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कमर दर्द से राहत के लिए कटि चक्रासन

नमस्कार दोस्तों! एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर कार्यक्रम में आपका स्वागत है। आज हम कटि चक्रासन के बारे में बात करेंगे। कटि का मतलब होता है कमर और चक्रासन का मतलब होता है गोलाकार घूमना। यह एक योग क्रिया है जो कमर को मजबूत और लचीला बनाने में मदद करती है। यह कमर दर्द को दूर करने के लिए भी बहुत फायदेमंद है। कटी का मतलब कमर चक्र का मतलब गोलाकार अपनी कमर को चक्र की भांति गोलाकार घूमना इसीलिए इसका नाम कटि चक्रासन है।

कैसे करें कटि चक्रासन:

  • कटि चक्रासन के लिए हम दोनों पैरों के बीच एक से डेढ़ फुट का फैसला रखेंगे।
  • पैरों के पंजे थोड़ा सा अंदर की तरफ रखेंगे और एड़ियों को थोड़ा सा बाहर की तरफ रखेंगे।
  • अपने हाथों को जांघों पर रखेंगे धीरे-धीरे हाथों को ऊपर उठा कर कंधों के बराबर ले जाएंगे।
  • दोनों हाथों को अच्छी तरह तानेंगे दाएं हाथ को दाई तरफ खींचेंगे और बाएं हाथ को बाई तरफ खींचेंगे और श्वास छोड़ते हुए हम दाहिनी तरफ कमर को मरोड़ देंगे।
  • दाहिने हाथ को धीरे से कमर के पीछे से लाकर बाई तरफ की पसलियों पर रख देंगे और उंगलियों से नाभि को छूने का प्रयास करेंगेऔर बाएं हाथ को हम दाहिने कंधे पर बहुत ही हल्के हाथों से रखेंगे। हमारी कमर को ज्यादा से ज्यादा मरोड़ने की कोशिश करेंगे। कम से कम हम एक मिनट दाहिनी तरफ इसी अवस्था में रहेंगे।
  • धीरे-धीरे हम जैसे गए थे वैसे हम वापस आएंगे और हाथों को जांघों के ऊपर रख देंगे और आधा मिनट हम अपने आसन को करने के बाद क्या परिवर्तन हुआ है उसे महसूस करेंगे।
  • एक तरफ करने के बाद विश्राम करना जरूरी है ताकि एक तरफ करने का जो खिंचाव है वह हमारे दूसरी तरफ आसान करने पर ना पड़े।
  • अब हम इसे दूसरी तरफ दोहराएंगे।दोनों हाथों को हम धीरे-धीरे अपने बगल से उठाएंगे। दोनों हाथों को बगल में तान देंगे।
  • दाहिने हाथ को हम दाई तरफ खींचेंगे और बाएं हाथ को हम बाई तरफ खींचेंगे। धीरे-धीरे अब हम श्वास छोड़ते हुए कमर को घुमाएंगे।
  • अब धीरे-धीरे बाएं हाथ को हम कमर के पीछे से दाहिनी तरफ की पसलियां पर रखेंगे और उंगलियों से नाभि छूने का प्रयास करेंगे और दाएं हाथ को हम बाएं कंधे पर हल्के से रखेंगे और इसी अवस्था में हम 1 मिनट तक रुकेंगे।
  • 1 मिनट पूरा होने के बाद हम जैसे आसन में गए थे वैसे ही धीरे-धीरे हम आसान से बाहर आएंगे। हम आधा मिनट विश्राम करेंगे और जब हम विश्राम करेंगे तो हम हमारे शरीर में हुए परिवर्तन का अवलोकन करेंगे।

कटि चक्रासन के लाभ:

  • कमर को मजबूत और लचीला बनाता है।
  • कमर दर्द को दूर करता है।
  • मेरुदंड को स्वस्थ रखता है।
  • गुर्दे, यकृत और अग्नाशय को स्वस्थ रखता है।
  • पाचन क्रिया को बेहतर करता है।

कटि चक्रासन के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें:

  • पैरों में एक से डेढ़ फीट का फासला होना चाहिए सरल भाषा में कहीं तो कंधे जितना फासला।
  • पंजे थोड़े से अंदर की तरफ और एड़ियां थोडी सी बाहर की तरफ होनी चाहिए।
  • जैसे हम आसन में गए थे वैसे ही हमें आसान से वापस आना चाहिए।
  • कटि चक्रासन में हमें अपने कंधों को थोड़ा ऊपर की ओर उठा कर समान रखना चाहिए न की ऊपर नीचे।
  • कटि चक्रासन में शरीर को घुमाते समय हमें कोशिश करनी है कि हमारे कमर से नीचे का हिस्सा नहीं घूमें।
  • अपने हाथों से नाभि को छूने की कोशिश करनी चाहिए मतलब जब दाहिनी तरफ मरोड़े तब दाहिने हाथ बाई ओर से और जब बाई तरफ से मरोड़े तब बाई ओर से दाहिने पीछे से नाभि छूने का प्रयास करेंगे।

कटि चक्रासन के बाद क्या करें:

  • आसन को करने के बाद उसका आंखें बंद करके अवलोकन अवश्य करें।
  • कम से कम आधा मिनट तक आराम करें।

निष्कर्ष:

कटि चक्रासन एक सरल लेकिन प्रभावी योग क्रिया है जो कमर के स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है। नियमित रूप से कटि चक्रासन करने से आप कमर दर्द से छुटकारा पा सकते हैं और अपनी कमर को मजबूत और लचीला बना सकते हैं।

तो प्यारे मित्रों अपना अभ्यास जारी रखें। आप सभी का मुस्कुराता हुआ धन्यवाद आप का दिन मंगलमय हो। और ऐसे ही एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर कार्यक्रम में हमारा साथ देते रहिए और हमारे साथ अपने शरीर को मजबूत और निरोगी बनाकर अपने नियर और डियर को शेयर कर उन्हें भी स्वास्थ्य का लाभ प्राप्त कर कर विश्व कल्याण में अपना योगदान प्रदान करें।

