हनुमान आसन: लचीलापन और शक्ति का संगम
हरि ओम!
आप सभी को हमारा मुस्कुराता हुआ नमस्कार।
कहते हैं — “मुस्कुराहट के बिना जीवन अधूरा है,”
इसलिए हमेशा मुस्कुराइए और स्वस्थ रहिए।
“एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर” कार्यक्रम में आपका हार्दिक स्वागत है।
आज हम बात करेंगे एक अद्भुत एवं शक्तिशाली योगासन — हनुमान आसन के बारे में।
हनुमान आसन का परिचय
- यह एक उन्नत (एडवांस) योगासन है।
- इससे पैरों में शक्ति, मांसपेशियों में लचीलापन और पेल्विक रीजन में मजबूती आती है।
- यह आसन शरीर में ऊर्जा का संचार करता है और संतुलन की भावना को विकसित करता है।

हनुमान आसन की विधि
- सीधे खड़े होकर पैरों को जितना संभव हो खोलें।
- शरीर को दाहिनी ओर मोड़ें, दोनों हाथ जांघों के पास रखें।
- दाएं पैर का पंजा 90° पर मोड़ें, और बाएं पैर को पीछे की ओर सीधा करें।
- धीरे-धीरे पैरों को फैलाएं, जल्दबाजी न करें।
- पीछे का घुटना सीधा रखें और पैर को पीछे ले जाएं।
- आगे वाले पैर को आगे ले जाकर पंजा सीधा रखें।
- धीरे-धीरे जांघ जमीन से सटा दें।
- इस स्थिति में 1-2 मिनट तक रुकें।
- फिर धीरे-धीरे पूर्व स्थिति में लौटें।
- अब यही प्रक्रिया बाएं पैर से दोहराएं।

सावधानियाँ और अभ्यास के सुझाव
- धैर्य रखें, जितना बन पाए उतना करें।
- जहाँ तक पैर खुलें वहाँ पर रुकें और 1-2 मिनट स्थिर रहें।
- दोनों ओर बराबर अभ्यास करना आवश्यक है।
- नियमित अभ्यास से हर सप्ताह लचीलापन बढ़ेगा।
- रोज़ 10 मिनट अभ्यास से 3-4 महीनों में पूर्ण आसन संभव हो सकता है।
अभ्यास को और प्रभावी बनाने की तकनीक
- दंडासन में बैठें, पैरों को सामने खोलें।
- कमर सीधी रखकर आगे की ओर झुकें – 1 मिनट रुकें।
- फिर दाईं ओर शरीर मोड़ते हुए हनुमान आसन में जाएँ – 1 मिनट रुकें।
- फिर बाईं ओर भी यही प्रक्रिया दोहराएं।
- तीनों दिशाओं में यह अभ्यास 3 बार दोहराएं।
- अंत में सामने की ओर झुककर 1 मिनट रुकें और फिर विश्राम करें।
हनुमान आसन के लाभ
- पेल्विक क्षेत्र को मजबूती देता है।
- पैरों की मांसपेशियों को लचीलापन प्रदान करता है।
- रीढ़ की हड्डी और छाती को मजबूती देता है।
- मानसिक स्थिरता और आत्मविश्वास को बढ़ाता है।


आत्मबोधन और समर्पण का अभ्यास
योग केवल शरीर का नहीं, आत्मा और मन का भी अभ्यास है।
धैर्य, समर्पण और नियमितता से आप हर योगासन को पूर्णता की ओर ले जा सकते हैं।
अपने शरीर की सीमाओं को पहचानिए और धीरे-धीरे उसे विस्तार दीजिए।
तो प्यारे मित्रों,
आप सभी को सत-सत नमन।
आप हमेशा स्वस्थ, मस्त और आनंदित रहें।
हमारे साथ बने रहें और योग के माध्यम से अपने जीवन को धन्य बनाते रहें।
आपका योगमित्र,
योगाचार्य ढाकाराम
संस्थापक – योगापीस संस्थान