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Author: Yogacharya Dhakaram

Yogacharya Dhakaram, a beacon of yogic wisdom and well-being, invites you to explore the transformative power of yoga, nurturing body, mind, and spirit. His compassionate approach and holistic teachings guide you on a journey towards health and inner peace.

हनुमान आसन: लचीलापन और शक्ति का संगम

हरि ओम!
आप सभी को हमारा मुस्कुराता हुआ नमस्कार।
कहते हैं — “मुस्कुराहट के बिना जीवन अधूरा है,”
इसलिए हमेशा मुस्कुराइए और स्वस्थ रहिए।

“एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर” कार्यक्रम में आपका हार्दिक स्वागत है।
आज हम बात करेंगे एक अद्भुत एवं शक्तिशाली योगासन — हनुमान आसन के बारे में।

हनुमान आसन का परिचय

  • यह एक उन्नत (एडवांस) योगासन है।
  • इससे पैरों में शक्ति, मांसपेशियों में लचीलापन और पेल्विक रीजन में मजबूती आती है।
  • यह आसन शरीर में ऊर्जा का संचार करता है और संतुलन की भावना को विकसित करता है।

हनुमान आसन की विधि

  1. सीधे खड़े होकर पैरों को जितना संभव हो खोलें।
  2. शरीर को दाहिनी ओर मोड़ें, दोनों हाथ जांघों के पास रखें।
  3. दाएं पैर का पंजा 90° पर मोड़ें, और बाएं पैर को पीछे की ओर सीधा करें।
  4. धीरे-धीरे पैरों को फैलाएं, जल्दबाजी न करें।
  5. पीछे का घुटना सीधा रखें और पैर को पीछे ले जाएं
  6. आगे वाले पैर को आगे ले जाकर पंजा सीधा रखें।
  7. धीरे-धीरे जांघ जमीन से सटा दें
  8. इस स्थिति में 1-2 मिनट तक रुकें।
  9. फिर धीरे-धीरे पूर्व स्थिति में लौटें।
  10. अब यही प्रक्रिया बाएं पैर से दोहराएं।

सावधानियाँ और अभ्यास के सुझाव

  • धैर्य रखें, जितना बन पाए उतना करें।
  • जहाँ तक पैर खुलें वहाँ पर रुकें और 1-2 मिनट स्थिर रहें।
  • दोनों ओर बराबर अभ्यास करना आवश्यक है।
  • नियमित अभ्यास से हर सप्ताह लचीलापन बढ़ेगा
  • रोज़ 10 मिनट अभ्यास से 3-4 महीनों में पूर्ण आसन संभव हो सकता है।

अभ्यास को और प्रभावी बनाने की तकनीक

  1. दंडासन में बैठें, पैरों को सामने खोलें।
  2. कमर सीधी रखकर आगे की ओर झुकें – 1 मिनट रुकें
  3. फिर दाईं ओर शरीर मोड़ते हुए हनुमान आसन में जाएँ – 1 मिनट रुकें
  4. फिर बाईं ओर भी यही प्रक्रिया दोहराएं।
  5. तीनों दिशाओं में यह अभ्यास 3 बार दोहराएं
  6. अंत में सामने की ओर झुककर 1 मिनट रुकें और फिर विश्राम करें।

हनुमान आसन के लाभ

  • पेल्विक क्षेत्र को मजबूती देता है।
  • पैरों की मांसपेशियों को लचीलापन प्रदान करता है।
  • रीढ़ की हड्डी और छाती को मजबूती देता है।
  • मानसिक स्थिरता और आत्मविश्वास को बढ़ाता है।

आत्मबोधन और समर्पण का अभ्यास

योग केवल शरीर का नहीं, आत्मा और मन का भी अभ्यास है।
धैर्य, समर्पण और नियमितता से आप हर योगासन को पूर्णता की ओर ले जा सकते हैं।
अपने शरीर की सीमाओं को पहचानिए और धीरे-धीरे उसे विस्तार दीजिए।

तो प्यारे मित्रों,
आप सभी को सत-सत नमन।
आप हमेशा स्वस्थ, मस्त और आनंदित रहें।
हमारे साथ बने रहें और योग के माध्यम से अपने जीवन को धन्य बनाते रहें।

आपका योगमित्र,
योगाचार्य ढाकाराम
संस्थापक – योगापीस संस्थान

भस्त्रिका प्राणायाम

भस्त्रिका नाम लुहार की धौंकनी जैसी वेगपूर्वक वायु भरने व निकालने की क्रिया की समानता से प्रेरित है। यह प्राणायाम शरीर को ऊर्जा से भरकर विषाक्त तत्वों का निष्कासन करता है।

