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भस्त्रिका प्राणायाम

भस्त्रिका नाम लुहार की धौंकनी जैसी वेगपूर्वक वायु भरने व निकालने की क्रिया की समानता से प्रेरित है। यह प्राणायाम शरीर को ऊर्जा से भरकर विषाक्त तत्वों का निष्कासन करता है।

विधि

  1. आसन: पद्मासन, अर्धपद्मासन या सुखासन (पालथी) में बैठें।
  2. शरीर स्थिति:
    • कमर, पीठ एवं गर्दन सीधी रखें
    • दोनों नितम्बों पर समान वजन
    • शरीर को तनावमुक्त रखें (विशेष ध्यान दें)
    • पेट की मांसपेशियाँ शिथिल, सीना फुला हुआ
  3. हस्त मुद्रा: दोनों हाथ घुटनों पर सामान्य स्थिति में।
  4. प्रारम्भ:
    • आँखें कोमलता से बंद कर अंतर्मुखी हो जाएँ
    • वेगपूर्वक श्वास लेते हुए दोनों बाँहों को सिर के ऊपर उठाएँ (फेफड़े पूर्णतया भरें)
    • हाथ नीचे लाते हुए वेगपूर्वक श्वास बाहर निकालें (फेफड़े पूर्णतः खाली हों)
  5. अवधि:
    • 4 मिनट तक लगातार दोहराएँ
    • अक्षमता होने पर 2 मिनट करें → 1 मिनट विश्राम → पुनः 2 मिनट (कुल 5 मिनट)
  6. समापन:
    • फेफड़ों को पूरी तरह खाली करें
    • श्वास को सहज भाव से आने-जाने दें
    • 1 मिनट तक आँखें बंद रखकर शरीर व श्वास का साक्षीभाव से निरीक्षण करें

विशेष निर्देश

  • बाँहों के ऊपर-नीचे होने पर शरीर में झटका/तनाव न आने दें
  • चेहरा सामान्य व तनावमुक्त रखें
  • श्वास लेने-छोड़ने का समय समान रखें (जैसे 2 सेकंड भरना, 2 सेकंड खाली करना)
  • श्वास “पूर्ण क्षमता” से भरें व “सम्पूर्णतया” खाली करें
  • अपना ध्यान श्वास क्रिया पर केन्द्रित रखें

लाभ

  • विषाक्त तत्वों का निष्कासन
  • वात-पित्त-कफ संतुलन
  • चयापचय (Metabolism) व रक्त-ऑक्सीजन में वृद्धि
  • फेफड़ों को पुष्ट करना (सर्दी-जुकाम, अस्थमा, निमोनिया, एलर्जी, कफ में विशेष लाभकारी)
  • ध्यान की तैयारी में सहायक

सावधानियाँ

नवसाधकों के लिए:

  • प्रारम्भ में सिरभारीपन/चक्कर आने पर विश्राम करें
  • पहले सामान्य गति से अभ्यास करें, फिर धीरे-धीरे गति बढ़ाएँ

निषेध (जिन्हें नहीं करना चाहिए)

  • उच्च/निम्न रक्तचाप
  • हृदय रोग
  • नकसीर (नाक से खून आना)
  • मिर्गी
  • चक्कर आने की समस्या

“भस्त्रिका प्राणायाम की वेगपूर्ण क्रिया शरीर में प्राण के प्रवाह को ठीक उसी प्रकार जागृत करती है जैसे लौहार की धौंकनी अंगारों में अग्नि। परिशुद्ध तकनीक व सजगता से ही यह रूपान्तरकारी परिणाम देती है।”
योगाचार्य ढाकाराम


वक्रासन (Whole Spinal Twist Pose)

अर्थ

इस आसन में शरीर की स्थिति वक्र (मुड़ी हुई) के समान होने के कारण इसे वक्रासन कहा जाता है। यह अर्धमत्स्येन्द्रासन का एक सरल रूप है।

विधि (करने का तरीका)

बाईं ओर से करने की विधि:

  1. प्रारंभिक स्थिति: कमर सीधी रखते हुए दण्डासन में बैठें।
  2. पैरों की स्थिति: बाएं पैर को मोड़कर, बाएं पैर का तलवा दाएं घुटने के बगल में रखें। बाएं घुटने की दिशा ऊपर (आसमान) की ओर होनी चाहिए।
  3. हाथों की स्थिति: दाएं हाथ को ऊपर उठाकर बाएं पैर के टखने या पंजे को पकड़ें।
  4. मरोड़ने की क्रिया: कमर से बाईं ओर मुड़ते हुए बाएं हाथ को पीछे जमीन पर रखें।
  5. गर्दन व दृष्टि: गर्दन को बाईं ओर घुमाकर पीछे की ओर देखें। शरीर को सीधा रखने का प्रयास करें।
  6. स्थिति में रुकें: इस अवस्था में 30 सेकंड से 1 मिनट तक बने रहें।
  7. वापस आना: धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में आकर विश्राम करें।

