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टखना और घुटने के दर्द के लिए गुल्फ नमन

नमस्कार दोस्तों!
“एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर” कार्यक्रम में आपका स्वागत है। आज हम बात करेंगे गुल्फ नमन के बारे में।

‘गुल्फ’ का अर्थ होता है टखना और ‘नमन’ का अर्थ होता है झुकाव या आगे-पीछे की गति। यह एक सरल पर बहुत प्रभावी यौगिक क्रिया है जो टखनों, पिंडलियों, घुटनों और जांघों को मजबूत व लचीला बनाने में मदद करती है। खासतौर पर, यह टखना और घुटने के दर्द को दूर करने के लिए बेहद फायदेमंद है।

गुल्फ नमन करने की विधि:

  1. प्रारंभिक स्थिति: सबसे पहले जमीन पर बैठ जाएं। अपने दोनों पैरों को सामने की ओर दंडासन की तरह सीधा फैलाएं। पैरों के बीच लगभग 1 से 1.5 फुट का फासला रखें।
  2. हाथों की स्थिति: अपने हाथों को कमर के पीछे जमीन पर रखें। छाती को खुला और सीधा रखें।
  3. पंजों को खींचना (अपनी ओर): दोनों पैरों के पंजों को मिलाकर उन्हें अपनी तरफ (घुटनों की दिशा में) खींचें। इस खिंचाव को लगभग 15-20 सेकंड तक बनाए रखें।
  4. पंजों को दबाना (जमीन की ओर): अब दोनों पैरों के पंजों को जमीन की तरफ दबाएं, जैसे जमीन को छूने का प्रयास कर रहे हों। इस स्थिति को भी 15-20 सेकंड तक बनाए रखें।
  5. चक्र दोहराएं: इस तरह “पंजे खींचना” (अपनी ओर) और “पंजे दबाना” (जमीन की ओर) का एक चक्र पूरा होता है। ऐसे तीन चक्र करें (यानी प्रत्येक क्रिया को तीन बार दोहराएं)।
  6. ध्यान केंद्रित करें: पैरों को खींचते और दबाते समय एड़ियों, टखनों, पिंडलियों, घुटनों और जांघों में होने वाले खिंचाव पर ध्यान दें।
  7. विश्राम: क्रिया पूरी करने के बाद पैरों को पूरी तरह ढीला छोड़ दें, विश्राम की स्थिति में ले आएं।
  8. परिवर्तन महसूस करें: गुल्फ नमन करने से पहले और बाद में अपने पैरों और जोड़ों में आए परिवर्तन को गहराई से महसूस करें।

गुल्फ नमन के लाभ:

  • टखनों, पिंडलियों, घुटनों और जांघों की मांसपेशियों व जोड़ों को मजबूत और लचीला बनाता है।
  • टखना और घुटने के दर्द को दूर करने में विशेष रूप से सहायक है।
  • पैरों में रक्त संचार में सुधार करता है।
  • वैरिकोज़ वेंस (Varicose Veins / नसों में सूजन) की समस्या के लिए भी बहुत लाभदायक है।

गुल्फ नमन करते समय सावधानियाँ:

  • धीमी गति: क्रिया को हमेशा धीरे-धीरे और सहजता से करें। जल्दबाजी करने से इसका प्रभाव कम हो जाता है।
  • पैरों की स्थिति: दोनों पैरों के एड़ियों और पंजों को हमेशा आपस में मिलाकर रखें। इससे पैरों पर समान और पूरा खिंचाव आता है।
  • भाव-भंगिमा: क्रिया करते समय आँखें बंद रखें और चेहरे पर हल्की मुस्कान बनाए रखें। सहज और शांत भाव से करें।
  • विश्राम: प्रत्येक चक्र के बाद और अंत में शरीर, विशेषकर पैरों को पूरी तरह ढीला छोड़ दें

गुल्फ नमन कितनी बार करें?