विधि

  1. आसन: पद्मासन, अर्धपद्मासन या सुखासन (पालथी) में बैठें।
  2. शरीर स्थिति:
    • कमर, पीठ एवं गर्दन सीधी रखें
    • दोनों नितम्बों पर समान वजन
    • शरीर को तनावमुक्त रखें (विशेष ध्यान दें)
    • पेट की मांसपेशियाँ शिथिल, सीना फुला हुआ
  3. हस्त मुद्रा: दोनों हाथ घुटनों पर सामान्य स्थिति में।
  4. प्रारम्भ:
    • आँखें कोमलता से बंद कर अंतर्मुखी हो जाएँ
    • वेगपूर्वक श्वास लेते हुए दोनों बाँहों को सिर के ऊपर उठाएँ (फेफड़े पूर्णतया भरें)
    • हाथ नीचे लाते हुए वेगपूर्वक श्वास बाहर निकालें (फेफड़े पूर्णतः खाली हों)
  5. अवधि:
    • 4 मिनट तक लगातार दोहराएँ
    • अक्षमता होने पर 2 मिनट करें → 1 मिनट विश्राम → पुनः 2 मिनट (कुल 5 मिनट)
  6. समापन:
    • फेफड़ों को पूरी तरह खाली करें
    • श्वास को सहज भाव से आने-जाने दें
    • 1 मिनट तक आँखें बंद रखकर शरीर व श्वास का साक्षीभाव से निरीक्षण करें

विशेष निर्देश

  • बाँहों के ऊपर-नीचे होने पर शरीर में झटका/तनाव न आने दें
  • चेहरा सामान्य व तनावमुक्त रखें
  • श्वास लेने-छोड़ने का समय समान रखें (जैसे 2 सेकंड भरना, 2 सेकंड खाली करना)
  • श्वास “पूर्ण क्षमता” से भरें व “सम्पूर्णतया” खाली करें
  • अपना ध्यान श्वास क्रिया पर केन्द्रित रखें

लाभ

  • विषाक्त तत्वों का निष्कासन
  • वात-पित्त-कफ संतुलन
  • चयापचय (Metabolism) व रक्त-ऑक्सीजन में वृद्धि
  • फेफड़ों को पुष्ट करना (सर्दी-जुकाम, अस्थमा, निमोनिया, एलर्जी, कफ में विशेष लाभकारी)
  • ध्यान की तैयारी में सहायक

सावधानियाँ

नवसाधकों के लिए:

  • प्रारम्भ में सिरभारीपन/चक्कर आने पर विश्राम करें
  • पहले सामान्य गति से अभ्यास करें, फिर धीरे-धीरे गति बढ़ाएँ

निषेध (जिन्हें नहीं करना चाहिए)

  • उच्च/निम्न रक्तचाप
  • हृदय रोग
  • नकसीर (नाक से खून आना)
  • मिर्गी
  • चक्कर आने की समस्या

“भस्त्रिका प्राणायाम की वेगपूर्ण क्रिया शरीर में प्राण के प्रवाह को ठीक उसी प्रकार जागृत करती है जैसे लौहार की धौंकनी अंगारों में अग्नि। परिशुद्ध तकनीक व सजगता से ही यह रूपान्तरकारी परिणाम देती है।”
योगाचार्य ढाकाराम


वक्रासन (Whole Spinal Twist Pose)

अर्थ

इस आसन में शरीर की स्थिति वक्र (मुड़ी हुई) के समान होने के कारण इसे वक्रासन कहा जाता है। यह अर्धमत्स्येन्द्रासन का एक सरल रूप है।

विधि (करने का तरीका)

बाईं ओर से करने की विधि:

  1. प्रारंभिक स्थिति: कमर सीधी रखते हुए दण्डासन में बैठें।
  2. पैरों की स्थिति: बाएं पैर को मोड़कर, बाएं पैर का तलवा दाएं घुटने के बगल में रखें। बाएं घुटने की दिशा ऊपर (आसमान) की ओर होनी चाहिए।
  3. हाथों की स्थिति: दाएं हाथ को ऊपर उठाकर बाएं पैर के टखने या पंजे को पकड़ें।
  4. मरोड़ने की क्रिया: कमर से बाईं ओर मुड़ते हुए बाएं हाथ को पीछे जमीन पर रखें।
  5. गर्दन व दृष्टि: गर्दन को बाईं ओर घुमाकर पीछे की ओर देखें। शरीर को सीधा रखने का प्रयास करें।
  6. स्थिति में रुकें: इस अवस्था में 30 सेकंड से 1 मिनट तक बने रहें।
  7. वापस आना: धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में आकर विश्राम करें।

दाईं ओर से करने की विधि:

  1. प्रारंभिक स्थिति: कमर सीधी रखते हुए दण्डासन में बैठें।
  2. पैरों की स्थिति: दाएं पैर को मोड़कर, दाएं पैर का तलवा बाएं घुटने के बगल में रखें। दाएं घुटने की दिशा ऊपर की ओर होनी चाहिए।
  3. हाथों की स्थिति: बाएं हाथ को ऊपर उठाकर दाएं पैर के टखने या पंजे को पकड़ें।
  4. मरोड़ने की क्रिया: कमर से दाईं ओर मुड़ते हुए दाएं हाथ को पीछे जमीन पर रखें।
  5. गर्दन व दृष्टि: गर्दन को दाईं ओर घुमाकर पीछे की ओर देखें। शरीर को सीधा रखें।
  6. स्थिति में रुकें: इस अवस्था में 30 सेकंड से 1 मिनट तक बने रहें।
  7. वापस आना: धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में आकर विश्राम करें।

लाभ

  • रीढ़ की हड्डी को मजबूती: मेरुदंड की कशेरुकाएं व मांसपेशियाँ लचीली व मजबूत होती हैं।
  • पाचन तंत्र सुधारे: पेट की चर्बी घटाने व पाचन क्रिया को दुरुस्त करने में सहायक।
  • रोगों में लाभ: कब्ज, गैस, लीवर की कमजोरी, नसों की दुर्बलता और कमर दर्द से राहत।
  • मधुमेह नियंत्रण: डायबिटीज को कंट्रोल करने में फायदेमंद।

सावधानियाँ एवं संशोधन

  • गर्दन दर्द: यदि गर्दन में दर्द हो, तो ज्यादा पीछे न देखें।
  • शरीर सीधा रखें: कमर, पीठ और गर्दन को सीधा रखने का प्रयास करें।
  • संशोधन: यदि पैर का टखना पकड़ने में कठिनाई हो, तो ज़ोर न लगाएं। केवल धड़ को मोड़ने पर ध्यान दें या योगा ब्लॉक का सहारा लें।

इन स्थितियों में न करें:

  • मासिक धर्म के दौरान
  • गर्भावस्था में

योगाचार्य ढाका राम
संस्थापक, योगापीस संस्थान

स्वास्थ्य से आनंद की ओर: जल नेति क्रिया की महत्ता और सावधानियाँ

नमस्कार प्यारे दोस्तों! एक बार फिर आपका स्वागत है हमारे ब्लॉग “एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर” में। पिछली पोस्ट में हमने नौली क्रिया के बारे में चर्चा की थी, और आज हम बात करेंगे जल नेति क्रिया के बारे में, जो आपके ENT (कान, नाक, गला) से संबंधित सभी समस्याओं को दूर करने में सहायक है।

जल नेति क्रिया: क्या है और कैसे करें?

जल नेति क्रिया मुख्य रूप से नाक, कान और गले पर प्रभाव डालती है। यह ENT समस्याओं, जैसे साइनस, माइग्रेन, सर्दी, और अस्थमा से राहत देने में कारगर मानी जाती है।

जल नेति में उपयोग किए जाने वाले जल का प्रकार:
क्रिया के लिए हल्का नमकीन और गुनगुने पानी का उपयोग किया जाता है। पानी न अधिक गर्म होना चाहिए, न ही ठंडा। नमक की मात्रा हमारे आंसुओं की नमक के समान होनी चाहिए, ताकि यह सुरक्षित और प्रभावी रहे।

नेति पॉट का उपयोग:
जल नेति करने के लिए सबसे पहले आपको एक नेति पॉट की आवश्यकता होगी। नेति पॉट के माध्यम से आप गुनगुना पानी नाक के एक छिद्र से डालते हैं और इसे दूसरे छिद्र से बाहर निकालते हैं। इस प्रक्रिया में मुंह से सांस लेते रहें और आराम से पानी को नासिका में जाने दें। धीरे-धीरे यह क्रिया आपके लिए आसान हो जाएगी, भले ही शुरू में कठिन लगे।

जल नेति क्रिया के बाद की योगिक क्रियाएं

जल नेति के बाद यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि नासिका में कोई पानी शेष न रहे। इसके लिए कुछ योगिक क्रियाएं करना जरूरी है, ताकि श्वास मार्ग पूरी तरह से साफ हो सके।

  1. श्वास को वेग से बाहर निकालना:
    हल्का सा कमर झुकाएं और नाक से तेजी से श्वास बाहर निकालें।
  2. कटी शक्ति विकासक क्रिया x 5:
    दोनों पैरों को कंधों के समान दूरी पर रखें। हाथों को सामने की ओर रखें और दाएं-बाएं शरीर को घुमाते हुए तेजी से श्वास लें और छोड़ें।
  3. कटि शक्ति विकासक क्रिया x 3:
    सम स्थिति में खड़े होकर श्वास भरते हुए शरीर को पीछे की ओर झुकाएं और श्वास छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें।
  4. सूर्य नमस्कार:
    श्वास छोड़ने पर अधिक ध्यान केंद्रित करें।
  5. शशांक आसन:
    श्वास को धीरे-धीरे निकालें और फिर वज्रासन में बैठकर ध्यान केंद्रित करें।