दाईं ओर से करने की विधि:

  1. प्रारंभिक स्थिति: कमर सीधी रखते हुए दण्डासन में बैठें।
  2. पैरों की स्थिति: दाएं पैर को मोड़कर, दाएं पैर का तलवा बाएं घुटने के बगल में रखें। दाएं घुटने की दिशा ऊपर की ओर होनी चाहिए।
  3. हाथों की स्थिति: बाएं हाथ को ऊपर उठाकर दाएं पैर के टखने या पंजे को पकड़ें।
  4. मरोड़ने की क्रिया: कमर से दाईं ओर मुड़ते हुए दाएं हाथ को पीछे जमीन पर रखें।
  5. गर्दन व दृष्टि: गर्दन को दाईं ओर घुमाकर पीछे की ओर देखें। शरीर को सीधा रखें।
  6. स्थिति में रुकें: इस अवस्था में 30 सेकंड से 1 मिनट तक बने रहें।
  7. वापस आना: धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में आकर विश्राम करें।

लाभ

  • रीढ़ की हड्डी को मजबूती: मेरुदंड की कशेरुकाएं व मांसपेशियाँ लचीली व मजबूत होती हैं।
  • पाचन तंत्र सुधारे: पेट की चर्बी घटाने व पाचन क्रिया को दुरुस्त करने में सहायक।
  • रोगों में लाभ: कब्ज, गैस, लीवर की कमजोरी, नसों की दुर्बलता और कमर दर्द से राहत।
  • मधुमेह नियंत्रण: डायबिटीज को कंट्रोल करने में फायदेमंद।

सावधानियाँ एवं संशोधन

  • गर्दन दर्द: यदि गर्दन में दर्द हो, तो ज्यादा पीछे न देखें।
  • शरीर सीधा रखें: कमर, पीठ और गर्दन को सीधा रखने का प्रयास करें।
  • संशोधन: यदि पैर का टखना पकड़ने में कठिनाई हो, तो ज़ोर न लगाएं। केवल धड़ को मोड़ने पर ध्यान दें या योगा ब्लॉक का सहारा लें।

इन स्थितियों में न करें:

  • मासिक धर्म के दौरान
  • गर्भावस्था में

योगाचार्य ढाका राम
संस्थापक, योगापीस संस्थान

स्वास्थ्य से आनंद की ओर: जल नेति क्रिया की महत्ता और सावधानियाँ

नमस्कार प्यारे दोस्तों! एक बार फिर आपका स्वागत है हमारे ब्लॉग “एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर” में। पिछली पोस्ट में हमने नौली क्रिया के बारे में चर्चा की थी, और आज हम बात करेंगे जल नेति क्रिया के बारे में, जो आपके ENT (कान, नाक, गला) से संबंधित सभी समस्याओं को दूर करने में सहायक है।

जल नेति क्रिया: क्या है और कैसे करें?

जल नेति क्रिया मुख्य रूप से नाक, कान और गले पर प्रभाव डालती है। यह ENT समस्याओं, जैसे साइनस, माइग्रेन, सर्दी, और अस्थमा से राहत देने में कारगर मानी जाती है।

जल नेति में उपयोग किए जाने वाले जल का प्रकार:
क्रिया के लिए हल्का नमकीन और गुनगुने पानी का उपयोग किया जाता है। पानी न अधिक गर्म होना चाहिए, न ही ठंडा। नमक की मात्रा हमारे आंसुओं की नमक के समान होनी चाहिए, ताकि यह सुरक्षित और प्रभावी रहे।

नेति पॉट का उपयोग:
जल नेति करने के लिए सबसे पहले आपको एक नेति पॉट की आवश्यकता होगी। नेति पॉट के माध्यम से आप गुनगुना पानी नाक के एक छिद्र से डालते हैं और इसे दूसरे छिद्र से बाहर निकालते हैं। इस प्रक्रिया में मुंह से सांस लेते रहें और आराम से पानी को नासिका में जाने दें। धीरे-धीरे यह क्रिया आपके लिए आसान हो जाएगी, भले ही शुरू में कठिन लगे।

जल नेति क्रिया के बाद की योगिक क्रियाएं

जल नेति के बाद यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि नासिका में कोई पानी शेष न रहे। इसके लिए कुछ योगिक क्रियाएं करना जरूरी है, ताकि श्वास मार्ग पूरी तरह से साफ हो सके।