  • जिन लोगों को टखनों, पिंडलियों, घुटनों या जांघों में दर्द या अकड़न है, उन्हें दिन में तीन बार (सुबह, दोपहर और शाम) गुल्फ नमन करना चाहिए। (प्रत्येक बार 3 चक्र)।
  • सामान्य स्वास्थ्य के लिए भी इसे दिन में एक या दो बार किया जा सकता है।

गुल्फ नमन एक अत्यंत सरल, सुविधाजनक और प्रभावी योग क्रिया है। यह निचले अंगों के जोड़ों और मांसपेशियों के स्वास्थ्य के लिए अद्भुत काम करती है। नियमित अभ्यास से आप इन क्षेत्रों में होने वाले दर्द और अकड़न से मुक्ति पा सकते हैं। सबसे खास बात यह है कि आप इसे अपने बिस्तर पर भी आसानी से कर सकते हैं! बस ध्यान रखें कि बिस्तर न तो बहुत नरम (स्पंजी) होना चाहिए और न ही बहुत कठोर। मध्यम कठोरता वाला बिस्तर सबसे उपयुक्त है।

इसी के साथ, आप सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद! आप सभी को हमारा मुस्कुराता हुआ नमन।
अधिक जानकारी के लिए: www.DhakaRam.com

योगाचार्य ढाकाराम
संस्थापक, योगापीस संस्थान

एक पाद सुप्त पादांगुष्ठासन: स्वास्थ्य से आनंद की ओर एक कदम

प्यारे मित्रों,
आप सभी को हमारा मुस्कुराता हुआ नमस्कार।
‘एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर’ कार्यक्रम में आपका हार्दिक स्वागत है।

आज हम जिस योगासन की बात करने जा रहे हैं, वह है एक पाद सुप्त पादांगुष्ठासन। यह आसन खासतौर पर पैरों से जुड़ी समस्याओं में अत्यंत लाभदायक है। जिन लोगों को एड़ियों, पिंडलियों, घुटनों या जांघों में दर्द रहता है, उन्हें यह आसन दिन में तीन बार अवश्य करना चाहिए। यह न केवल पैरों को मजबूती प्रदान करता है बल्कि रीढ़ की हड्डी में लचक भी बढ़ाता है।

आसन करने की विधि:

पहला चरण (दाहिने पैर से):

  1. सबसे पहले शवासन में लेट जाएं।
  2. दाहिने पैर को मोड़कर छाती की ओर लाएं।
  3. दाहिने हाथ से दाहिने पैर के अंगूठे को पकड़ें।
  4. धीरे-धीरे घुटने को सीधा करने का प्रयास करें।
  5. अपनी क्षमता अनुसार पैर को अपनी ओर खींचें।
  6. 1 मिनट तक इसी स्थिति में रहें।
  7. फिर धीरे-धीरे वापस शवासन में आ जाएं और शरीर का अवलोकन करें।

दूसरा चरण (बाएं पैर से):

  1. बाएं पैर को मोड़ें और छाती की ओर लाएं।
  2. बाएं हाथ से बाएं पैर के अंगूठे को पकड़ें।
  3. धीरे-धीरे घुटने को सीधा करें।
  4. पैर को अपनी ओर खींचें और 1 मिनट तक इसी अवस्था में रहें।
  5. इसके बाद शवासन में विश्राम करें और आसन से पहले और बाद के परिवर्तन को महसूस करें।

विकल्प:

यदि आप अपने पैर का अंगूठा या एड़ी नहीं पकड़ पा रहे हैं, तो योगा बेल्ट, चुन्नी, तौलिया या बेडशीट का उपयोग कर सकते हैं।

  1. शवासन में लेटकर दाहिने पैर के पंजे पर योगा बेल्ट लगाएं (छोटी उंगली के नीचे)।
  2. धीरे-धीरे पैर को सीधा करें।
  3. ध्यान रखें कि दोनों पैर सीधे हों और पंजे शरीर की ओर खिंचे हों।
  4. अपनी क्षमता अनुसार 90 डिग्री तक या उससे अधिक पैर को ऊपर उठाएं।
  5. 1 मिनट तक इसी स्थिति में रहें, फिर धीरे-धीरे वापस शवासन में आ जाएं।
  6. अब यही प्रक्रिया बाएं पैर से दोहराएं।

दोनों तरफ समान अभ्यास के बाद शवासन में विश्राम करें और शरीर को पूरी तरह ढीला छोड़ दें। फिर धीरे से करवट लेते हुए बैठ जाएं।

सावधानियां:

  • दोनों पैर सीधे होने चाहिए।
  • दोनों पैरों के पंजे शरीर की ओर खिंचे हुए होने चाहिए।

लाभ:

  • वेरीकोज़ वेन्स (Varicose Veins) के लिए यह रामबाण है।
  • पैरों से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या में लाभदायक।
  • एड़ियों, पिंडलियों, घुटनों और जांघों के दर्द में अत्यंत उपयोगी।
  • रीढ़ की लचक और पैरों की शक्ति में वृद्धि करता है।