जल नेति के फायदे

  • साइनस, माइग्रेन और सर्दी: जल नेति क्रिया से साइनस, माइग्रेन, सर्दी और अस्थमा में राहत मिलती है।
  • आंखों की रोशनी: यह क्रिया आंखों की रोशनी बढ़ाने में भी सहायक है।
  • ENT की समस्याएं: यह कान, नाक, और गले के लिए अत्यधिक लाभकारी है।

सावधानियां

  • पानी का तापमान गुनगुना होना चाहिए, न ज्यादा गर्म न ज्यादा ठंडा।
  • पानी में नमक की मात्रा आंसुओं के नमक के बराबर होनी चाहिए।
  • क्रिया के दौरान नासिका से श्वास न लें, बल्कि मुंह से ही सांस लें और छोड़ें।
  • किसी भी प्रकार की जल्दबाजी से बचें और क्रिया को धैर्य से करें।
  • क्रिया दोनों नासिका छिद्रों से समान रूप से करें।
  • जल नेति के बाद योगिक क्रियाएं करना अनिवार्य है, ताकि नासिका में कोई पानी न रहे और सर दर्द, माइग्रेन या सर्दी का खतरा न हो।

आप सभी का दिन शुभ रहे, मंगल में रहें और आनंदित रहे। सुप्रीम पावर परमेश्वर की अनुकंपा आप पर सदैव बरसती रहे और योग के मार्ग पर चलें।

योगाचार्य ढाकाराम
संस्थापक, योगापीस संस्थान

टखना और घुटने के दर्द के लिए गुल्फ नमन

नमस्कार दोस्तों!
“एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर” कार्यक्रम में आपका स्वागत है। आज हम बात करेंगे गुल्फ नमन के बारे में।

‘गुल्फ’ का अर्थ होता है टखना और ‘नमन’ का अर्थ होता है झुकाव या आगे-पीछे की गति। यह एक सरल पर बहुत प्रभावी यौगिक क्रिया है जो टखनों, पिंडलियों, घुटनों और जांघों को मजबूत व लचीला बनाने में मदद करती है। खासतौर पर, यह टखना और घुटने के दर्द को दूर करने के लिए बेहद फायदेमंद है।

गुल्फ नमन करने की विधि:

  1. प्रारंभिक स्थिति: सबसे पहले जमीन पर बैठ जाएं। अपने दोनों पैरों को सामने की ओर दंडासन की तरह सीधा फैलाएं। पैरों के बीच लगभग 1 से 1.5 फुट का फासला रखें।
  2. हाथों की स्थिति: अपने हाथों को कमर के पीछे जमीन पर रखें। छाती को खुला और सीधा रखें।
  3. पंजों को खींचना (अपनी ओर): दोनों पैरों के पंजों को मिलाकर उन्हें अपनी तरफ (घुटनों की दिशा में) खींचें। इस खिंचाव को लगभग 15-20 सेकंड तक बनाए रखें।
  4. पंजों को दबाना (जमीन की ओर): अब दोनों पैरों के पंजों को जमीन की तरफ दबाएं, जैसे जमीन को छूने का प्रयास कर रहे हों। इस स्थिति को भी 15-20 सेकंड तक बनाए रखें।
  5. चक्र दोहराएं: इस तरह “पंजे खींचना” (अपनी ओर) और “पंजे दबाना” (जमीन की ओर) का एक चक्र पूरा होता है। ऐसे तीन चक्र करें (यानी प्रत्येक क्रिया को तीन बार दोहराएं)।
  6. ध्यान केंद्रित करें: पैरों को खींचते और दबाते समय एड़ियों, टखनों, पिंडलियों, घुटनों और जांघों में होने वाले खिंचाव पर ध्यान दें।
  7. विश्राम: क्रिया पूरी करने के बाद पैरों को पूरी तरह ढीला छोड़ दें, विश्राम की स्थिति में ले आएं।
  8. परिवर्तन महसूस करें: गुल्फ नमन करने से पहले और बाद में अपने पैरों और जोड़ों में आए परिवर्तन को गहराई से महसूस करें।

गुल्फ नमन के लाभ:

  • टखनों, पिंडलियों, घुटनों और जांघों की मांसपेशियों व जोड़ों को मजबूत और लचीला बनाता है।
  • टखना और घुटने के दर्द को दूर करने में विशेष रूप से सहायक है।
  • पैरों में रक्त संचार में सुधार करता है।
  • वैरिकोज़ वेंस (Varicose Veins / नसों में सूजन) की समस्या के लिए भी बहुत लाभदायक है।