  1. श्वास को वेग से बाहर निकालना:
    हल्का सा कमर झुकाएं और नाक से तेजी से श्वास बाहर निकालें।
  2. कटी शक्ति विकासक क्रिया x 5:
    दोनों पैरों को कंधों के समान दूरी पर रखें। हाथों को सामने की ओर रखें और दाएं-बाएं शरीर को घुमाते हुए तेजी से श्वास लें और छोड़ें।
  3. कटि शक्ति विकासक क्रिया x 3:
    सम स्थिति में खड़े होकर श्वास भरते हुए शरीर को पीछे की ओर झुकाएं और श्वास छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें।
  4. सूर्य नमस्कार:
    श्वास छोड़ने पर अधिक ध्यान केंद्रित करें।
  5. शशांक आसन:
    श्वास को धीरे-धीरे निकालें और फिर वज्रासन में बैठकर ध्यान केंद्रित करें।

जल नेति के फायदे

  • साइनस, माइग्रेन और सर्दी: जल नेति क्रिया से साइनस, माइग्रेन, सर्दी और अस्थमा में राहत मिलती है।
  • आंखों की रोशनी: यह क्रिया आंखों की रोशनी बढ़ाने में भी सहायक है।
  • ENT की समस्याएं: यह कान, नाक, और गले के लिए अत्यधिक लाभकारी है।

सावधानियां

  • पानी का तापमान गुनगुना होना चाहिए, न ज्यादा गर्म न ज्यादा ठंडा।
  • पानी में नमक की मात्रा आंसुओं के नमक के बराबर होनी चाहिए।
  • क्रिया के दौरान नासिका से श्वास न लें, बल्कि मुंह से ही सांस लें और छोड़ें।
  • किसी भी प्रकार की जल्दबाजी से बचें और क्रिया को धैर्य से करें।
  • क्रिया दोनों नासिका छिद्रों से समान रूप से करें।
  • जल नेति के बाद योगिक क्रियाएं करना अनिवार्य है, ताकि नासिका में कोई पानी न रहे और सर दर्द, माइग्रेन या सर्दी का खतरा न हो।

आप सभी का दिन शुभ रहे, मंगल में रहें और आनंदित रहे। सुप्रीम पावर परमेश्वर की अनुकंपा आप पर सदैव बरसती रहे और योग के मार्ग पर चलें।

योगाचार्य ढाकाराम
संस्थापक, योगापीस संस्थान

टखना और घुटने के दर्द के लिए गुल्फ नमन

नमस्कार दोस्तों!
“एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर” कार्यक्रम में आपका स्वागत है। आज हम बात करेंगे गुल्फ नमन के बारे में।

‘गुल्फ’ का अर्थ होता है टखना और ‘नमन’ का अर्थ होता है झुकाव या आगे-पीछे की गति। यह एक सरल पर बहुत प्रभावी यौगिक क्रिया है जो टखनों, पिंडलियों, घुटनों और जांघों को मजबूत व लचीला बनाने में मदद करती है। खासतौर पर, यह टखना और घुटने के दर्द को दूर करने के लिए बेहद फायदेमंद है।

गुल्फ नमन करने की विधि:

  1. प्रारंभिक स्थिति: सबसे पहले जमीन पर बैठ जाएं। अपने दोनों पैरों को सामने की ओर दंडासन की तरह सीधा फैलाएं। पैरों के बीच लगभग 1 से 1.5 फुट का फासला रखें।
  2. हाथों की स्थिति: अपने हाथों को कमर के पीछे जमीन पर रखें। छाती को खुला और सीधा रखें।
  3. पंजों को खींचना (अपनी ओर): दोनों पैरों के पंजों को मिलाकर उन्हें अपनी तरफ (घुटनों की दिशा में) खींचें। इस खिंचाव को लगभग 15-20 सेकंड तक बनाए रखें।
  4. पंजों को दबाना (जमीन की ओर): अब दोनों पैरों के पंजों को जमीन की तरफ दबाएं, जैसे जमीन को छूने का प्रयास कर रहे हों। इस स्थिति को भी 15-20 सेकंड तक बनाए रखें।
  5. चक्र दोहराएं: इस तरह “पंजे खींचना” (अपनी ओर) और “पंजे दबाना” (जमीन की ओर) का एक चक्र पूरा होता है। ऐसे तीन चक्र करें (यानी प्रत्येक क्रिया को तीन बार दोहराएं)।
  6. ध्यान केंद्रित करें: पैरों को खींचते और दबाते समय एड़ियों, टखनों, पिंडलियों, घुटनों और जांघों में होने वाले खिंचाव पर ध्यान दें।
  7. विश्राम: क्रिया पूरी करने के बाद पैरों को पूरी तरह ढीला छोड़ दें, विश्राम की स्थिति में ले आएं।
  8. परिवर्तन महसूस करें: गुल्फ नमन करने से पहले और बाद में अपने पैरों और जोड़ों में आए परिवर्तन को गहराई से महसूस करें।

गुल्फ नमन के लाभ:

  • टखनों, पिंडलियों, घुटनों और जांघों की मांसपेशियों व जोड़ों को मजबूत और लचीला बनाता है।
  • टखना और घुटने के दर्द को दूर करने में विशेष रूप से सहायक है।
  • पैरों में रक्त संचार में सुधार करता है।
  • वैरिकोज़ वेंस (Varicose Veins / नसों में सूजन) की समस्या के लिए भी बहुत लाभदायक है।

गुल्फ नमन करते समय सावधानियाँ:

  • धीमी गति: क्रिया को हमेशा धीरे-धीरे और सहजता से करें। जल्दबाजी करने से इसका प्रभाव कम हो जाता है।
  • पैरों की स्थिति: दोनों पैरों के एड़ियों और पंजों को हमेशा आपस में मिलाकर रखें। इससे पैरों पर समान और पूरा खिंचाव आता है।
  • भाव-भंगिमा: क्रिया करते समय आँखें बंद रखें और चेहरे पर हल्की मुस्कान बनाए रखें। सहज और शांत भाव से करें।
  • विश्राम: प्रत्येक चक्र के बाद और अंत में शरीर, विशेषकर पैरों को पूरी तरह ढीला छोड़ दें

गुल्फ नमन कितनी बार करें?

  • जिन लोगों को टखनों, पिंडलियों, घुटनों या जांघों में दर्द या अकड़न है, उन्हें दिन में तीन बार (सुबह, दोपहर और शाम) गुल्फ नमन करना चाहिए। (प्रत्येक बार 3 चक्र)।
  • सामान्य स्वास्थ्य के लिए भी इसे दिन में एक या दो बार किया जा सकता है।

गुल्फ नमन एक अत्यंत सरल, सुविधाजनक और प्रभावी योग क्रिया है। यह निचले अंगों के जोड़ों और मांसपेशियों के स्वास्थ्य के लिए अद्भुत काम करती है। नियमित अभ्यास से आप इन क्षेत्रों में होने वाले दर्द और अकड़न से मुक्ति पा सकते हैं। सबसे खास बात यह है कि आप इसे अपने बिस्तर पर भी आसानी से कर सकते हैं! बस ध्यान रखें कि बिस्तर न तो बहुत नरम (स्पंजी) होना चाहिए और न ही बहुत कठोर। मध्यम कठोरता वाला बिस्तर सबसे उपयुक्त है।

इसी के साथ, आप सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद! आप सभी को हमारा मुस्कुराता हुआ नमन।
अधिक जानकारी के लिए: www.DhakaRam.com

योगाचार्य ढाकाराम
संस्थापक, योगापीस संस्थान

सही सम स्थिति में खड़े होने का महत्व: स्वास्थ्य और संतुलन होने का रहस्य

आप सभी को हमारा मुस्कुराता हुआ नमस्कार! “एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर” कार्यक्रम में आप सभी का स्वागत है। आज हम बात करेंगे खड़े होने की सम स्थिति के बारे में।

सम स्थिति क्या है?

सम स्थिति का अर्थ है संतुलन बनाए रखने की अवस्था। इस स्थिति में, हमारे शरीर के दोनों हिस्से समान होते हैं। जब हम सम स्थिति में खड़े होते हैं, तो हमारे दोनों पैरों पर शरीर का समान भार होता है। सम स्थिति में खड़े होने पर घुटनों, पिंडलियों, जांघों, कमर आदि में दर्द नहीं होता। यदि हम शरीर के भार को एक तरफ ज्यादा रखते हैं, तो हमारे शरीर की संरचना विकृत हो जाती है।

सही तरीके से कैसे खड़े हों?

आप सोच रहे होंगे कि खड़े होने में नया क्या है? हम सभी रोज खड़े होते हैं। लेकिन, ध्यान से देखने पर पता चलेगा कि हम अपने दोनों पैरों पर शरीर का समान भार नहीं रखते हैं।

यहाँ सही तरीका बताया गया है:

  1. कंधों जितना फासला रखकर खड़े हो जाएं।
  2. देखें कि आपके कौन से पैर पर ज्यादा भार है।
  3. एड़ी या पंजे पर कहां पर ज्यादा भार है?
  4. दाहिने पैर या बाएं पैर पर?
  5. ज्यादातर लोगों के पैर के पंजे बाहर की तरफ और एड़ी अंदर की तरफ होती है। इस स्थिति में खड़े होने पर हमारा पेट आगे की तरफ निकलता है और कमर में भारीपन लगता है।
  6. अब, अपने पंजों को अंदर की तरफ और एड़ियां बाहर की तरफ निकालें।
  7. खड़े होकर देखें, आपकी कमर अपने आप सीधी हो जाएगी।
  8. दोनों पंजों को अंदर करने पर पेट अंदर की ओर जाता है और छाती तन जाती है।
  9. दोनों पंजों को अंदर करने पर हमारे नितंब भी सिकुड़ जाते हैं।

आपने देखा होगा कि जब बच्चा चलना सीखता है, तो उसके पंजे अंदर की तरफ होते हैं। यह एक प्राकृतिक स्थिति है। मॉडल्स भी रैंप पर इसी स्थिति में चलती हैं।