आप सभी को हमारी ओर से फिर एक बार मुस्कुराता हुआ नमस्कार।
मुस्कुराते रहें, हँसते रहें, और आनंदित रहें।

आपका बहुत-बहुत धन्यवाद और आभार।

– योगाचार्य ढाकाराम
संस्थापक, योगापीस संस्थान

जांघों और नितंबों की चर्बी कम करें

एक पाद वृत्ताकार क्रिया

आप सभी का हमारे विशेष कार्यक्रम “एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर” में हार्दिक स्वागत है। आशा है कि आप सभी मस्त और आनंदित होंगे। आज हम “एक पाद वृत्ताकार क्रिया” के बारे में जानेंगे। यह अभ्यास शरीर को लचीला बनाने और स्वास्थ्य लाभ देने में मदद करता है।

एक पाद वृत्ताकार क्रिया करने की विधि

  1. सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं
  2. अपने कोहनियों के ऊपर शरीर का भार रखें और छाती को ऊपर उठाएं
  3. पैर जमीन पर सीधे रखें और गर्दन विश्राम की अवस्था में रहे
  4. दोनों कोहनियों को एक-दूसरे के पास रखें ताकि छाती अच्छी तरह खुल जाए।
  5. दाएं पैर को ऊपर उठाएं और धीरे-धीरे दक्षिणावृत (घड़ी की दिशा में) बड़ा गोला बनाएं। इसे 4 से 6 बार दोहराएं।
  6. दाएं पैर को नीचे रखकर, बाएं पैर से भी यही प्रक्रिया दोहराएं
  7. अब दाएं पैर को ऊपर उठाएं और वामावृत्त (घड़ी की विपरीत दिशा में) बड़ा गोला बनाएं। इसे 4 से 6 बार दोहराएं।
  8. इसी प्रकार बाएं पैर से भी वामावृत्त क्रिया करें
  9. सभी क्रियाएं पूरी करने के बाद विश्राम करें। फिर बगल की तरफ करवट लेकर धीरे-धीरे बैठ जाएं
  10. एक गोला बनाने में कम से कम 15-20 सेकंड का समय लें

विशेष ध्यान दें:

  • जिन्हें कंधों या कमर में अधिक दर्द हो, वे यह क्रिया लेटकर भी कर सकते हैं
  • लेटकर करने पर हाथों को कमर के पास रखना चाहिए

एक पाद वृत्ताकार क्रिया के लाभ

  • जांघों और नितंबों की चर्बी कम करता है।
  • पाचन तंत्र को दुरुस्त करता है।
  • मांसपेशियों को लचीला बनाता है।
  • कंधों और गर्दन की मांसपेशियों के लिए फायदेमंद है।

सावधानियां

  • इस क्रिया को लेटकर न करें, बल्कि कोहनियों के बल करें
  • दक्षिणावृत और वामावृत्त घुमाव बराबर संख्या में करें
  • पैर गोलाकार घुमाते समय घुटनों को सीधा और खींचकर रखें
  • दोनों पैरों से समान संख्या में दक्षिणावृत और वामावृत्त घुमाव करना आवश्यक है।

आप सभी का बहुत-बहुत आभार एवं धन्यवाद! स्वस्थ रहें, मस्त रहें और आनंदित रहें। अपने जीवन को खूबसूरत बनाने के लिए रोज़ कम से कम 1 से 1.5 घंटे योग का अभ्यास अवश्य करें

योगाचार्य ढाका राम
संस्थापक, योगापीस संस्थान

3 मिनट में पैरों का दर्द कम करें: गुल्फ नमन क्रिया

नमस्कार! एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर कार्यक्रम में आपका स्वागत है। आज हम आपके लिए गुल्फ नमन क्रिया लेकर आए हैं, जो पैरों के दर्द से राहत पाने का एक प्रभावी योग अभ्यास है। यदि आपकी एड़ियों, पिंडलियों, घुटनों और जांघों में दर्द रहता है, तो यह क्रिया आपके लिए बहुत उपयोगी हो सकती है। आइए जानते हैं इसके लाभ और इसे करने की विधि।

गुल्फ नमन क्रिया क्या है?

