एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर : पर्वतासन

हरि ओम 🙏 आप सभी को हमारा मुस्कुराता हुआ नमस्कार।
एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर कार्यक्रम में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।
आजकल हमारे ब्लॉग सूर्य नमस्कार की श्रृंखला पर चल रहे हैं। पिछले ब्लॉग में हमने अश्व संचालन आसन के बारे में जाना था। आज हम बात करेंगे पर्वतासन (Mountain Pose) के बारे में।
शरीर की स्थिति पर्वत के समान होने के कारण इस आसन को पर्वतासन कहते हैं। यह हमारे पूरे शरीर के लिए अत्यंत लाभकारी है। जब हम इसे करते हैं, तो यह शरीर में खिंचाव लाता है, शक्ति प्रदान करता है और मन को शांत करता है।

अश्व संचालन आसन से पर्वतासन में कैसे आएं
- अश्व संचालन आसन में हमारा दायाँ पैर पीछे रहता है।
- पर्वतासन में आने के लिए कमर को ऊपर उठाते हुए धीरे से बायाँ पैर भी पीछे ले जाएँ।
- बाएँ पैर की एड़ी को दाएँ पैर की एड़ी से मिलाएँ।
- नितंबों और लोअर बैक को ऊपर की ओर खींचकर रखें।
- सिर हमारे हाथों के बीच में रहेगा।
- दोनों पैर सीधे रहेंगे और एड़ियाँ जमीन से लगी रहेंगी।
- नितंब ऊपर आकाश की ओर खिंचे रहेंगे।

पर्वतासन करते समय ध्यान रखें
- घुटने सीधे रहेंगे।
- एड़ियों को जमीन से लगाने का प्रयास करेंगे।
- शरीर का संतुलन बनाते हुए कम से कम 20 सेकंड इसी अवस्था में रुकने का प्रयास करें।


पर्वतासन के लाभ
- कंधों को मजबूत बनाता है।
- पैरों के लिए अत्यंत लाभकारी है।
- सिर की ओर रक्त संचार बढ़ने से चेहरे पर निखार आता है।
- दिमाग सक्रिय और दुरुस्त रहता है।
- मेरुदंड को लचीला बनाता है।
विशेष टिप्पणी
जब हम पर्वतासन करते हैं तो चेहरा नीचे की ओर होता है। इससे रक्त का प्रवाह चेहरे की ओर बढ़ता है और त्वचा में ताजगी एवं चमक आती है।
अगले ब्लॉग की झलक
प्यारे मित्रों! अगले ब्लॉग में हम भुजंगासन के बारे में बात करेंगे। आप सब हमारे साथ इसी प्रकार जुड़े रहें और अपने स्वास्थ्य का लाभ उठाते रहें।
तो प्यारे मित्रों, आप सभी को सत-सत नमन।
आप सभी खुश रहें, मस्त रहें और आनंदित रहें।
योगाचार्य ढाकाराम
संस्थापक – योगापीस संस्थान