महिलाओं के लिए विशेष सुझाव:

मेरी माता व बहनों से विशेष आग्रह है कि वे आजकल खाना खड़े होकर बनाती हैं, और खाना बनाते समय एक तरफ झुक कर खड़ी होती हैं। आप भी सम स्थिति में खड़े होकर खाना बनाएं।

अभ्यास:

आप इसका अभ्यास थोड़े-थोड़े समय के लिए कर सकते हैं। धीरे-धीरे यह आपकी आदत में शामिल हो जाएगा।

विशेष सुझाव:

  • सम स्थिति में पंजे अंदर की ओर और एड़ियां बाहर की तरफ रखकर खड़े होना चाहिए।
  • यदि आपको पंजे बाहर रखकर खड़े होने की आदत है, तो दिन भर के लिए इस स्थिति में न रहें। थोड़े-थोड़े समय के लिए पंजों को अंदर करके खड़े हों, और धीरे-धीरे इसे अपनी आदत में शामिल करें।

फायदे:

  • सम स्थिति में खड़े होने से हमारे शरीर की संरचना सही रहती है।
  • कमर दर्द, पैरों में दर्द, घुटनों में दर्द, एड़ियों में दर्द और जांघों में दर्द नहीं होता है।

आप सभी का बहुत-बहुत आभार, बहुत-बहुत धन्यवाद। आपका दिन मंगलमय हो!

योगाचार्य ढाकाराम

संस्थापक, योगापीस संस्थान

जांघों और नितंबों की चर्बी कम करें

एक पाद वृत्ताकार क्रिया

आप सभी का हमारे विशेष कार्यक्रम “एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर” में हार्दिक स्वागत है। आशा है कि आप सभी मस्त और आनंदित होंगे। आज हम “एक पाद वृत्ताकार क्रिया” के बारे में जानेंगे। यह अभ्यास शरीर को लचीला बनाने और स्वास्थ्य लाभ देने में मदद करता है।

एक पाद वृत्ताकार क्रिया करने की विधि

  1. सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं
  2. अपने कोहनियों के ऊपर शरीर का भार रखें और छाती को ऊपर उठाएं
  3. पैर जमीन पर सीधे रखें और गर्दन विश्राम की अवस्था में रहे
  4. दोनों कोहनियों को एक-दूसरे के पास रखें ताकि छाती अच्छी तरह खुल जाए।
  5. दाएं पैर को ऊपर उठाएं और धीरे-धीरे दक्षिणावृत (घड़ी की दिशा में) बड़ा गोला बनाएं। इसे 4 से 6 बार दोहराएं।
  6. दाएं पैर को नीचे रखकर, बाएं पैर से भी यही प्रक्रिया दोहराएं
  7. अब दाएं पैर को ऊपर उठाएं और वामावृत्त (घड़ी की विपरीत दिशा में) बड़ा गोला बनाएं। इसे 4 से 6 बार दोहराएं।
  8. इसी प्रकार बाएं पैर से भी वामावृत्त क्रिया करें
  9. सभी क्रियाएं पूरी करने के बाद विश्राम करें। फिर बगल की तरफ करवट लेकर धीरे-धीरे बैठ जाएं
  10. एक गोला बनाने में कम से कम 15-20 सेकंड का समय लें

विशेष ध्यान दें:

  • जिन्हें कंधों या कमर में अधिक दर्द हो, वे यह क्रिया लेटकर भी कर सकते हैं
  • लेटकर करने पर हाथों को कमर के पास रखना चाहिए

एक पाद वृत्ताकार क्रिया के लाभ

  • जांघों और नितंबों की चर्बी कम करता है।
  • पाचन तंत्र को दुरुस्त करता है।
  • मांसपेशियों को लचीला बनाता है।
  • कंधों और गर्दन की मांसपेशियों के लिए फायदेमंद है।

सावधानियां

  • इस क्रिया को लेटकर न करें, बल्कि कोहनियों के बल करें
  • दक्षिणावृत और वामावृत्त घुमाव बराबर संख्या में करें
  • पैर गोलाकार घुमाते समय घुटनों को सीधा और खींचकर रखें
  • दोनों पैरों से समान संख्या में दक्षिणावृत और वामावृत्त घुमाव करना आवश्यक है।

आप सभी का बहुत-बहुत आभार एवं धन्यवाद! स्वस्थ रहें, मस्त रहें और आनंदित रहें। अपने जीवन को खूबसूरत बनाने के लिए रोज़ कम से कम 1 से 1.5 घंटे योग का अभ्यास अवश्य करें

योगाचार्य ढाका राम
संस्थापक, योगापीस संस्थान

3 मिनट में पैरों का दर्द कम करें: गुल्फ नमन क्रिया

नमस्कार! एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर कार्यक्रम में आपका स्वागत है। आज हम आपके लिए गुल्फ नमन क्रिया लेकर आए हैं, जो पैरों के दर्द से राहत पाने का एक प्रभावी योग अभ्यास है। यदि आपकी एड़ियों, पिंडलियों, घुटनों और जांघों में दर्द रहता है, तो यह क्रिया आपके लिए बहुत उपयोगी हो सकती है। आइए जानते हैं इसके लाभ और इसे करने की विधि।

गुल्फ नमन क्रिया क्या है?