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योगाचार्य ढाका राम
संस्थापक, योगापीस संस्थान

सही प्रकार से कैसे बैठें: सुखासन 

नमस्ते दोस्तों! आज हम बात करेंगे कि हमें सही तरीके से कैसे बैठना चाहिए। आलथी-पालथी मारकर बैठना एक बहुत ही सरल तरीका है जिसे योग की भाषा में सुखासन कहते हैं। अगर हम गलत तरीके से बैठते हैं तो हमारे कमर, घुटने, पिंडलियों और टखनों में भी दर्द हो सकता है। आज हम यहां पर चर्चा करेंगे कि आप आलथी-पालथी लगाकर सुखासन में सही तरीके से कैसे बैठे।

गलत तरीके से बैठने के नुकसान:

जब हम गलत तरीके से बैठते हैं तो हमारा शरीर का वजन एक तरफ झुक जाता है। इससे हमारे शरीर में संतुलन बिगड़ जाता है और हमारे कमर, घुटने और पिंडलियों में दर्द हो सकता है। इसके अलावा, गलत तरीके से बैठने से हमारे पेट आगे की तरफ निकल जाता है और हमारी छाती दब जाती हैं और फेफड़े भी संकुचित होकर प्रॉपर मात्रा में ऑक्सीजन फेफड़े में नहीं जाता है।

सही तरीके से बैठने के फायदे:

सही तरीके से बैठने से हमारे शरीर में संतुलन बना रहता है और हमारे कमर, घुटने और पिंडलियों में दर्द होने की संभावना कम हो जाती है। इसके अलावा, सही तरीके से बैठने से हमारा पेट अंदर की तरफ होता है और हमारी छाती बाहर की तरफ निकलती है। इससे हमें सांस लेने में आसानी होती है क्योंकि ऑक्सीजन की मात्रा हमारे फेफड़ों में सही प्रकार से जाती हैं और हमारा मन शांत रहता है।

सही तरीके से आलथी-पालथी में कैसे बैठें:

  1. सबसे पहले एक समतल सतह पैरों को फैलाकर दंडासन में बैठे हैं उसके बाद दाहिने पैर को मोड़कर दाहिने पैर की एड़ी और तलवे को बाई जँघा के नीचे रख देवें।
  2. उसके बाद बाएं पैर को मोड़कर बाएं पैर की एड़ी और तलवे को दाहिने जँघा के नीचे रख कर बैठ जाएं।
  3. अब, अपने दाहिने नितंब को हथेली से सहारा देकर दाहिनी तरफ खींचें।
  4. इसी तरह, अपने बाएं नितंब को बाई हथेली से सहारा देकर बाएं तरफ खींचें।
  5. अपने कंधे को रोल करके छाती को हनुमान जी की तरह फुला दें जिससे पेट अपने आप अंदर चला जाएगा। अपनी कमर एकदम को सीधी रखें लेकिन अकड़ नहीं।
  6. अब, लंबी गहरी सांस लें और अपने शरीर और मन को महसूस करें।

ध्यान रखने योग्य बातें:

  • जब आप बैठें तो आपका पेट अंदर की तरफ होना चाहिए, ना कि बाहर की तरफ फूला हुआ होना चाहिए।
  • आपकी कमर बिल्कुल सीधी होनी चाहिए।
  • आपके दोनों पैर एक दूसरे जंघा के नीचे होने चाहिए।

अन्य जानकारी:

  • अगर आप बैठे-बैठे थक जाते हैं तो आप दोनों पैरों को सामने फैला सकते हैं और जो पैर नीचे है उसे ऊपर और जो ऊपर है उसे नीचे करके बदल सकते हैं ताकि दोनों तारों का संतुलन बेहतर बने।
  • अगर आप आलथी-पालथी मारकर बैठते हैं तो आप जमीन से जुड़े रहते हैं।

निष्कर्ष:

सही तरीके से आलथी-पालथी मारकर बैठना एक बहुत ही स्वस्थ तरीका है। यह हमारे शरीर को कई तरह से लाभ पहुंचाता है। इसलिए, आज से ही सही तरीके से आलथी-पालथी मारकर सुखासन में बैठना शुरू करें।

  • आलथी-पालथी मारकर बैठने से हमारे शरीर के सभी अंगों को आराम मिलता है।
  • इससे हमारे शरीर में रक्त का संचार बेहतर होता है।
  • इससे हमारे पाचन तंत्र को भी लाभ मिलता है।

उपयोगी टिप्स:

  • अगर आपको आलथी-पालथी मारकर बैठने में परेशानी हो रही है तो आप धीरे-धीरे शुरू करें।
  • शुरुआत में आप थोड़ी देर बैठें और फिर धीरे-धीरे बैठने का समय बढ़ाएं।

आप सभी का दिन मंगलमय हो, आनंदमय हो। इसी के साथ आप सभी से विदा लेते हैं। आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद।

ऊर्जा और शक्ति प्रदान करने वाला आसन: ताड़ासन

प्यारे मित्रों, आपने देखा होगा जब हम सोकर उठते हैं तो हम अंगड़ाई लेते हैं। अंगड़ाई लेने से हमें हमारे अंदर से सुस्ती गायब हो जाती है हम ऊर्जावान हो जाते हैं। अंगड़ाई हम 8 से 10 सेकंड लेते हैं। तो सोच कर देखिए 8 से 10 सेकंड अंगड़ाई लेने से अगर हमारे अंदर की सुस्ती गायब हो जाती है तो 1 मिनट का ताड़ासन कर लेने से हमारे अंदर कितनी ऊर्जा का संचार होगा।

ताड़ासन एक सरल लेकिन शक्तिशाली योगासन है जो शरीर और मन को ऊर्जा और शक्ति प्रदान करता है। यह आसन पैरों, मेरुदंड (रीढ़ की हड्डी), पेट और छाती के लिए फायदेमंद है। ताड़ासन करने से शरीर और मन को आलस्य रहित और तरोताजा महसूस होता है।