गुल्फ नमन करते समय सावधानियाँ:

  • धीमी गति: क्रिया को हमेशा धीरे-धीरे और सहजता से करें। जल्दबाजी करने से इसका प्रभाव कम हो जाता है।
  • पैरों की स्थिति: दोनों पैरों के एड़ियों और पंजों को हमेशा आपस में मिलाकर रखें। इससे पैरों पर समान और पूरा खिंचाव आता है।
  • भाव-भंगिमा: क्रिया करते समय आँखें बंद रखें और चेहरे पर हल्की मुस्कान बनाए रखें। सहज और शांत भाव से करें।
  • विश्राम: प्रत्येक चक्र के बाद और अंत में शरीर, विशेषकर पैरों को पूरी तरह ढीला छोड़ दें

गुल्फ नमन कितनी बार करें?

  • जिन लोगों को टखनों, पिंडलियों, घुटनों या जांघों में दर्द या अकड़न है, उन्हें दिन में तीन बार (सुबह, दोपहर और शाम) गुल्फ नमन करना चाहिए। (प्रत्येक बार 3 चक्र)।
  • सामान्य स्वास्थ्य के लिए भी इसे दिन में एक या दो बार किया जा सकता है।

गुल्फ नमन एक अत्यंत सरल, सुविधाजनक और प्रभावी योग क्रिया है। यह निचले अंगों के जोड़ों और मांसपेशियों के स्वास्थ्य के लिए अद्भुत काम करती है। नियमित अभ्यास से आप इन क्षेत्रों में होने वाले दर्द और अकड़न से मुक्ति पा सकते हैं। सबसे खास बात यह है कि आप इसे अपने बिस्तर पर भी आसानी से कर सकते हैं! बस ध्यान रखें कि बिस्तर न तो बहुत नरम (स्पंजी) होना चाहिए और न ही बहुत कठोर। मध्यम कठोरता वाला बिस्तर सबसे उपयुक्त है।

इसी के साथ, आप सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद! आप सभी को हमारा मुस्कुराता हुआ नमन।
अधिक जानकारी के लिए: www.DhakaRam.com

योगाचार्य ढाकाराम
संस्थापक, योगापीस संस्थान

एक पाद सुप्त पादांगुष्ठासन: स्वास्थ्य से आनंद की ओर एक कदम

प्यारे मित्रों,
आप सभी को हमारा मुस्कुराता हुआ नमस्कार।
‘एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर’ कार्यक्रम में आपका हार्दिक स्वागत है।

आज हम जिस योगासन की बात करने जा रहे हैं, वह है एक पाद सुप्त पादांगुष्ठासन। यह आसन खासतौर पर पैरों से जुड़ी समस्याओं में अत्यंत लाभदायक है। जिन लोगों को एड़ियों, पिंडलियों, घुटनों या जांघों में दर्द रहता है, उन्हें यह आसन दिन में तीन बार अवश्य करना चाहिए। यह न केवल पैरों को मजबूती प्रदान करता है बल्कि रीढ़ की हड्डी में लचक भी बढ़ाता है।

आसन करने की विधि:

पहला चरण (दाहिने पैर से):

  1. सबसे पहले शवासन में लेट जाएं।
  2. दाहिने पैर को मोड़कर छाती की ओर लाएं।
  3. दाहिने हाथ से दाहिने पैर के अंगूठे को पकड़ें।
  4. धीरे-धीरे घुटने को सीधा करने का प्रयास करें।
  5. अपनी क्षमता अनुसार पैर को अपनी ओर खींचें।
  6. 1 मिनट तक इसी स्थिति में रहें।
  7. फिर धीरे-धीरे वापस शवासन में आ जाएं और शरीर का अवलोकन करें।

दूसरा चरण (बाएं पैर से):

  1. बाएं पैर को मोड़ें और छाती की ओर लाएं।
  2. बाएं हाथ से बाएं पैर के अंगूठे को पकड़ें।
  3. धीरे-धीरे घुटने को सीधा करें।
  4. पैर को अपनी ओर खींचें और 1 मिनट तक इसी अवस्था में रहें।
  5. इसके बाद शवासन में विश्राम करें और आसन से पहले और बाद के परिवर्तन को महसूस करें।

विकल्प:

यदि आप अपने पैर का अंगूठा या एड़ी नहीं पकड़ पा रहे हैं, तो योगा बेल्ट, चुन्नी, तौलिया या बेडशीट का उपयोग कर सकते हैं।

