए थे उसी तरह वापस आएं।
- आंखें बंद करें और शरीर में आए परिवर्तन का अवलोकन करें।

लाभ (Benefits):
- कंधे मजबूत बनते हैं।
- मेरुदंड (spine) को बल और लचीलापन मिलता है।
- पेट की मांसपेशियों में खिंचाव आकर पाचन तंत्र सुधरता है।
यदि पद्मासन न लगे तो क्या करें?
- सुखासन में भी यह आसन किया जा सकता है।
- जो पैरों को न उठा सकें, वे केवल नितंब उठाकर अभ्यास शुरू करें।
- अभ्यास के साथ कंधों में ताकत आएगी और धीरे-धीरे पूरा आसन संभव हो जाएगा।
सावधानियाँ (Precautions):
- गर्भवती महिलाएं यह आसन न करें।
- जिनका हाल ही में पेट का ऑपरेशन हुआ हो, वे भी न करें।
- जिनकी कलाई में दर्द हो, वे इस अभ्यास से बचें।

प्रिय मित्रों,
आप हमारे साथ नियमित अभ्यास करते रहें। अगर कोई आसन नहीं होता, तो अभ्यास करते रहें – धीरे-धीरे सब संभव होगा। घबराने की जरूरत नहीं है।
हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं – आप स्वस्थ, मस्त और आनंदित रहें।
आप सभी का हार्दिक आभार।
योगाचार्य ढाकाराम
संस्थापक – योगापीस संस्थान

Yogacharya Dhakaram
Yogacharya Dhakaram, a beacon of yogic wisdom and well-being, invites you to explore the transformative power of yoga, nurturing body, mind, and spirit. His compassionate approach and holistic teachings guide you on a journey towards health and inner peace.