ताड़ासन के लिए हमें कम से कम 3 मिनट का समय देना होगा। जब हम आसन में जाते हैं तो कम से कम हमें 30 सेकंड्स का समय लगता है और आसान से वापस आने में भी हमें 30 सेकंड का समय लगता है। हम 1 मिनट का आसान करते हैं और 1 मिनट का समय हमें अवलोकन में लगता है। इस प्रकार हमें ताड़ासन को कम से कम 3 मिनट का समय देना चाहिए। यह आसान हमारे पैरों के लिए, रीड की हड्डी के लिए, पेट और छाती की समस्याओं के लिए लाभदायक है। यहां तक की कोहनी कलाई और उंगलियों के जोड़ों (अर्थराइटिस) के लिए बहुत फायदेमंद है।

ताड़ासन हमारे सिर की चोटी से लेकर पैरों के पंजों तक के सारे शरीर को ऊर्जावान बनाने में मदद करता है। कूल्हों को संकुचित करने से हमारे सेक्रम,कोक्सीक्स और लम्बर के दर्द में राहत मिलता है। पेट को अंदर पिचका कर रखने से हमारे पेट के अंदरूनी अंगों की मसाज होती है। छाती को जब हम फुला कर रखते हैं तो यह हमारे फेफड़ों और हृदय के लिए बहुत अच्छा है। कंधों को खींचने से कंधों और गर्दन के लिए कोहनी को खिंचने से कोहनी और कलाई और उंगलियों में स्ट्रेच देने से अर्थराइटिस जैसे समस्याओं में बहुत फायदेमंद है आसन में हमें ध्यान रखना है कि हमारी आंखें बंद रहे सारा ध्यान हमारे श्वास और हमारे आसन पर रहे। तो प्यारे मित्रों हमें इस आसन को 3 मिनट का समय सुबह देना है और 3 मिनट का समय शाम में देना है। इस आसन को हम कहीं भी कर सकते हैं और कभी भी कर सकती हैं। अपने आप को तरोताजा रखने के लिए आप इस आसन को रोजाना अवश्य करें।

ताड़ासन का अर्थ:

ताड़ासन का अर्थ है “ताड़ के पेड़ की तरह खड़े होना”। यह आसन ताड़ के पेड़ की तरह मजबूत और स्थिर होने का प्रतीक है।

ताड़ासन कैसे करें:

  1. सीधे खड़े हो जाएं, पैरों के बीच एड़ी से पंजों तक एक समान दूरी रखें।
  2. हाथों को जांघों पर रखें।
  3. धीरे-धीरे दोनों हाथों को ऊपर की ओर उठाएं, जब तक कि वे कंधों के बराबर न पहुंच जाएं।
  4. हाथों को कंधों से घुमाते हुए, हथेलियों को आकाश की ओर रखें।
  5. दोनों हाथों को खींचते हुए, छत को छूने की कोशिश करें।
  6. कूल्हों को संकुचित करें, पेट को अंदर पिचका कर रखें और छाती को फुला लें।
  7. सिर की चोटी से लेकर पैरों के पंजों तक शरीर को एक सीध में रखें।
  8. इस स्थिति में कम से कम 1 मिनट तक रहें।
  9. धीरे-धीरे हाथों को नीचे लाएं और पैरों को सामान्य स्थिति में लाएं।
  10. हाथों को पीछे रखें और दाहिने हाथ से बाएं हाथ की कलाई को पकड़ कर आराम से खड़े हो जाएं।
  11. पूरे शरीर को शिथिल करें।

ताड़ासन के लाभ:

  • शरीर को ऊर्जा और शक्ति प्रदान करता है।
  • पैरों, रीढ़ की हड्डी, पेट और छाती के लिए फायदेमंद है।
  • शरीर को आलस्य रहित और तरोताजा महसूस कराता है।
  • कूल्हों के दर्द को कम करता है।
  • पेट के अंगों की मालिश करता है।
  • फेफड़ों और हृदय के लिए अच्छा है।
  • कंधों और गर्दन के लिए फायदेमंद है।
  • कोहनी और कलाई के दर्द को कम करता है।

सावधानियां:

  • अगर आपके घुटनों में दर्द है अथवा कमजोरी है तो आप लेट कर सुप्त ताड़ासन कर सकते हैं।
  • अगर आपके कूल्हों में दर्द है, तो इस आसन को करते समय कूल्हों को क्षमता के अनुसार संकुचित करें।

निष्कर्ष:

ताड़ासन एक सरल लेकिन शक्तिशाली योगासन है जो शरीर को कई लाभ प्रदान करता है। यह आसन रोजाना करने से शरीर को ऊर्जावान और स्वस्थ रखा जा सकता है। ताड़ासन दिन में कम से कम एक बार अवश्य करना ही चाहिए।

इसी के साथ आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद और आप सभी का दिन मंगलमय हो सुप्रीम पावर परमेश्वर की अनुकंपा हम सभी पर बनी रहे और इस खुशी को बांटने में आप हमारा सहयोग करें मतलब यह जन-जन तक पहुंचे।

हँसता हुआ ध्यान: एक आनंददायक और लाभकारी अभ्यास

आप सभी को हमारा मुस्कुराता हुआ नमस्कार। एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर कार्यक्रम में आप सभी का स्वागत है।

आज हम सभी बिंदास होकर हँसता हुआ ध्यान करेंगे। आप सोचेंगे कि हम क्यों हँसे और हँसता हुआ ध्यान कैसे करेंगे लेकिन हँसने का कोई कारण नहीं होता है। आप लोगों को याद होगा कि हमने पिछली बार “हँसी के बिना जीवन नहीं” लेख लिखा था जिसमें हँसने के बारे में बताया था। हमने कहा था कि हमारे जैसा कोई नहीं इसलिए हम सब हँसेंगे क्योंकि हम यूनिक है और परमपिता परमेश्वर ने किसी भी मनुष्य या किसी भी जीव जंतु को रिपीट नहीं किया है। इस दुनिया में हमारे जैसे हम इकलौते ही हैं। लेकिन आज हम आपको हँसने के लिए एक दूसरी चाबी देंगे मतलब वजह देंगे क्योंकि जब आप बेवजह हँसते हैं तो आपकी आजू-बाजू वाले बोल ही देते हैं क्यों हँस रहे हो भाई पागलों की तरह। इसीलिए पिछली बार हमने वजह दिया था हमारे जैसा कोई नहीं और इस बार दूसरी वजह दे रहे हैं आप लोगों के पास हँसने के लिए।