गुल्फ का अर्थ है टखना, और नमन का अर्थ है नमस्कार, यानी टखनों को गति देना। यह क्रिया टखनों से लेकर जांघों तक की मांसपेशियों को सक्रिय करती है और रक्त संचार में सुधार लाती है।

गुल्फ नमन क्रिया करने की विधि

  1. दंडासन में बैठें – पैरों को सामने फैलाएं और उनके बीच 1 से 1.5 फुट का अंतर रखें।
  2. कमर व गर्दन सीधी रखें, कंधे तने हुए हों और दोनों हाथों को पीछे टिकाएं।
  3. एड़ियों और पंजों को मिलाएं, फिर पंजों को शरीर की ओर खींचें और 20 सेकंड तक रोकें।
  4. अब पंजों को विपरीत दिशा में खींचें और ज़मीन को छूने का प्रयास करें।
  5. इस क्रिया को 3-4 बार दोहराएं, फिर पैरों को विश्राम अवस्था में छोड़कर आंखें बंद करें और शरीर में हुए बदलावों को महसूस करें।

महत्वपूर्ण सुझाव

गति नियंत्रित रखें – तेज़ी से करने पर यह क्रिया केवल टखनों तक सीमित रहती है, जबकि धीमी गति से करने पर इसका प्रभाव मांसपेशियों के गहरे स्तर तक जाता है।
ध्यान केंद्रित करें – आंखें बंद करके टखनों, एड़ियों, पिंडलियों, घुटनों और जांघों की मांसपेशियों पर ध्यान दें।
नियमित अभ्यास करें – जिन लोगों को पैरों में दर्द रहता है, उन्हें दिन में 3 बार यह क्रिया करनी चाहिए।
समय निर्धारित करेंकम से कम 2 मिनट तक क्रिया करें और 1 मिनट तक शरीर में हुए बदलावों का अवलोकन करें।

गुल्फ नमन क्रिया के लाभ

पैरों के दर्द में राहत
टखनों, एड़ियों, पिंडलियों, घुटनों और जांघों की मांसपेशियों को मजबूती
रक्त संचार में सुधार
पैरों में हल्कापन और ऊर्जा का संचार

सावधानियां

❌ यदि पंजे खींचते समय एड़ियां ज़मीन से उठती हैं, तो इस पर ध्यान न दें।
❌ यदि 2-3 हफ्ते तक यह क्रिया करने के बाद भी आराम न मिले, तो विटामिन D की जांच करवाएं

स्वस्थ रहें, योग अपनाएं!

आप सभी स्वस्थ, मस्त और आनंदित रहें। अपने जीवन को सुंदर बनाने के लिए नियमित योग का अभ्यास करें

योगाचार्य ढाका राम
संस्थापक, योगापीस संस्थान

योग थेरेपी: एक चिकित्सा पद्धति

हरि ओम! आप सभी को मुस्कुराता हुआ स्वागत है। आज हम बात करेंगे योग थेरेपी के बारे में।

थेरेपी क्या है?

थेरेपी का मतलब होता है चिकित्सा। चिकित्सा का अर्थ है किसी भी बीमारी का निदान करना। दुनिया में लगभग 135 तरह की चिकित्सा पद्धतियां हैं, जैसे एलोपैथी, होम्योपैथी, आयुर्वेद आदि। इन सभी पद्धतियों का उद्देश्य शरीर में होने वाली बीमारियों को ठीक करना है।

योग थेरेपी क्या है?

योग थेरेपी में, योग आसन, प्राणायाम और ध्यान का उपयोग करके विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का उपचार किया जाता है। यह एक प्राकृतिक और सुरक्षित तरीका है, जो शरीर और मन दोनों को स्वस्थ रखने में मदद करता है।

योग थेरेपी के लाभ:

  • शारीरिक लाभ: मांसपेशियों को मजबूत बनाता है, लचीलापन बढ़ाता है, रक्त संचार को बेहतर बनाता है, पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है।
  • मानसिक लाभ: तनाव और चिंता को कम करता है, नींद की गुणवत्ता में सुधार करता है, मन को शांत और स्थिर बनाता है, आत्मविश्वास बढ़ाता है।
  • भावनात्मक लाभ: भावनात्मक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है, आत्म-जागरूकता बढ़ाता है, जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करता है।

योग थेरेपी सभी के लिए है:

योग थेरेपी किसी भी उम्र या फिटनेस स्तर के व्यक्ति के लिए उपयुक्त है। यहां तक ​​कि बुजुर्ग लोग भी, जो शारीरिक रूप से कमजोर हैं, योग थेरेपी के माध्यम से अपने स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं। इसके लिए, आसनों को संशोधित किया जा सकता है और सहायक उपकरणों का उपयोग किया जा सकता है।

योग थेरेपी के लिए एक अच्छे गुरु का महत्व:

एक अच्छे योग गुरु के मार्गदर्शन में योग थेरेपी करना बहुत महत्वपूर्ण है। एक योग गुरु आपको सही तकनीक सिखाएगा, आपकी प्रगति की निगरानी करेगा और आपको प्रेरित करेगा।

निष्कर्ष:

योग थेरेपी एक शक्तिशाली चिकित्सा पद्धति है, जो शरीर और मन दोनों को स्वस्थ रखने में मदद करती है। यदि आप अपने स्वास्थ्य में सुधार करना चाहते हैं, तो योग थेरेपी एक उत्कृष्ट विकल्प है।

ध्यान दें: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए, कृपया एक योग विशेषज्ञ या चिकित्सक से परामर्श लें।

हरि ओम!

पाँच प्रमुख योग आसनों से अपने जीवन को बदलें

हरि ओम आप सभी को हमारा मुस्कुराता हुआ नमन। आप सब कैसे हैं? बहुत अच्छे होंगे, एकदम स्वस्थ और आनंद से भरे हुए होंगे। इस कार्यक्रम में आपका मुस्कुराता हुआ स्वागत है, प्यारे मित्रों।

आज हम बात करेंगे उन पांच आसनों पर जो हमें नियमित करना ही चाहिए। हमें ऐसा लगता है कि ये पांच आसन हमारे पूरे शरीर को, सिर से पैर तक, स्वस्थ रखने के लिए पर्याप्त हैं।

आपको समझना होगा कि ये आसन क्यों महत्वपूर्ण हैं। जब तक हम उस विधि को नहीं समझेंगे, तब तक हम उसको दिल से नहीं करेंगे। मैं कहता हूं कि इन आसनों के साथ हम सिर्फ योग नहीं कर रहे हैं, बल्कि अपने जीवन को बदल रहे हैं।

आपको मालूम है कि जब हम योगासन करते हैं तो हमारे लिए क्या मायना रखता है? दो आसन हमारे पैरों के लिए हैं, और दो आसन हमारे स्पाइन के लिए हैं।

हमने पहले एक वीडियो बनाया था कि पैदल चलना अपने आप में पूर्ण व्यायाम नहीं है। उस समय हमने आपसे चर्चा की थी कि पांच आसनों का क्या सीक्वेंस होना चाहिए। उसी चीजों को ध्यान में रखते हुए आज हम आपको बता रहे हैं कि पांच आसन क्या हैं।

  • ताड़ासन: इससे हमारा स्पाइन में स्ट्रेच आता है। ताड़ासन के फायदे आप बहुत अच्छी तरह से जानते हैं। हमारे YouTube चैनल पर ताड़ासन के बारे में एक पूरा वीडियो है।
  • कोणासन: इससे हमारा स्पाइन दाई और बाई तरफ मोड़ जाता है। इस आसन के फायदे बहुत हैं।
  • कटि चक्रासन: यह एक ट्विस्टिंग पोज है।
  • अर्ध चक्रासन: यह एक बैक बेंडिंग पोज है।
  • उत्तानासन: यह एक फ्रंट बेंडिंग पोज है।

इन आसनों को एक बार हम साथ में करके देखेंगे। उसके बाद आपको इन आसनों के बारे में बहुत गहराई से जानना है। हम आपको बताएंगे कि इन आसनों को कैसे करना चाहिए और इनको करने के लिए कितना समय चाहिए।

इन पांच आसनों के माध्यम से आप अपने शरीर को शुद्धिकरण कर सकते हैं और अपने स्पाइन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।

अब, हम ताड़ासन करेंगे।

  • हम समस्थिति में खड़े हो जाएंगे अपने अपने स्थान पर।
  • ताड़ासन के लिए पैरों को मिलाएंगे, थोड़ा सा पीछे से खुला हुआ रखेंगे, हथेलियां जांघों के ऊपर रखेंगे।
  • धीरे-धीरे अपने हाथों को बगल से उठाएंगे और रोल ओवर शोल्डर करेंगे। दाहिना हाथ दाहिनी तरफ खींचेंगे, बाया हाथ बाई तरफ खींचेंगे। अपनी क्षमता के अनुसार अधिकतम स्ट्रेच करें।
  • फिर धीरे-धीरे अपने हाथों को ऊपर ले जाएंगे, हथेलियां आपस में मिलाएंगे, और छत की तरफ हाथों को पूरा ऊपर तानेंगे।
  • वहीं स्ट्रेचिंग करते हुए अपने बटक्स को टाइट करेंगे, घुटने की मांसपेशियों को टाइट करेंगे, जांघों को टाइट करेंगे, पेट की मांसपेशियों को भी टाइट करेंगे।
  • छाती को फुला दें और स्पाइन को स्ट्रेच करें।

यह आसन हमारे रीढ़ की हड्डी, हाथों, पैरों, फेफड़ों और हृदय के लिए बहुत फायदेमंद है। आप इस आसन को नियमित रूप से अभ्यास कर सकते हैं।

अब, हम कोणासन करेंगे।

  • खड़े हो जाएं और अपने पैरों को कंधे की चौड़ाई के बराबर रखें।
  • अपने हाथों को ऊपर उठाएं और उन्हें अपने सिर के ऊपर से जोड़ें।
  • अपने शरीर को दाईं ओर झुकाएं, अपने दाहिने हाथ को अपने दाहिने पैर के ऊपर रखें और बाएं हाथ को ऊपर उठाएं।
  • अपनी दाहिनी तरफ स्ट्रेच करें और फिर बाएं तरफ भी यही प्रक्रिया दोहराएं।

अब, हम कटि चक्रासन करेंगे।

  • कटि चक्रासन के लिए पैरों में कंधे जितना फासला रखेंगे, हाथों को बगल से उठाएंगे, और फिर अपने शरीर को दाहिनी तरफ ले जाएंगे। दाहिने हाथ को पीछे से लाकर अपने नाभी को छूने की कोशिश करेंगे।
  • बाया हाथ को राइट शोल्डर पर रखेंगे और ज्यादा से ज्यादा ट्विस्ट करेंगे।
  • फिर रिलैक्स करेंगे और इसी तरह से बाएं तरफ भी ट्विस्ट करेंगे।

अब, हम अर्ध चक्रासन करेंगे।

  • अर्ध चक्रासन के लिए अपने हाथों को कमर पर रखें
  • अब अपनी छाती को फुलाइए तथा धीरे-धीरे पीछे की ओर जाइए
  • अपनी क्षमता के अनुसार अपने शरीर को अधिक से अधिक पीछे की ओर मोड़िए
  • अंत में धीरे-धीरे वापस आइए तथा शरीर को सीधा कर लीजिए

अब, हम उत्तानासन करेंगे।

  • खड़े हो जाएं और अपने पैरों को एक साथ रखें।
  • अपने हाथों को ऊपर उठाएं और फिर धीरे-धीरे आगे की ओर झुकते जाएं।
  • अपने हाथों से अपने टखनों को पकड़ने की कोशिश करें।

ये पांच आसन आपके जीवन में बहुत उपयोगी हैं। ये आसन आपके मस्तिष्क के लिए भी बहुत अच्छे हैं।

अब आप इन आसनों को नियमित रूप से अभ्यास करें और अपने जीवन को बदलें।

सोफे और कुर्सी पर बैठने का सही तरीका: कमर दर्द से बचाव

आप सभी को हमारा मुस्कुराता हुआ नमस्कार। एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर कार्यक्रम में आप सभी का फिर से स्वागत है। आज हम बात करेंगे आप सोफे पर कैसे बैठे और अपने आप को इससे होने वाली तकलीफों से बचाए। गलत तरीके से बैठने से कमर दर्द, स्लिप डिस्क और अन्य समस्याएं हो सकती हैं।

सोफे पर बैठते समय:

  • ठोस सोफा चुनें: नरम सोफे से कमर पर दबाव बढ़ता है।
  • कंबल या बेडशीट का उपयोग करें: यह कमर को सीधा रखने में मदद करता है।
  • घुटने कूल्हे से नीचे रखें: पैर लटकाकर न बैठें।
  • सीधे बैठें: छाती फूली रहेगी और ऑक्सीजन का प्रवाह बेहतर होगा।

कुर्सी पर बैठते समय:

  • कमर सीधी रखें: आगे झुककर न बैठें।
  • टेबल ऊंची रखें: झुककर काम करने से बचें।
  • पैर जमीन पर टिकाएं: घुटने कूल्हे से नीचे रखें।

पैर लटकाकर बैठने के नुकसान:

  • पैरों में सूजन
  • कमर दर्द
  • स्लिप डिस्क

आप भी आज से ही सही तरीके से बैठने की आदत डालें।

अतिरिक्त टिप्स:

  • अपने बैठने की आदतों पर ध्यान दें।
  • हर 30 मिनट में उठकर थोड़ा टहलें।
  • नियमित रूप से योग और व्यायाम करें।
  • अच्छी मुद्रा बनाए रखें।

तो प्यारे मित्रों इसी के साथ आपका बहुत-बहुत धन्यवाद बहुत-बहुत आभार,

योगाचार्य ढाका राम
संस्थापक योगापीस संस्थान
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