गुल्फ का अर्थ है टखना, और नमन का अर्थ है नमस्कार, यानी टखनों को गति देना। यह क्रिया टखनों से लेकर जांघों तक की मांसपेशियों को सक्रिय करती है और रक्त संचार में सुधार लाती है।

गुल्फ नमन क्रिया करने की विधि

  1. दंडासन में बैठें – पैरों को सामने फैलाएं और उनके बीच 1 से 1.5 फुट का अंतर रखें।
  2. कमर व गर्दन सीधी रखें, कंधे तने हुए हों और दोनों हाथों को पीछे टिकाएं।
  3. एड़ियों और पंजों को मिलाएं, फिर पंजों को शरीर की ओर खींचें और 20 सेकंड तक रोकें।
  4. अब पंजों को विपरीत दिशा में खींचें और ज़मीन को छूने का प्रयास करें।
  5. इस क्रिया को 3-4 बार दोहराएं, फिर पैरों को विश्राम अवस्था में छोड़कर आंखें बंद करें और शरीर में हुए बदलावों को महसूस करें।

महत्वपूर्ण सुझाव

गति नियंत्रित रखें – तेज़ी से करने पर यह क्रिया केवल टखनों तक सीमित रहती है, जबकि धीमी गति से करने पर इसका प्रभाव मांसपेशियों के गहरे स्तर तक जाता है।
ध्यान केंद्रित करें – आंखें बंद करके टखनों, एड़ियों, पिंडलियों, घुटनों और जांघों की मांसपेशियों पर ध्यान दें।
नियमित अभ्यास करें – जिन लोगों को पैरों में दर्द रहता है, उन्हें दिन में 3 बार यह क्रिया करनी चाहिए।
समय निर्धारित करेंकम से कम 2 मिनट तक क्रिया करें और 1 मिनट तक शरीर में हुए बदलावों का अवलोकन करें।

गुल्फ नमन क्रिया के लाभ

पैरों के दर्द में राहत
टखनों, एड़ियों, पिंडलियों, घुटनों और जांघों की मांसपेशियों को मजबूती
रक्त संचार में सुधार
पैरों में हल्कापन और ऊर्जा का संचार

सावधानियां

❌ यदि पंजे खींचते समय एड़ियां ज़मीन से उठती हैं, तो इस पर ध्यान न दें।
❌ यदि 2-3 हफ्ते तक यह क्रिया करने के बाद भी आराम न मिले, तो विटामिन D की जांच करवाएं

स्वस्थ रहें, योग अपनाएं!

आप सभी स्वस्थ, मस्त और आनंदित रहें। अपने जीवन को सुंदर बनाने के लिए नियमित योग का अभ्यास करें

योगाचार्य ढाका राम
संस्थापक, योगापीस संस्थान

योग थेरेपी: एक चिकित्सा पद्धति

हरि ओम! आप सभी को मुस्कुराता हुआ स्वागत है। आज हम बात करेंगे योग थेरेपी के बारे में।

थेरेपी क्या है?

थेरेपी का मतलब होता है चिकित्सा। चिकित्सा का अर्थ है किसी भी बीमारी का निदान करना। दुनिया में लगभग 135 तरह की चिकित्सा पद्धतियां हैं, जैसे एलोपैथी, होम्योपैथी, आयुर्वेद आदि। इन सभी पद्धतियों का उद्देश्य शरीर में होने वाली बीमारियों को ठीक करना है।

योग थेरेपी क्या है?

योग थेरेपी में, योग आसन, प्राणायाम और ध्यान का उपयोग करके विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का उपचार किया जाता है। यह एक प्राकृतिक और सुरक्षित तरीका है, जो शरीर और मन दोनों को स्वस्थ रखने में मदद करता है।

योग थेरेपी के लाभ:

  • शारीरिक लाभ: मांसपेशियों को मजबूत बनाता है, लचीलापन बढ़ाता है, रक्त संचार को बेहतर बनाता है, पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है।
  • मानसिक लाभ: तनाव और चिंता को कम करता है, नींद की गुणवत्ता में सुधार करता है, मन को शांत और स्थिर बनाता है, आत्मविश्वास बढ़ाता है।
  • भावनात्मक लाभ: भावनात्मक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है, आत्म-जागरूकता बढ़ाता है, जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करता है।

योग थेरेपी सभी के लिए है:

योग थेरेपी किसी भी उम्र या फिटनेस स्तर के व्यक्ति के लिए उपयुक्त है। यहां तक ​​कि बुजुर्ग लोग भी, जो शारीरिक रूप से कमजोर हैं, योग थेरेपी के माध्यम से अपने स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं। इसके लिए, आसनों को संशोधित किया जा सकता है और सहायक उपकरणों का उपयोग किया जा सकता है।

योग थेरेपी के लिए एक अच्छे गुरु का महत्व:

एक अच्छे योग गुरु के मार्गदर्शन में योग थेरेपी करना बहुत महत्वपूर्ण है। एक योग गुरु आपको सही तकनीक सिखाएगा, आपकी प्रगति की निगरानी करेगा और आपको प्रेरित करेगा।

निष्कर्ष:

योग थेरेपी एक शक्तिशाली चिकित्सा पद्धति है, जो शरीर और मन दोनों को स्वस्थ रखने में मदद करती है। यदि आप अपने स्वास्थ्य में सुधार करना चाहते हैं, तो योग थेरेपी एक उत्कृष्ट विकल्प है।

ध्यान दें: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए, कृपया एक योग विशेषज्ञ या चिकित्सक से परामर्श लें।

हरि ओम!

सोफे और कुर्सी पर बैठने का सही तरीका: कमर दर्द से बचाव

आप सभी को हमारा मुस्कुराता हुआ नमस्कार। एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर कार्यक्रम में आप सभी का फिर से स्वागत है। आज हम बात करेंगे आप सोफे पर कैसे बैठे और अपने आप को इससे होने वाली तकलीफों से बचाए। गलत तरीके से बैठने से कमर दर्द, स्लिप डिस्क और अन्य समस्याएं हो सकती हैं।

सोफे पर बैठते समय:

  • ठोस सोफा चुनें: नरम सोफे से कमर पर दबाव बढ़ता है।
  • कंबल या बेडशीट का उपयोग करें: यह कमर को सीधा रखने में मदद करता है।
  • घुटने कूल्हे से नीचे रखें: पैर लटकाकर न बैठें।
  • सीधे बैठें: छाती फूली रहेगी और ऑक्सीजन का प्रवाह बेहतर होगा।

कुर्सी पर बैठते समय:

  • कमर सीधी रखें: आगे झुककर न बैठें।
  • टेबल ऊंची रखें: झुककर काम करने से बचें।
  • पैर जमीन पर टिकाएं: घुटने कूल्हे से नीचे रखें।

पैर लटकाकर बैठने के नुकसान:

  • पैरों में सूजन
  • कमर दर्द
  • स्लिप डिस्क

आप भी आज से ही सही तरीके से बैठने की आदत डालें।

अतिरिक्त टिप्स:

  • अपने बैठने की आदतों पर ध्यान दें।
  • हर 30 मिनट में उठकर थोड़ा टहलें।
  • नियमित रूप से योग और व्यायाम करें।
  • अच्छी मुद्रा बनाए रखें।

तो प्यारे मित्रों इसी के साथ आपका बहुत-बहुत धन्यवाद बहुत-बहुत आभार,

योगाचार्य ढाका राम
संस्थापक योगापीस संस्थान
अन्य जानकारी के लिए क्लिक करें www.dhakaram.com

पीछे झुकने का वैज्ञानिक तरीका

हरि ओम प्यारे मित्रों!

आप सभी को हमारा मुस्कुराता हुआ नमस्कार। एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर कार्यक्रम में आप सभी का स्वागत है। आज हम चर्चा करेंगे पीछे कैसे झुके।

गलत तरीके से पीछे झुकने से क्या होता है?

  • कमर में दर्द हो सकता है
  • शरीर की संरचना बिगड़ सकती है

सही तरीके से पीछे झुकने के फायदे:

  • मेरुदंड के लिए बहुत अच्छा
  • फेफड़ों और हृदय के लिए फायदेमंद

पीछे झुकने का तरीका:

  • अर्द्ध चक्रासन:
    1. अपने हाथों को नितंबों पर रखते हुए नितंबों को नीचे दबाएं और छाती को बाहर निकालें।
    2. आंखें बंद करके सांस लेते हुए छाती को ज्यादा से ज्यादा फुलाएं।
    3. गर्दन को तनाव मुक्त रखें।
    4. ध्यान कंधों और छाती की मांसपेशियों पर केंद्रित करें।
    5. आंखों को बिना खोले धीरे-धीरे हाथों को नीचे लाएं।
    6. आंखें बंद करके शरीर में होने वाले परिवर्तन को महसूस करें।
    7. ध्यान कंधों और छाती की मांसपेशियों पर केंद्रित करें।
    8. पीछे झुकने के लिए जल्दबाजी न करें।
    9. रोजाना अभ्यास से अच्छा परिणाम मिलेगा।
  • दूसरा तरीका:
    1. हाथों को कमर के पीछे ले जाकर उंगलियों को आपस में फंसाकर कैंची बना लें।
    2. छाती को आगे की ओर ज्यादा से ज्यादा फुलाएं और गर्दन को पीछे रखें।
    3. इस स्थिति में कम से कम एक से दो मिनट रुकने का प्रयास करें।
    4. जब रुकना मुश्किल हो जाए तो धीरे-धीरे आसन से वापस सामान्य अवस्था में आ जाएं।
    5. आंखें बंद करके शरीर में होने वाले परिवर्तन को महसूस करें।
    6. आंखें बंद करके आसन करने से मन में शांति और आनंद की अनुभूति होगी।
    7. कंधे और गर्दन में जकड़न या दर्द होने पर यह बहुत महत्वपूर्ण है।

ध्यान रखने योग्य बातें:

  • आगे झुकते समय कूल्हों के जोड़ से झुकें, पीठ सीधी रखें।
  • अर्ध चक्रासन करते समय छाती को फुलाते हुए ऊपरी भाग से पीछे झुकें।
  • मेरुदंड की कशेरुकाओं को धीरे-धीरे मोड़ें।

लाभ:

  • छाती, फेफड़ों और हृदय के लिए फायदेमंद
  • मेरुदंड को लचीला बनाता है
  • कंधों और गर्दन की मांसपेशियों के लिए लाभदायक

अन्य जानकारी के लिए:

www.dhakaram.com

योगाचार्य ढाका राम

संस्थापक

योगापीस संस्थान

एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर: ध्यान कैसे करें?

प्यारे मित्रों आप सभी को हमारा मुस्कुराता हुआ नमस्कार। एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर कार्यक्रम में आप सभी का स्वागत है।

आज हम एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर कार्यक्रम में ध्यान के बारे में बात करेंगे।

कई लोग सोचते हैं कि ध्यान करना बहुत मुश्किल है। मैं कहता हूं कि यह मुश्किल नहीं, बस थोड़ा अभ्यास की बात है।

ध्यान का मतलब है वर्तमान में रहना। भूतकाल या भविष्य के बारे में नहीं सोचना। यह आसान लगता है, लेकिन हमारा मन हमेशा इधर-उधर भटकता रहता है।

आज मैं आपको एक ऐसी तकनीक बताऊंगा जिससे ध्यान करना आसान हो जाएगा।

1. विचारों को आने जाने दें:

जब आप ध्यान करते हैं, तो आपके मन में तरह-तरह के विचार आते रहेंगे। अच्छे विचार भी, बुरे विचार भी।

इन विचारों पर ध्यान न दें। उन्हें आने दें और जाने दें। उन्हें केवल एक दृष्टा भाव से देखें।

2. एकाग्रता:

अपनी एकाग्रता को अपनी सांसों पर केंद्रित करें। अपनी सांसों को अंदर और बाहर आते हुए महसूस करें।

3. शांत रहें:

ध्यान करते समय शांत रहना बहुत महत्वपूर्ण है। यदि आपका मन भटकता है, तो उसे धीरे से वापस अपनी सांसों पर लाएं।

4. अभ्यास:

ध्यान एक अभ्यास है। शुरुआत में आपको मुश्किल हो सकती है, लेकिन धीरे-धीरे आपका मन शांत होने लगेगा।

कैसे बैठें:

  • किसी भी आसान में बैठें, जैसे पद्मासन, सुखासन, सिद्धासन या वज्रासन।
  • कमर और गर्दन सीधी रखें।
  • छाती फूली हुई हो।
  • पेट की मांसपेशियां शिथिल हों।
  • आंखें बंद करें।

कहां ध्यान करें:

  • आप कहीं भी ध्यान कर सकते हैं, जैसे घर, ऑफिस, यात्रा में।
  • शांत जगह चुनें।

कितने समय तक ध्यान करें:

  • शुरुआत में 5-10 मिनट तक ध्यान करें।
  • धीरे-धीरे समय बढ़ाएं।

ध्यान के लाभ:

  • तनाव कम करता है।
  • एकाग्रता बढ़ाता है।
  • मन को शांत करता है।
  • स्वास्थ्य के लिए अच्छा है।

इसी के साथ आप सभी का बहुत-बहुत आभार आप सभी खुश रहें, मस्त रहें और आनंदित रहे। आप सभी को नमन।

अधिक जानकारी के लिए:

योगाचार्य ढाका राम
संस्थापक, योगापीस संस्थान

सूर्य नमस्कार: स्वास्थ्य और आनंद का द्वार

आप सभी मित्रों को हमारा मुस्कुराता हुआ नमस्कार। एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर कार्यक्रम में आप सभी का स्वागत है।

आज हम सूर्य नमस्कार के बारे में बात करेंगे। सूर्य नमस्कार के बारे में लगभग हर कोई जानते हैं जब हम सूर्य नमस्कार की बात करते हैं तो हमारे मन में क्या भाव आते हैं जैसे कोई नदी के किनारे या कोई सूर्य भगवान को जल चढ़ा रहे हो आपने देखा भी होगा जब पूजा प्रार्थना होती है तो सूर्य भगवान को जल या अर्ह मतलब दही भी चढ़ाया जाता है है। सूर्य नमस्कार के बारे में सोचते हैं हमारे मन में सूर्य की लालिमा प्रकाश उनकी किरणें आती है। सूर्य नमस्कार पुराने समय से चला आ रहा है आप देखेंगे कि भगवान श्री राम के समय से भी सूर्य नमस्कार का प्रचलन है। रामायण में भी सूर्य नमस्कार के बारे में चर्चा की गई है। हम सूर्य नमस्कार से अपने शरीर और आत्मा का विकास कर सकते हैं। तो चलिए सूर्य नमस्कार साधना के लिए ।