अब आपके पास 2 वजह हो जाएगी और इस तरह की वजह आने वाली एपिसोड में देते रहेंगे । आज आप दुनिया के सबसे अमीर आदमी बनने वाले हैं। हर कोई कहता है कि मेरे पास यह नहीं है मेरे पास वह नहीं है लेकिन आज आप अपने मुंह से ही कहेंगे कि मेरे जैसा अमीर इस दुनिया में कोई नहीं है। आप आज इसलिए हँसेंगे क्योंकि आपके जैसा अमीर आदमी और इस दुनिया में कोई नहीं है। अब आप जरा दिल और दिमाग से सोचिए अगर इस दुनिया का सबसे अमीर आदमी आकर आपके दोनों गुर्दे मांगे और बोले कि मैं अपनी सारी संपत्ति आपके नाम कर दूंगा तो क्या आप उन्हे अपने दोनों गुर्दे देंगे? नहीं देंगे। तो सोचिए भगवान ने आपको आपके शरीर की कितनी सारी बहुमूल्य चीज दे रखी हैं। भगवान ने आपको दो गुर्दे दे रखे हैं और दो-दो आंखें दे रखी हैं अगर कोई सारी संपत्ति तुम्हारा नाम कर दूंगा अपने दोनों आंखें हमें दे दो क्या हम अपने दोनों आंखें देंगे बिल्कुल भी नहीं देंगे। तो सोचिए आप कितने भाग्यशाली हैं कि आपको यह सारी चीज मिली हुई है। आज से हम यह सोच कर हँसेंगे कि भगवान ने हमें इतना भाग्यशाली बनाया है। तो जोर से हँसेंगे। तो इतना हँसो की आपके पड़ोसी को भी पता लग जाए कि आप हँस रहे हैं। अपनी आंखें बंद करें और हँसते रहे और शरीर का रोम रोम हँस रहा है ऐसा महसूस करेंगे। भगवान को धन्यवाद दें कि उन्होंने आपको दो बहुमूल्य आंखें दी हैं और आंखों और गुर्दे जैसे कितने ही बहुमूल्य चीज हमारे शरीर में है। इसलिए दिल खोलकर हँसो इतना हँसेंगे की आपका पेट दर्द होने लग जाए आपके गालों में दर्द होने लग जाए। अपने आप पर हँसना है और दिल से हँसना है। योग का मतलब ही है अपने स्वयं पर हँसना हैं। आज हम हँस रहे हैं क्योंकि हमारे पास दो आंखें हैं और इन आंखों के बिना दुनिया कुछ भी नहीं है। लोग दूसरों पर हँसते हैं लेकिन हमें अपने आप पर हँसना है। खो जाना है अपने आप में। धन्यवाद दे परमपिता परमेश्वर को की उन्होंने हमें गुर्दे और आंखें और बहुत सारी मूल्यवान चीज हमारे शरीर में प्रदान की है। हमारे शरीर में भगवान ने सैकड़ो ऐसी चीज दे रखी हैं जिनका कोई मुकाबला नहीं। इसलिए आत्म विश्लेषण बहुत जरूरी है। अपने आप में खो जाए। अपने आप का अवलोकन करे। जब भी आप उदास हो आप अपने आप को देखें। अपने बेशकीमती शरीर को देखें और खूब हँसे और हँसता हुआ ध्यान करें उनकी अनुकंपा हम पर बरस रही है उसे महसूस करें।

हँसता हुआ ध्यान कैसे करें?

  • हँसता हुआ ध्यान करने के लिए, सबसे पहले एक आरामदायक स्थिति में बैठ जाएं जैसे आलती पालती मार कर बैठना मतलब सुखासन में अर्ध पद्मासन पद्मासन या कुर्सी या सोफे के ऊपर कुल मिलाकर आरामदायक स्थिति में और अपने हाथों को अपने घुटनों पर रखें। अपनी आँखें बंद करें और अपने शरीर को आराम दें।
  • अब, अपने होंठों को खोलें और हँसने की आवाज निकालें। शुरू में, यह नकली हँसी की तरह लग सकता है, लेकिन जैसे-जैसे आप अभ्यास करते हैं, यह अधिक स्वाभाविक हो जाएगा।
  • अपनी हँसी को अपने पूरे शरीर में फैलने दें। अपने चेहरे, गर्दन, छाती और पेट को हिलाएं। अपनी हँसी को दिल से आने दें।
  • 10-15 मिनट तक हँसते रहें। उसके बाद अपनी आँखें खोलें और सामान्य स्थिति में लौटें।

लाभ:

  • मनोवैज्ञानिक लाभ: हंसता हुआ ध्यान तनाव, चिंता और अवसाद को कम करने में मदद कर सकता है। यह आत्म-सम्मान और आत्म-प्रेम को बढ़ावा देने में भी मदद कर सकता है।
  • शारीरिक लाभ: हंसता हुआ ध्यान रक्तचाप को कम करने, प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने और दर्द को कम करने में मदद कर सकता है।

हँसता हुआ ध्यान के लिए कुछ सुझाव:

  • अपने आप पर हँसें: हँसता हुआ ध्यान का सबसे अच्छा तरीका अपने आप पर हँसना है। अपने शरीर की विविधताओं और अपूर्णताओं को स्वीकार करें और उन पर हँसें।
  • अपनी हँसी को स्वाभाविक होने दें: शुरू में, आपकी हँसी नकली लग सकती है, लेकिन जैसे-जैसे आप अभ्यास करते हैं, यह अधिक स्वाभाविक हो जाएगी। अपनी हँसी को रोकने की कोशिश न करें, बस इसे बहने दें।
  • नियमित रूप से अभ्यास करें: हँसता हुआ ध्यान का अधिकतम लाभ उठाने के लिए, नियमित रूप से इसका अभ्यास करें।

तो प्यारे मित्रों हँसते मुस्कुराते रहो। दूसरों पर हँसने की बजाय हमेशा अपने ऊपर हँसिए। हँसने को अपनी जिंदगी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाये किसी भी हालत में अपनी खुशी के साथ कंप्रोमाइज नहीं करें क्योंकि अगले ही क्षण का हमें पता नहीं है। इसी के साथ आप सभी का जीवन हँसता खेलता आनंद में हो ।

स्वास्थ्य से आनंद की ओर झरना

लेखक: अंतराष्ट्रीय योगाचार्य ढाकाराम

प्रस्तावना:

प्रिय मित्रों, आज से हम एक ऐसी सीरीज शुरू कर रहे हैं जो आपके तन, मन और आत्मा में सुख, शांति और आनंद को पल्लवित और सुरभित करने में मदद करेगी।

योग का महत्व:

हम अक्सर यह प्रश्न करते हैं कि योग हमारे जीवन में क्यों और कितना महत्वपूर्ण है? वर्तमान में आम जनमानस में योग के बारे में अनेक भ्रांतियां फैली हैं। इसलिए हम सर्वप्रथम स्पष्ट करना चाहेंगे कि योग का मतलब सिर्फ शरीर को विभिन्न मुद्राओं और आकृतियों में तोड़ना, मरोड़ना मात्र नहीं है। योग का मतलब परम आनंद है और इसका प्रारंभ योग पथ पर अग्रणी किसी अनुभवी विशेषज्ञ और आचार्य के मार्गदर्शन में विधि विधान से किया जाना चाहिए।

योग का उद्देश्य:

हम जीवन में जो भी कार्य करते हैं, सुख, शांति और आनंद के लिए करते हैं। हम यह आनंद दूसरों में ढूंढते हैं, लेकिन यह भी सत्य है कि यह आनंद हमें दूसरा कोई नहीं दे सकता। इसलिए प्रश्न यह उठता है कि सुख, शांति और आनंद कहां और कैसे ढूंढा जाए? बस इसी दिशा में हम इस सीरीज में आप पाठकों से आगे संवाद जारी रखेंगे।

योग का अर्थ:

जब हम स्कूली शिक्षा में साधारणतया योग की बात करते हैं तो योग का साधारणतया मतलब होता है जोड़ना। एक और एक को जोड़ते हैं तो दो होता है। अगर हम शास्त्रों के अनुसार या आध्यात्म के क्षेत्र में बात करते हैं तो आत्मा का परमात्मा से मिलन ही योग है। आत्मा से परमात्मा का मिलना तो बहुत साधना की बात है पहले हम हमारे शरीर श्वास के साथ तो जुड़ जाए सांस और शरीर के साथ जुड़ने का मतलब है आसन क्रियाएं प्राणायाम और ध्यान करते हुए उसी में समा जाना।

योग की आवश्यकता:

आजकल के भागदौड़ के जीवन में अधिकांश व्यक्ति शरीर से भी ज्यादा मानसिक परेशान है। तनाव के साथ जिंदगी जी रहे हैं। योग ही एकमात्र ऐसी विधि है जो शरीर और मन की साधना अर्थात उनके स्वास्थ्य के साथ आध्यात्मिक विकास 100% में सहायता करती है।

योग के लाभ:

योग के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ निम्नलिखित हैं:

  • शारीरिक लाभ:
    • स्वस्थ शरीर
    • मजबूत मांसपेशियां
    • लचीला शरीर
    • बेहतर संतुलन
    • कम तनाव
    • बेहतर नींद
    • कम थकान
  • मानसिक लाभ:
    • कम चिंता
    • बेहतर ध्यान केंद्रित करने की क्षमता
    • बेहतर निर्णय लेने की क्षमता
    • अधिक सकारात्मक सोच
    • बेहतर आत्मविश्वास

  • आध्यात्मिक लाभ:
    • आंतरिक शांति
    • आत्म-ज्ञान
    • आत्म-साक्षात्कार

योग की शुरुआत कैसे करें?

यदि आप योग की शुरुआत करना चाहते हैं तो किसी अनुभवी योग विशेषज्ञ से मार्गदर्शन लें। योग की विभिन्न विधाएं हैं, इसलिए अपने लिए सबसे उपयुक्त विधा का चयन करें। योग आसन और प्राणायाम की शुरुआत में धीरे-धीरे शुरुआत करें और धीरे-धीरे समय बढ़ाएं।

योग की प्रतिबद्धता:

योग का लाभ तभी प्राप्त होता है जब आप नियमित रूप से योग करते हैं। इसलिए यह तय करें कि आप प्रतिदिन योग करेंगे। यदि आप प्रतिदिन योग नहीं कर सकते हैं तो भी सप्ताह में कम से कम तीन दिन योग करें।जैसे खाना खाना जरूरी है उसी प्रकार योग का करना भी अत्यंत अनिवार्य है एक दिन में 24 घंटे होते हैं और एक से डेढ़ घंटा योग में देकर 22 घंटा 30 मिनट सुंदर हो जाते हैं तो हमें लगता है डेढ़ घंटा आपको देना चाहिए ताकि साढ़े 22 घंटे बहुत ही खुशनुमा रहें।

निष्कर्ष:

योग एक ऐसी शक्तिशाली विधि है जो आपके जीवन को बदल सकती है। योग के माध्यम से आप शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ हो सकते हैं। इसलिए आज ही योग की शुरुआत करें और अपने जीवन में आनंद का अनुभव करें।

अंतर्राष्ट्रीय योगाचार्य ढाकाराम

YouTube Channel: YogacharyaDhakaRam

अन्य जानकारी:

