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16-Jun-2025

स्वास्थ्य से आनंद की ओर: जल नेति क्रिया की महत्ता और सावधानियाँ

योगाचार्य ढाकाराम

नमस्कार प्यारे दोस्तों! एक बार फिर आपका स्वागत है हमारे ब्लॉग “एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर” में। पिछली पोस्ट में हमने नौली क्रिया के बारे में चर्चा की थी, और आज हम बात करेंगे जल नेति क्रिया के बारे में, जो आपके ENT (कान, नाक, गला) से संबंधित सभी समस्याओं को दूर करने में सहायक है।

जल नेति क्रिया: क्या है और कैसे करें?

जल नेति क्रिया मुख्य रूप से नाक, कान और गले पर प्रभाव डालती है। यह ENT समस्याओं, जैसे साइनस, माइग्रेन, सर्दी, और अस्थमा से राहत देने में कारगर मानी जाती है।

जल नेति में उपयोग किए जाने वाले जल का प्रकार:
क्रिया के लिए हल्का नमकीन और गुनगुने पानी का उपयोग किया जाता है। पानी न अधिक गर्म होना चाहिए, न ही ठंडा। नमक की मात्रा हमारे आंसुओं की नमक के समान होनी चाहिए, ताकि यह सुरक्षित और प्रभावी रहे।

नेति पॉट का उपयोग:
जल नेति करने के लिए सबसे पहले आपको एक नेति पॉट की आवश्यकता होगी। नेति पॉट के माध्यम से आप गुनगुना पानी नाक के एक छिद्र से डालते हैं और इसे दूसरे छिद्र से बाहर निकालते हैं। इस प्रक्रिया में मुंह से सांस लेते रहें और आराम से पानी को नासिका में जाने दें। धीरे-धीरे यह क्रिया आपके लिए आसान हो जाएगी, भले ही शुरू में कठिन लगे।

जल नेति क्रिया के बाद की योगिक क्रियाएं

जल नेति के बाद यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि नासिका में कोई पानी शेष न रहे। इसके लिए कुछ योगिक क्रियाएं करना जरूरी है, ताकि श्वास मार्ग पूरी तरह से साफ हो सके।

  1. श्वास को वेग से बाहर निकालना:
    हल्का सा कमर झुकाएं और नाक से तेजी से श्वास बाहर निकालें।
  2. कटी शक्ति विकासक क्रिया x 5:
    दोनों पैरों को कंधों के समान दूरी पर रखें। हाथों को सामने की ओर रखें और दाएं-बाएं शरीर को घुमाते हुए तेजी से श्वास लें और छोड़ें।
  3. कटि शक्ति विकासक क्रिया x 3:
    सम स्थिति में खड़े होकर श्वास भरते हुए शरीर को पीछे की ओर झुकाएं और श्वास छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें।
  4. सूर्य नमस्कार:
    श्वास छोड़ने पर अधिक ध्यान केंद्रित करें।
  5. शशांक आसन:
    श्वास को धीरे-धीरे निकालें और फिर वज्रासन में बैठकर ध्यान केंद्रित करें।

जल नेति के फायदे

  • साइनस, माइग्रेन और सर्दी: जल नेति क्रिया से साइनस, माइग्रेन, सर्दी और अस्थमा में राहत मिलती है।
  • आंखों की रोशनी: यह क्रिया आंखों की रोशनी बढ़ाने में भी सहायक है।
  • ENT की समस्याएं: यह कान, नाक, और गले के लिए अत्यधिक लाभकारी है।

सावधानियां

  • पानी का तापमान गुनगुना होना चाहिए, न ज्यादा गर्म न ज्यादा ठंडा।
  • पानी में नमक की मात्रा आंसुओं के नमक के बराबर होनी चाहिए।
  • क्रिया के दौरान नासिका से श्वास न लें, बल्कि मुंह से ही सांस लें और छोड़ें।
  • किसी भी प्रकार की जल्दबाजी से बचें और क्रिया को धैर्य से करें।
  • क्रिया दोनों नासिका छिद्रों से समान रूप से करें।
  • जल नेति के बाद योगिक क्रियाएं करना अनिवार्य है, ताकि नासिका में कोई पानी न रहे और सर दर्द, माइग्रेन या सर्दी का खतरा न हो।

आप सभी का दिन शुभ रहे, मंगल में रहें और आनंदित रहे। सुप्रीम पावर परमेश्वर की अनुकंपा आप पर सदैव बरसती रहे और योग के मार्ग पर चलें।

योगाचार्य ढाकाराम
संस्थापक, योगापीस संस्थान

Yogacharya Dhakaram
Yogacharya Dhakaram, a beacon of yogic wisdom and well-being, invites you to explore the transformative power of yoga, nurturing body, mind, and spirit. His compassionate approach and holistic teachings guide you on a journey towards health and inner peace.
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