  1. शवासन में लेटकर दाहिने पैर के पंजे पर योगा बेल्ट लगाएं (छोटी उंगली के नीचे)।
  2. धीरे-धीरे पैर को सीधा करें।
  3. ध्यान रखें कि दोनों पैर सीधे हों और पंजे शरीर की ओर खिंचे हों।
  4. अपनी क्षमता अनुसार 90 डिग्री तक या उससे अधिक पैर को ऊपर उठाएं।
  5. 1 मिनट तक इसी स्थिति में रहें, फिर धीरे-धीरे वापस शवासन में आ जाएं।
  6. अब यही प्रक्रिया बाएं पैर से दोहराएं।

दोनों तरफ समान अभ्यास के बाद शवासन में विश्राम करें और शरीर को पूरी तरह ढीला छोड़ दें। फिर धीरे से करवट लेते हुए बैठ जाएं।

सावधानियां:

  • दोनों पैर सीधे होने चाहिए।
  • दोनों पैरों के पंजे शरीर की ओर खिंचे हुए होने चाहिए।

लाभ:

  • वेरीकोज़ वेन्स (Varicose Veins) के लिए यह रामबाण है।
  • पैरों से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या में लाभदायक।
  • एड़ियों, पिंडलियों, घुटनों और जांघों के दर्द में अत्यंत उपयोगी।
  • रीढ़ की लचक और पैरों की शक्ति में वृद्धि करता है।

आप सभी को हमारी ओर से फिर एक बार मुस्कुराता हुआ नमस्कार।
मुस्कुराते रहें, हँसते रहें, और आनंदित रहें।

आपका बहुत-बहुत धन्यवाद और आभार।

– योगाचार्य ढाकाराम
संस्थापक, योगापीस संस्थान

सही सम स्थिति में खड़े होने का महत्व: स्वास्थ्य और संतुलन होने का रहस्य

आप सभी को हमारा मुस्कुराता हुआ नमस्कार! “एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर” कार्यक्रम में आप सभी का स्वागत है। आज हम बात करेंगे खड़े होने की सम स्थिति के बारे में।

सम स्थिति क्या है?

सम स्थिति का अर्थ है संतुलन बनाए रखने की अवस्था। इस स्थिति में, हमारे शरीर के दोनों हिस्से समान होते हैं। जब हम सम स्थिति में खड़े होते हैं, तो हमारे दोनों पैरों पर शरीर का समान भार होता है। सम स्थिति में खड़े होने पर घुटनों, पिंडलियों, जांघों, कमर आदि में दर्द नहीं होता। यदि हम शरीर के भार को एक तरफ ज्यादा रखते हैं, तो हमारे शरीर की संरचना विकृत हो जाती है।

सही तरीके से कैसे खड़े हों?

आप सोच रहे होंगे कि खड़े होने में नया क्या है? हम सभी रोज खड़े होते हैं। लेकिन, ध्यान से देखने पर पता चलेगा कि हम अपने दोनों पैरों पर शरीर का समान भार नहीं रखते हैं।

यहाँ सही तरीका बताया गया है:

  1. कंधों जितना फासला रखकर खड़े हो जाएं।
  2. देखें कि आपके कौन से पैर पर ज्यादा भार है।
  3. एड़ी या पंजे पर कहां पर ज्यादा भार है?
  4. दाहिने पैर या बाएं पैर पर?
  5. ज्यादातर लोगों के पैर के पंजे बाहर की तरफ और एड़ी अंदर की तरफ होती है। इस स्थिति में खड़े होने पर हमारा पेट आगे की तरफ निकलता है और कमर में भारीपन लगता है।
  6. अब, अपने पंजों को अंदर की तरफ और एड़ियां बाहर की तरफ निकालें।
  7. खड़े होकर देखें, आपकी कमर अपने आप सीधी हो जाएगी।
  8. दोनों पंजों को अंदर करने पर पेट अंदर की ओर जाता है और छाती तन जाती है।
  9. दोनों पंजों को अंदर करने पर हमारे नितंब भी सिकुड़ जाते हैं।

आपने देखा होगा कि जब बच्चा चलना सीखता है, तो उसके पंजे अंदर की तरफ होते हैं। यह एक प्राकृतिक स्थिति है। मॉडल्स भी रैंप पर इसी स्थिति में चलती हैं।

महिलाओं के लिए विशेष सुझाव:

मेरी माता व बहनों से विशेष आग्रह है कि वे आजकल खाना खड़े होकर बनाती हैं, और खाना बनाते समय एक तरफ झुक कर खड़ी होती हैं। आप भी सम स्थिति में खड़े होकर खाना बनाएं।

अभ्यास:

आप इसका अभ्यास थोड़े-थोड़े समय के लिए कर सकते हैं। धीरे-धीरे यह आपकी आदत में शामिल हो जाएगा।

विशेष सुझाव:

  • सम स्थिति में पंजे अंदर की ओर और एड़ियां बाहर की तरफ रखकर खड़े होना चाहिए।
  • यदि आपको पंजे बाहर रखकर खड़े होने की आदत है, तो दिन भर के लिए इस स्थिति में न रहें। थोड़े-थोड़े समय के लिए पंजों को अंदर करके खड़े हों, और धीरे-धीरे इसे अपनी आदत में शामिल करें।

फायदे:

  • सम स्थिति में खड़े होने से हमारे शरीर की संरचना सही रहती है।
  • कमर दर्द, पैरों में दर्द, घुटनों में दर्द, एड़ियों में दर्द और जांघों में दर्द नहीं होता है।

आप सभी का बहुत-बहुत आभार, बहुत-बहुत धन्यवाद। आपका दिन मंगलमय हो!

योगाचार्य ढाकाराम

संस्थापक, योगापीस संस्थान

जयपुर में योगापीस संस्थान द्वारा विशाल रक्तदान शिविर का आयोजन

आज, 23 मार्च 2025 को, योगापीस संस्थान, भारतीय जैन संघटना पिंकसिटी, जयपुर और श्री विजयराज कोठारी चैरिटेबल ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में पूज्य बाबा की 106वीं जयंती के उपलक्ष्य में एक विशाल रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया।

  • स्थान: योगापीस, साइंस पार्क के पीछे, सुभाष नगर, जयपुर
  • समय: सुबह 9:00 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक

इस शिविर में लगभग 80 लोगों ने पंजीकरण कराया और 60 यूनिट रक्त एकत्रित किया गया। यह एक बड़ी सफलता रही और यह रक्तदान जरूरतमंदों के लिए जीवन रक्षक सिद्ध होगा।

योगापीस संस्थान उन सभी मेहमानों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करता है जिन्होंने इस कार्यक्रम में भाग लिया और इसे सफल बनाया। विशेष रूप से, हम पूर्व पर्यटन और सैनिक मंत्री श्री प्रताप सिंह खाचरियावास जी, ब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष पंडित श्री सुरेश मिश्रा जी, पूर्व मेयर सुश्री ज्योति खंडेलवाल जी, श्री शरद खंडेलवाल जी, इंजीनियर श्री संपत्ति सिंघवी जी और श्री राजेंद्र सिंह जी के आभारी हैं।

हम योगापीस संस्थान परिवार के सभी सदस्यों और देश के कोने-कोने से आए प्यारे बच्चों के भी आभारी हैं, जिन्होंने शुरू से लेकर अंत तक संस्थान में तन और मन से अपनी सेवाएं दीं।

और हम उन सभी मित्रों के आभारी हैं जिन्होंने अपने साथियों और मित्रों को भी रक्तदान के लिए प्रेरित किया, जिसके परिणामस्वरूप इतना रक्त एकत्रित हो सका।

हम प्रार्थना करते हैं कि सुप्रीम पावर परमेश्वर की कृपा आप सभी पर बनी रहे और देश और जगत का कल्याण हो।

कार्यक्रम प्रभारी: योगाचार्य ढाकाराम
अध्यक्ष: श्री सुनील कुमार कोठारी
मंत्री: श्री यश बापना

भारतीय जैन संघटना पिंक सिटी, जयपुर

3 मिनट में पैरों का दर्द कम करें: गुल्फ नमन क्रिया

नमस्कार! एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर कार्यक्रम में आपका स्वागत है। आज हम आपके लिए गुल्फ नमन क्रिया लेकर आए हैं, जो पैरों के दर्द से राहत पाने का एक प्रभावी योग अभ्यास है। यदि आपकी एड़ियों, पिंडलियों, घुटनों और जांघों में दर्द रहता है, तो यह क्रिया आपके लिए बहुत उपयोगी हो सकती है। आइए जानते हैं इसके लाभ और इसे करने की विधि।

गुल्फ नमन क्रिया क्या है?

गुल्फ का अर्थ है टखना, और नमन का अर्थ है नमस्कार, यानी टखनों को गति देना। यह क्रिया टखनों से लेकर जांघों तक की मांसपेशियों को सक्रिय करती है और रक्त संचार में सुधार लाती है।

गुल्फ नमन क्रिया करने की विधि

  1. दंडासन में बैठें – पैरों को सामने फैलाएं और उनके बीच 1 से 1.5 फुट का अंतर रखें।
  2. कमर व गर्दन सीधी रखें, कंधे तने हुए हों और दोनों हाथों को पीछे टिकाएं।
  3. एड़ियों और पंजों को मिलाएं, फिर पंजों को शरीर की ओर खींचें और 20 सेकंड तक रोकें।
  4. अब पंजों को विपरीत दिशा में खींचें और ज़मीन को छूने का प्रयास करें।
  5. इस क्रिया को 3-4 बार दोहराएं, फिर पैरों को विश्राम अवस्था में छोड़कर आंखें बंद करें और शरीर में हुए बदलावों को महसूस करें।