  • इस सीरीज में हम योग के विभिन्न आसन, प्राणायाम और ध्यान के अभ्यास के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे।
  • हम प्रत्येक अभ्यास के लाभों और करने के तरीके के बारे में विस्तार से बताएंगे।
  • हम योग के लिए आवश्यक उपकरणों और सामग्रियों के बारे में भी जानकारी प्रदान करेंगे।

आशा है कि यह सीरीज आपके लिए उपयोगी होगी।

जीओ गीता वैश्विक अभियान के तहत योग पीस संस्थान में एक मिनट, एक साथ गीता पाठ संपन्न

*जीओ गीता वैश्विक अभियान के तहत योग पीस संस्थान में एक मिनट, एक साथ गीता पाठ संपन्न*

23 दिसंबर, गीता जयंती के तहत विश्व शांति, सदभाव, सुख समृद्धि, पर्यावरण शुद्धि एवं राष्ट्र गौरव वृद्धि के उद्देश्य से गीता मनीषी महामंडलेश्वर ज्ञानानंद महाराज की प्रेरणा से हुए वैश्विक अभियान के तहत योगापीस संस्थान में योगाचार्य एवं योग विद्यार्थियों ने प्रातः 11:00 बजे एक मिनट, एक साथ, सामुहिक गीता पाठ एवं गीता जी आरती की गई।

देश के साथ प्रदेशों से योग प्रशिक्षक का प्रशिक्षण प्राप्त करने आए योग विद्यार्थियों को योग पीस संस्थान के संस्थापक योग गुरु योगाचार्य ढाकाराम ने गीता जी के श्लोको का संस्कृत वाचन करवाने के साथ ध्यान भी करवाया एवं संस्थान के योग निदेशक आध्यात्मिक वक्ता एवं लेखक योगी मनीष भाई विजयवर्गीय ने श्लोको की हिंदी में व्याख्या करते हुए अंत में कहा कि योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण के श्री मुख से गाए गए गीत श्रीमद गीता जी का नियमित अध्ययन और चिंतन करने के साथ व्यवहारिक जीवन में जो उसे जिएगा उसकी बाहरी और आंतरिक दोनों जगत में उसकी विजय निश्चित है क्योंकि कृष्ण सदैव उनके साथ होंगे और जहां कृष्ण वहां विजय निश्चित और सुनिश्चित है। जीवन के संग्राम में हर कोई विजेता बने इसी लोक कल्याणकारी उद्देश्य से गीता जयंती पर विश्व भर में राष्ट्रीय संत महामंडलेश्वर ज्ञानानंद महाराज ने जीओ गीता वैश्विक आंदोलन चलाया है, जिसमें योगपीस संस्थान सहभागी बना है।

#geeta#geeta2023#गीतापाठसंपन्न

वृक्षासन: एक प्रभावी योग आसन

नमस्कार दोस्तों!

एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर कार्यक्रम में आप सभी का स्वागत है। आज हम बात करेंगे वृक्षासन के बारे में। वृक्षासन का मतलब है वृक्ष जैसी आकृति। यह एक प्रभावी योग आसन है जो शरीर और मन दोनों के लिए लाभदायक है।

सावधानियां:

  • इस आसन को करने के लिए हमें एकाग्रता चाहिए।
  • आसन को हमें धीरे-धीरे करना है जल्दबाजी में नहीं।
  • जो पैर हम ऊपर उठाते हैं उसका पंजा हमेशा नीचे की तरफ रहना चाहिए।
  • हमारे हाथ जब ऊपर होते हैं तो हमारे कान से सटे हुए होने चाहिए।
  • हमारा शरीर हमेशा एक सीध में रहना चाहिए। शरीर को एक सीध में रखने के लिए जांघों और नितंबों की मांसपेशियों को सिकोड़ कर रखें।
  • नमस्कार की मुद्रा में हमें उंगलियां को मोड कर नहीं रखना।

तरीका:

  1. एड़ी पंजों को मिलते हुए सीधे खड़े होंगे।
  2. अब धीरे से बाएं पैर उठाते हुए घुटने को मोड़ कर बाएं पैर के एड़ी को दाहिने जांघ के मूल में लगाएंगे।
  3. जब हमारा संतुलन यहां पर बन जाए तो ध्यान को एकाग्र करते हुए हाथों को धीरे-धीरे बगल से ऊपर की ओर उठाएंगे।
  4. जब दोनों हाथ हमारे कंधे के बराबर आ जाएं हाथों को कंधों से घुमाते हुए हथेलियां का रुख आकाश की ओर कर देंगे।
  5. अब हाथों को धीरे-धीरे ऊपर ले जाते हुए सिर के ऊपर पूरा तान देंगे।
  6. हमारे हाथों को हमारे सिर के ऊपर नमस्कार मुद्रा में रखते हुए हाथों को पूरा तानेंगे। कम से कम 1 मिनट हम यह आसान करेंगे।
  7. 1 मिनट आसान करने के बाद हम जिस प्रकार हाथों को ऊपर ले गए थे उसी प्रकार हम हाथों को धीरे-धीरे नीचे लाते हुए कंधों के बराबर लाकर हाथों को कंधों से घुमाएंगे। हथेलियां हमारी जमीन की तरफ रहेगी।
  8. धीरे-धीरे हम सम स्थिति में आकर अवलोकन करेंगे आसन करने से पहले और करने के बाद क्या फर्क हुआ।
  9. यही क्रिया हम अब अपनी दाहिने पैर से दोहराएंगे।

फायदे:

  • वृक्षासन करने से एकाग्रता आती है।
  • वृक्षासन करने से छाती, कमर, कंधों और हाथों में खिंचाव आता है जिससे रक्त का संचार संतुलित होता है।
  • इस आसन में शरीर का भार एक पैर पर होने के कारण पैर मजबूत होते हैं।
  • यह आसन करने से बच्चों में शारीरिक और मानसिक विकास होता है।
  • इस आसन को करने से हमारे पैरों की सम स्थिति में सुधार होता है।

निष्कर्ष:

वृक्षासन एक सरल और प्रभावी योग आसन है जो शरीर और मन दोनों के लिए लाभदायक है। इसे नियमित रूप से करने से हम एकाग्रता, शारीरिक शक्ति, और मान

गठिया के लिए मुष्टिकाबंध योगिक क्रिया

नमस्कार दोस्तों! आज हम बात करेंगे मुष्टिकाबंध योगिक क्रिया के बारे में। यह क्रिया करना बहुत ही आसान है और इसे कहीं भी किया जा सकता है। यह क्रिया हमारे कंधे, हाथों और उंगलियों की मांसपेशियों को शक्तिशाली बनाने में मदद करती है। यह क्रिया गठिया, टेनिस एल्बो और अन्य हाथों और कलाई की समस्याओं के लिए भी बहुत फायदेमंद है।

विधि:

  • कुर्सी पर बैठें या सोफे पर बैठें।
  • अपने हाथों को सामने फैला लें और उंगलियों को खोलें।
  • अपनी कमर को सीधा रखें।
  • अपने हथेलियों को आकाश की ओर रखें।
  • मुट्ठी को जोर से बंद करें।
  • मुट्ठी को खोलते हुए, अपनी हथेलियों और हाथों को फैलाने का प्रयास करें।
  • अपनी उंगलियों को जितना हो सके खोलें।
  • अपने कलाइयों को घुमाते हुए, अपनी कोहनी और कंधों को भी घुमाएं।
  • इस अवस्था में कम से कम 20 सेकंड रहें।
  • फिर, अपनी हथेलियों को आकाश की ओर रखते हुए, मुट्ठी को फिर से जोर से बंद करें।
  • इस अवस्था में भी कम से कम 20 सेकंड रहें।
  • इस क्रिया को 6 बार दोहराएं।
  • क्रिया को समाप्त करने के बाद, अपनी आंखें बंद करके अपने हाथों में झनझनाहट महसूस करें।

फायदे:

  • यह क्रिया हमारे कंधे, हाथों और उंगलियों की मांसपेशियों को मजबूत बनाती है।
  • यह गठिया, टेनिस एल्बो और अन्य हाथों और कलाई की समस्याओं के लिए फायदेमंद है।
  • यह क्रिया हमारी हथेलियों में आराम देती है।
  • यह क्रिया हमारी कलाई की समस्याओं में राहत देती है।

सावधानियां:

  • इस क्रिया को करते समय, अपनी आंखें बंद करके और अपना मन शांत करके करें।
  • इस क्रिया को हड़बड़ी में न करें।
  • अगर आपको कोई चोट है, तो इस क्रिया को करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें।

निष्कर्ष:

मुष्टिकाबंध योगिक क्रिया एक बहुत ही सरल और फायदेमंद क्रिया है। यह क्रिया हमारे कंधे, हाथों और उंगलियों की मांसपेशियों को मजबूत बनाने और गठिया, टेनिस एल्बो और अन्य हाथों और कलाई की समस्याओं को दूर करने में मदद करती है।

पाचन तंत्र को मजबूत बनाने के लिए योग

प्रमुख विशेषताएं:

  • योग पाचन तंत्र को मजबूत करने और पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है।
  • योग के आसन और प्राणायाम पाचन अंगों को मालिश करते हैं और तंत्रिका तंत्र को शाँत करते हैं, दोनों ही पाचन के लिए महत्वपूर्ण हैं।
  • योग पाचन तंत्र में सूजन को कम करने और पोषक तत्वों के अवशोषण को बढ़ाने में भी मदद कर सकता है।

योग और पाचन तंत्र:

अपने व्यस्त जीवन के बीच, हम अक्सर अपने पाचन तंत्र के महत्व को नजरअंदाज कर देते हैं, वह मुख्य कार्यकर्ता जो हमारे द्वारा उपभोग किए जाने वाले पोषक तत्वों को अथक रूप से संसाधित करता है। हालाँकि, जब हमारा पाचन स्वास्थ्य लड़खड़ाता है, तो यह हमारे समग्र स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है।

सौभाग्य से, पाचन शक्ति बनाए रखने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण मौजूद है – योग। योग, शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक विकास पर आधारित एक प्राचीन अभ्यास है, जिसका हमारे पाचन स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभ प्रदान करता है।

योग के आसन पाचन अंगों को मजबूत करते हैं

योग के आसन हमारी पाचन तंत्र के अंगों का मसाज करते हैं, जिससे वे सुचारू रूप से कार्य करने में मदद मिलती है। उदाहरण के लिए, सुप्त बद्ध कोणासन पेट के अंगों में विश्राम देकर और पेट में रक्त के प्रवाह को बढ़ाकर पाचन में सुधार करने में मदद करता है। अर्ध हलासन पेट के अंगों को विश्राम करके और पाचन तंत्र में रक्त के प्रवाह को बढ़ाकर पाचन में सुधार करने में मदद करता है।

प्राणायाम तंत्रिका तंत्र को शाँत करता है

तनाव और चिंता हमारे पाचन स्वास्थ्य पर कहर बरपा सकती है, जिससे अनियमित मल त्याग, एसिड रिफ्लक्स और यहां तक ​​​​कि अल्सर भी हो सकता है। योग के प्राणायाम तंत्रिका तंत्र को शाँत करने में मदद करते हैं, जिससे तनाव हार्मोन कम होते हैं जो पाचन तंत्र को दुरस्त करते हैं।

योग आँत माइक्रोबायोम स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है

आँत माइक्रोबायोम, हमारी आँतों में रहने वाले खरबों सूक्ष्मजीवों का एक समुदाय, पाचन और समग्र स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह देखा गया है कि योग आँत के माइक्रोबायोम पर सकारात्मक प्रभाव डालता है, संभावित रूप से सूजन को कम करता है और पोषक तत्वों के अवशोषण को बढ़ाता है।

योग सचेतनता और माइंड-गट कनेक्शन को बढ़ावा देता है

योग सचेतनता विकसित करता है, बिना किसी निर्णय के अपना ध्यान वर्तमान क्षण पर लाने का अभ्यास योग के माध्यम से ही संभव है। यह जागरूकता हमारे पाचन को प्रभावित करने वाले तनाव के कारणों को पहचानने और प्रबंधित करने में हमारी मदद करती है।