  • नमस्कार आसन – सूर्य नमस्कार के लिए सबसे पहले हमें अपने एडी पंजों को मिलना है। हाथों को नमस्कार मुद्रा में लेकर आएंगे। हमारे अंगूठे हमारी छाती को छूने चाहिए मतलब हृदय कमल के पास और चेहरे पर मुस्कुराहट । अब हम आंखें बंद करके कल्पनाओं में किसी समुद्र के किनारे या पहाड़ की चोटी पर चलते हैं। वहां से हम महसूस करेगें कि हमारे सामने सूर्य प्रकाश की किरण है उनकी लालिमा हमारे शरीर पर पड़ रही है। हाथों को फैला कर हम उनसे प्रार्थना करेंगे हे सूर्य भगवान आपके अंदर जो तेज किरनें हैं जो तेज प्रकाश है उसमें से कुछ अंश हमें देकर हमें भी आपकी तरह तेजस्वी व प्रकाश वान बनाए। अब धीरे-धीरे अपने हाथों को नमस्कार मुद्रा में लाएंगे। दोनों हाथों की हथेलियां को आपस में मिलाकर नमस्कार मुद्रा में हृदय कमल की पास रखेंगे।
  • ऊर्ध्व नमस्कारासन – अब हाथों को धीरे-धीरे नासिक से स्पर्श करते हुए सिर के ऊपर की तरफ ले जाएंगे। हाथों को पूरा ऊपर की तरफ तान दे हमारे हाथ हमारे कानों को स्पर्श करते रहें। इस आसन को हम ऊर्ध्व नमस्कार आसन कहते हैं। अंगूठे को आपस में लॉक नहीं करना है।
  • उत्तानासन / पाद हस्तासन – उर्ध्व नमस्काआसन से हम उत्तानासन के लिए धीरे-धीरे हिप्स जॉइंट से आगे की ओर झुकेंगे। जब हम आगे झुके हमारे हाथ आगे की ओर खींचे हुए रहने चाहिए। अपने हाथों को हम पैरों के पास रखेंगे। हमारी कमर बिल्कुल सीधी रहनी चाहिए। सांस को बाहर निकालते जाना है और ज्यादा से ज्यादा झुकाने की कोशिश करनी है। हमारी कमर बिल्कुल सीधी रहनी चाहिए।
  • अश्व संचालन आसान – उत्तान आसान से हम अश्व संचालन में जाने के लिए पहले अपनी दाहिने पैर को पीछे की तरफ लेकर जाना है। हमारा पंजा और घुटना नीचे जमीन पर लगा हुआ रहेगा। हमारे कूल्हों को नीचे की तरफ दबाने की कोशिश करेंगे। इस आसन को हम अश्व संचालन आसन कहते हैं। इसमें हमारी दृष्टि ऊपर की तरफ रहेगी।
  • पर्वतासन – अश्व संचालन से पर्वत आसन में जाने के लिए हमारा हम अपनी बाएं पैर को पीछे दाहिने पैर के पास ले जाएंगे। हमारी एड़ियां नीचे जमीन पर लगी रहेगी। कमर से ऊपर वाले भाग का भार हाथों की तरफ और एड़ियां जमीन पर लगाने का प्रयास करेंगे। इस आसन में हम श्वास को बाहर निकलेंगे ज्यादा ध्यान देंगे।
  • भुजंगासन – पांचवा आसान है भुजंगासन। पर्वत आसान से बिना कुहनियो को मुड़े हम धीरे-धीरे कमर को नीचे की तरफ लाएँगे। हमारी छाती उठी हुई रहेगी। नितंबों को नीचे झुकाते हुए अपनी छाती को ज्यादा से ज्यादा फुलाएंगे। चेहरे पर किसी प्रकार का तनाव नहीं रखेंगे मुस्कुराते हुए करेंगे। इसमें हम स्वांस को अंदर लेने में ज्यादा फोकस करेंगे एडी पंजे मिले रहेंगे।
  • अष्टांग नमस्कार – भुजंगासन से अष्टांग नमस्कार में जाने के लिए सबसे पहले अपने पंजों को जमीन पर लगा दें उसके बाद दोनों घुटनों को फिर धीरे से अपनी छाती को जमीन पर लगाना है अंत में थुड़ी को गले पर लगाकर मस्तक को जमीन पर लगाएंगे लेकिन नाभि और नाक जमीन को स्पर्श न करें। हमारे शरीर के आठ अंग इसमें जमीन पर लगने चाहिए दो हमारे पैरों के पंजे, दो हमारे घुटने, दो हमारे हाथ, छाती और हमारा माथा। यह सूर्य नमस्कार का अंतिम चरण है इसके बाद हम आसनों का पुनरा वर्तन करेंगे जैसे हम गए थे उसी प्रकार वापस आएंगे
  • भुजंगासन – अष्टांग नमस्कार से धीरे-धीरे भुजंगासन आसन में आएंगे जैसे हम आसन में गए थे उसी प्रकार पहले का ललाट नाक थुड़ी गला और छाती को उठाते हुए भुजंगासन में आएंगे और हमारे छाती को फुलाएंगे। नितंबों को संकुचित करेंगे। कंधों को रोल करेंगे और गर्दन को रिलैक्स रखेंगे।
  • पर्वतासन – भुजंगासन से वापस पर्वतासन में आएंगे। पर्वतासन के लिए हम अपने नितंबों को ऊपर छत की तरफ तानेंगे। कमर से ऊपर वाले भाग का भार हाथों की तरफ और एड़ी को जमीन से लगाने का प्रयास करेंगे। छाती से ऊपर के हिस्से को हम नीचे खींचने का प्रयास करेंगे और कमर के निचले हिस्से को हम ऊपर की तरफ खींचने का प्रयास करेंगे।
  • अश्व संचालन – पर्वतासन के बाद हम अश्वसंचालन आसन में जाने के लिए बाय पैर को हाथों के बीच में लाकर रखेंगे। नितंब को नीचे की तरफ दबाने का प्रयास करें। छाती को फुलाने का प्रयास करेंगे और हमारी दृष्टि ऊपर की तरफ रहेगी।
  • उत्तानासन / पाद हस्तासन – अश्व संचालन से हम उत्तानासन लिए अपने दाहिने पैर को उठाकर हाथों के बीच में बाएं पैर के पास लाकर रख देंगे। अपनी क्षमता के अनुसार हम स्वांस को बाहर निकलते हुए आगे झुकने का प्रयास करेंगे।
  • ऊर्ध्व नमस्कार आसन – उत्तानासन से हम ऊर्ध्वनमस्कार आसन के लिए दोनों हाथों को नमस्कार मुद्रा में लाते हुए हाथों को खींचते हुए ऊपर की तरफ धीरे-धीरे श्वास भरते हुए उठाएंगे। ध्यान रखें हमारे हाथ हमारे कानों से लगे हुए होने चाहिए। हमारे चेहरे पर मुस्कुराहट के भाव होने चाहिए। जितना हम हाथों को ