शीर्षासन (भाग 1) – आसनों का राजा
प्यारे मित्रों, आप सभी को हमारा मुस्कुराता हुआ नमस्कार।
“एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर” आर्टिकल सीरीज़ में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।
आज हम बात करेंगे शीर्षासन के बारे में।
शीर्षासन को आसनों का राजा कहा जाता है। यह संस्कृत के दो शब्दों — ‘शीर्ष’ (सिर) और ‘आसन’ (मुद्रा) — से मिलकर बना है। शीर्षासन सबसे अधिक लाभ देने वाला आसन माना गया है क्योंकि यह हमारे अंतःस्रावी प्रणाली (Endocrine System) को सक्रिय करता है।
शीर्षासन करते समय सावधानियाँ और तैयारी
यदि आपको शीर्षासन आता है, तो भी इसे किसी को दिखाने के लिए अचानक न करें।
यह एक साधना है जिसे पूरे मन और तैयारी के साथ करना चाहिए।
हमारे सिर की त्वचा पैरों की तुलना में अधिक संवेदनशील होती है, इसलिए सुरक्षा और स्थिरता का ध्यान रखना आवश्यक है।




शीर्षासन की विधि
- आवश्यक सामग्री:
एक कंबल या चटाई लें जिसकी लंबाई लगभग 2 फीट, चौड़ाई 2 फीट और ऊँचाई 2 से 3 इंच हो। - हाथों की स्थिति:
हाथों की उंगलियों को आपस में फंसा लें और कोहनियों को कंधों की चौड़ाई जितना खोलें।
अब कोहनियाँ और उंगलियाँ मिलाकर त्रिकोण बनाएं। - सिर की स्थिति:
सिर के सबसे ऊपरी भाग को जमीन पर रखें और हथेलियाँ सिर के उभरे हुए हिस्से पर टिकाएँ। - शरीर की स्थिति:
कमर सीधी रखें, दोनों घुटनों को मोड़ते हुए धीरे-धीरे पैरों को ऊपर उठाएँ।
फिर पैरों को सीधा करें और शरीर को संतुलित करें।
नितंब संकुचित रहें और श्वास सामान्य रखें। - अवधि:
शुरुआती अभ्यास में 1–2 मिनट पर्याप्त हैं।
अभ्यास बढ़ने पर 5 मिनट तक शीर्षासन करें।

शीर्षासन के बाद की स्थिति
आसन से बाहर आते समय धीरे-धीरे पैरों को मोड़ें और शशांक आसन में आएँ।
सिर को हाथों पर रखकर कुछ समय विश्राम करें।
इसके बाद शवासन में लेटकर शरीर को पूर्ण आराम दें।
ध्यान रखें कि गर्दन पर अधिक तनाव न पड़े — इसके लिए कंधों को हल्का ऊपर उठाकर रखें।
शीर्षासन के लाभ
- चेहरे पर स्वाभाविक चमक आती है।
- बालों का झड़ना रुकता है और वे घने व काले बनते हैं।
- पाचन तंत्र मजबूत होता है।
- अंतःस्रावी ग्रंथियाँ सक्रिय होकर हार्मोन संतुलन बनाती हैं।
- संपूर्ण शरीर पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।
शीर्षासन करते समय सावधानियाँ
- कभी भी जल्दबाजी या झटके से पैरों को ऊपर न उठाएँ।
- गर्दन पर अधिक दबाव न डालें।
- अभ्यास हमेशा खाली पेट और योग्य प्रशिक्षक की देखरेख में करें।
तो प्यारे मित्रों, आप सभी को सत्-सत् नमन।
अगले भाग में हम शीर्षासन से जुड़े और गहराईपूर्ण रहस्यों को जानेंगे।
योगाचार्य ढाकाराम
संस्थापक – योगापीस संस्थान