पाचन स्वास्थ्य के लिए योग: एक व्यावहारिक मार्गदर्शिका

योग को अपनी पाचन स्वास्थ्य दिनचर्या में शामिल करने के लिए, इन आसनों को अपने अभ्यास में शामिल करने पर विचार करें:

  • सुप्त बद्ध कोणासन
  • अर्ध हलासन
  • मलासन
  • बालासन
  • पाचन सद्भाव के लिए अतिरिक्त युक्तियाँ

सर्वोत्तम पाचन स्वास्थ्य के लिए योग अभ्यास के साथ-साथ इन आदतों को अपनी दैनिक दिनचर्या में शामिल करें:

  • जलयोजन: पाचन तंत्र को बेहतर बनाने के लिए तथा कब्ज जैसी समस्याओं से निपटने के लिए प्रतिदिन 8 से 10 गिलास पानी पीएं। पानी को धीरे-धीरे पिएं ताकि हमारे मुंह से सलाइवा भी अंदर जाए तथा हमारे पाचन तंत्र की मदद करे।
  • ध्यानपूर्वक भोजन करें: खाने को अच्छी तरह चबाकर खाएं।
  • फाइबर युक्त आहार: आँत के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए फाइबर युक्त फल, सब्जियां और साबुत अनाज का भरपूर सेवन करें।
  • नियमित योग: पाचन तंत्र को बेहतर करने और तनाव को कम करने के लिए नियमित योग करें।
  • तनाव प्रबंधन: प्राणायाम तथा ध्यान हमारे तनाव को कम करने की भूमिका निभाते हैं अतः नियमित योग अभ्यास करना चाहिए।

याद रखें, योग एक यात्रा है, जिस पर निरंतर अभ्यास करने की आवश्यकता है । अपने आप पर धैर्य रखें और अपने पाचन स्वास्थ्य और समग्र कल्याण के लिए योग के लाभों की आनंद लें। 

योग हमारी पाचन तंत्र के साथ हमारी संपूर्ण विकास शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक के लिए परिपूर्ण है इसलिए अपनी साधना निरंतर करते जाएं। 24 घंटे में से लगभग डेढ़ घंटा साधना को देखकर 22 घंटे 30 मिनिट को आनंदित बनाए जा सकता हैं। 

आप सभी खुश रहें मस्त रहें आनंदित रहें, सुप्रीम पावर परमेश्वर की अनुकंपा आप सभी पर बरस रही है और बरसती रहे, इसी प्रकार आपका प्यार मिलता रहे ताकि हम आगे और स्वास्थ्य से संबंधित ब्लाग और आर्टिकल आप लोगों के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाते रहें और विश्व कल्याण हो।

आनंदम योग शिविर आज

गलता पीठाधीश्वर स्वामी सम्पत कुमार अवधेशाचार्य महाराज के सानिध्य,विख्यात योग गुरु योगाचार्य ढाकाराम
की प्रेरणा एवं श्रीगलता पीठ के युवराज स्वामी राघवेन्द्र के मार्गदर्शन में जयपुर के तीर्थ श्री गलताजी मंदिर प्रांगण में
रविवार को आनंदम योग शिवर आयोजित होगा।

इस शिविर में आमंत्रण एवं योग के प्रति जागरूकता फैलाने के क्रम में आनंदम प्रकल्प के राष्ट्रीय प्रभारी योगी मनीष भाई विजयवर्गीय, शिविर की संयोजिका सीए अंजलि जैन, राजस्थान स्वास्थ्य योग परिषद के मुख्य प्रशिक्षक आनंद कृष्ण कोठारी, समाज सेवी राकेश गर्ग जनसेवीका नीता खेतान एवं समाज सेविका सन्तोष फतेहपुरिया (अध्यक्ष, महिल मण्डल श्री अग्रवाल समाज समिति जयपुर ) ने शहर के विभिन्न स्थानों पर जनसंपर्क किया।

इस दौरान मालवीय नगर विधानसभा के विधायक कालीचरण सराफ, सिविल लाइन विधायक गोपाल शर्मा एवं गौ सेवक समाजसेवी रवि नैय्यर से भी आयोजन समिति ने मुलाकात कर उन्हें सहयोग के लिए आमंत्रित किया है। सभी जनसेवकों ने ने योगपीस संस्थान की तरफ से योग की प्रति जन-जन में जागृति के लिए किए जा रहे प्रयासों की प्रशंसा करते हुए जयपुर के नागरिकों स्वास्थ्य लाभार्थ ऐसे शिविरों की नितांत अनिवार्य आवश्यकता बताई।

आनंदम प्रकल्प के राष्ट्रीय प्रभारी एवं शिविर के मुख्य समन्वयक योगी मनीष भाई विजयवर्गीय ने कहा कि जयपुर की पहचान छोटी आनंदम् शिविर काशी के रूप में है। शहर के मंदिरों में प्रतिदिन लाखों भक्तगण आते हैं।

इन भक्तों का तन पूर्ण स्वस्थ हो, शांत मन हो तो आत्म कल्याण सहज होता है। इसी उद्देश्य से जयपुर के मंदिरों में योग शिविर लगाने प्रारंभ किए हैं। इसके साथ ही शहर के लाखों विद्यार्थियों की बेहतरीन स्वास्थ्य के लिए भी कार्य योजना के तहत विभिन्न स्कूलों में भी आयोजित किए जाएंगे। इसी श्रृंखला में श्रीगलता पीठ द्वारा योगापीस संस्थान एवं अंजू देवी मेमोरियल ट्रस्ट
के सहयोग से रविवार 10 दिसंबर शाम 4 से 6 बजे तक मंदिर प्रांगण में आनंदम योग शिविर आयोजित किया जाएगा। इसमें योगाचार्य ढाकाराम योग प्रशिक्षण प्रदान करेंगे।