महत्वपूर्ण सुझाव

गति नियंत्रित रखें – तेज़ी से करने पर यह क्रिया केवल टखनों तक सीमित रहती है, जबकि धीमी गति से करने पर इसका प्रभाव मांसपेशियों के गहरे स्तर तक जाता है।
ध्यान केंद्रित करें – आंखें बंद करके टखनों, एड़ियों, पिंडलियों, घुटनों और जांघों की मांसपेशियों पर ध्यान दें।
नियमित अभ्यास करें – जिन लोगों को पैरों में दर्द रहता है, उन्हें दिन में 3 बार यह क्रिया करनी चाहिए।
समय निर्धारित करेंकम से कम 2 मिनट तक क्रिया करें और 1 मिनट तक शरीर में हुए बदलावों का अवलोकन करें।

गुल्फ नमन क्रिया के लाभ

पैरों के दर्द में राहत
टखनों, एड़ियों, पिंडलियों, घुटनों और जांघों की मांसपेशियों को मजबूती
रक्त संचार में सुधार
पैरों में हल्कापन और ऊर्जा का संचार

सावधानियां

❌ यदि पंजे खींचते समय एड़ियां ज़मीन से उठती हैं, तो इस पर ध्यान न दें।
❌ यदि 2-3 हफ्ते तक यह क्रिया करने के बाद भी आराम न मिले, तो विटामिन D की जांच करवाएं

स्वस्थ रहें, योग अपनाएं!

आप सभी स्वस्थ, मस्त और आनंदित रहें। अपने जीवन को सुंदर बनाने के लिए नियमित योग का अभ्यास करें

योगाचार्य ढाका राम
संस्थापक, योगापीस संस्थान

योगाचार्य ढाकाराम इंडियन योग एसोसिएशन, राजस्थान के वरिष्ठ उपाध्यक्ष नियुक्त

भारत के सभी योग संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रमुख संगठन इंडियन योग एसोसिएशन (IYA) की राजस्थान इकाई की राज्य कार्यकारिणी बैठक का आयोजन हाल ही में किया गया। यह बैठक बप्पा रावल सभागार में संपन्न हुई, जिसकी अध्यक्षता इंडियन योग एसोसिएशन के राष्ट्रीय महासचिव एवं आयुष मंत्रालय, भारत सरकार की गवर्निंग काउंसिल के सदस्य सुबोध तिवारी ने की। बैठक में राजस्थान के विभिन्न योग विशेषज्ञों और कार्यकारी समिति के सदस्यों ने भाग लिया।

बैठक की शुरुआत संयुक्त सचिव हिमांशु पालीवाल द्वारा पिछली बैठक के प्रस्तावों की समीक्षा और संगठन की अब तक की प्रगति पर प्रकाश डालने से हुई। इसके बाद, महासचिव सुबोध तिवारी ने संगठन की कार्ययोजना और अपेक्षाओं पर मार्गदर्शन प्रदान किया।

राज्य कार्यकारिणी की नई नियुक्तियाँ

सर्वसम्मति से राजस्थान राज्य कार्यकारिणी के लिए निम्नलिखित पदाधिकारियों का चयन किया गया:

  • महेश शर्मा – अध्यक्ष
  • योगाचार्य ढाकाराम – वरिष्ठ उपाध्यक्ष
  • डॉ. हनवंत सिंह एवं मेघ सिंह – उपाध्यक्ष
  • डॉ. दीपेंद्र सिंह – सचिव
  • हिमांशु पालीवाल – संयुक्त सचिव
  • दीक्षा जामवाल – कोषाध्यक्ष

इसके अतिरिक्त, अन्य महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ निम्नानुसार सौंपी गईं:

  • डॉ. हेमराज चौधरी – लीगल समन्वयक
  • डॉ. वीणा मूंदड़ा – सदस्यता समन्वयक
  • शिवानी वर्मा – आयोजन समन्वयक
  • डॉ. पूर्णेंदु एवं डॉ. गुनीत मोंगा – प्रकाशन एवं रिसर्च समन्वयक
  • योगी मनीष – प्रचार समन्वयक
  • इंदिरा डांगी एवं करतार सिंह – सदस्य

राजस्थान योग आयोग के गठन का प्रस्ताव पारित

बैठक में राजस्थान योग आयोग के गठन के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया गया। यह प्रस्ताव अब सरकार को भेजा जाएगा।

इस नई कार्यकारिणी का गठन और योग आयोग की स्थापना का यह प्रयास राजस्थान में योग के प्रचार-प्रसार और संस्थागत विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।