घृत नेति क्रिया: लाभ और विधि


आप सभी को हमारा मुस्कुराता हुआ नमस्कार। ‘एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर’ कार्यक्रम में आप सभी का स्वागत है। पिछली बार हमने रबर नेति के बारे में सीखा था। आज हम घृत नेति क्रिया के लाभ और विधि पर चर्चा करेंगे।




जब हमने जल नेति क्रिया और सूत्र नेति क्रिया की थी, तब हमने जाना कि इससे नासिका में शुष्कता उत्पन्न होती है। इसलिए जल नेति और सूत्र नेति के बाद घृत नेति करना आवश्यक होता है। घृत नेति से हमारी नासिका में चिकनाहट बनी रहती है और इससे श्वसन तंत्र को कई लाभ होते हैं।
घृत नेति क्या है?
घृत का अर्थ होता है घी। इस क्रिया में हम गाय का घी या बादाम का तेल नासिका छिद्रों में डालते हैं।
- घी हमेशा देसी गाय का ही होना चाहिए।
- जिन्हें सिर दर्द या माइग्रेन रहता है, वे रात्रि में बादाम का तेल या घी नासिका छिद्रों में डालकर सो सकते हैं।
- इससे नासिका छिद्र खुलते हैं और शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा अधिक जाती है।


घृत नेति करने की विधि
- शवासन में लेट जाएं।
- गर्दन के नीचे तकिया या चादर को गोल करके रखें, जिससे नासिका छिद्र ऊपर की ओर हो जाए।
- नासिका छिद्र में 2 से 3 बूंद घी डालें।
- 2 बूंद घी नासिका के बाहर डालें, जिससे साइनस बिंदुओं की मालिश कर सकें।
- श्वास को थोड़ा तेजी से लें, ताकि घी का प्रवाह नासिका द्वार से गले तक हो सके।





- हल्के हाथों से नासिका के आसपास के साइनस क्षेत्र में मालिश करें:
- नासिका छिद्र के बाहरी साइनस बिंदु पर 10-15 बार मालिश करें।
- नासिका की हड्डी के दोनों ओर मालिश करें।
- आंखों के अंदरूनी किनारों पर मालिश करें।





- गालों की हड्डी पर स्थित साइनस क्षेत्र पर मालिश करें।
- भौहों के ऊपर हल्की मालिश करें।
- मालिश के बाद 2-3 मिनट विश्राम करें।
घृत नेति के लाभ
✅ नासिका छिद्रों को खोलने में सहायक।
✅ ENT (कान, नाक, गला) के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक।
✅ साइनस की समस्या में राहत देता है।
✅ आंखों की रोशनी बढ़ाने में सहायक।
आप सभी का धन्यवाद एवं आभार। आपका दिन मंगलमय हो!
योगाचार्य ढाका राम
संस्थापक, योगापीस संस्थान
