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25-Feb-2025

पेट की चर्बी को पिघलाने और कमर को मजबूत बनाने के लिए द्विपाद वृत्ताकार क्रिया

योगाचार्य ढाकाराम

आप सभी को हमारा मुस्कुराता हुआ नमस्कार! “एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर” कार्यक्रम में आपका स्वागत है। आज हम द्विपाद वृत्ताकार क्रिया के बारे में जानेंगे, जो हमारे पेट और कमर पर जमी चर्बी को पिघलाने में मदद करती है।

द्विपाद वृत्ताकार क्रिया कैसे करें

  1. सबसे पहले, पीठ के बल लेट जाएं।
  2. दोनों कोहनियों के बल अपने शरीर के ऊपरी हिस्से को उठाएं।
  3. छाती को तानकर रखें।
  4. आपका कंधा और कोहनी दोनों 90 डिग्री के कोण पर होने चाहिए।
  5. गर्दन में किसी प्रकार का तनाव न हो।
  6. अब दोनों पैरों को धीरे-धीरे उठाते हुए दाहिनी तरफ से बड़ा गोला बनाते हुए दक्षिणावर्त (Clockwise) घुमाएं।
  7. जब आप थक जाएं, तो शवासन में विश्राम करें। पूरे शरीर को ढीला छोड़ दें।
  8. अब धीरे से कोहनियों के बल आएं और दोनों पैरों को धीरे-धीरे उठाते हुए बाईं तरफ से बड़ा गोला बनाते हुए वामावर्त (Anti-clockwise) घुमाएं।
  9. जितना आपने दक्षिणावर्त किया था, उतना ही वामावर्त करें।
  10. एक बार गोला बनाने में कम से कम 15 से 20 सेकंड लगना चाहिए
  11. जब आप थक जाएं और दोनों तरफ बराबर गोले बना लें, तो विश्राम करें। शवासन में लेट जाएं।
  12. पहले और बाद की अवस्थाओं के अंतर का अवलोकन करें। शवासन में पेट और कमर की मांसपेशियों को ढीला छोड़ दें।

महत्वपूर्ण बातें

  • कोहनियों के बल क्रिया करने से इसका प्रभाव पेट पर पड़ता है, न कि कमर पर।
  • एक सामान्य व्यक्ति को यह क्रिया कम से कम 4-6 बार दक्षिणावर्त और 4-6 बार वामावर्त करनी चाहिए, यानी लगभग 3 मिनट तक।
  • वजन कम करने वाले लोगों को 2 मिनट दक्षिणावर्त और 2 मिनट वामावर्त करना चाहिए।

सावधानियां

  • कंधा और कोहनी 90 डिग्री के कोण पर होने चाहिए।
  • कोहनियों को पास-पास रखने का प्रयास करें।
  • हथेलियों को जमीन पर टिका कर रखें।
  • गर्दन पर खिंचाव न हो।
  • छाती को हमेशा फुलाकर रखें।
  • घुटने सीधे रहने चाहिए।
  • गर्दन में दर्द, सूजन या अकड़न होने पर लेटकर करें।
  • जल्दबाजी न करें, शांत और सहज भाव से करें।
  • गर्भावस्था या मासिक धर्म के दौरान न करें।
  • पेट में अल्सर या कमर में दर्द होने पर एक पैर से करें।

लाभ

  • पेट और कमर की चर्बी पिघलती है।
  • पाचन तंत्र मजबूत होता है।
  • पेट की मांसपेशियों की मालिश होती है।
  • नितंब की चर्बी कम होती है।
  • जांघों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं।

आप सभी का बहुत-बहुत आभार। आप सभी खुश रहें, मस्त रहें और आनंदित रहें।

योगाचार्य ढाकाराम
संस्थापक, योगापीस संस्थान

Yogacharya Dhakaram
Yogacharya Dhakaram, a beacon of yogic wisdom and well-being, invites you to explore the transformative power of yoga, nurturing body, mind, and spirit. His compassionate approach and holistic teachings guide you on a journey towards health and inner peace.
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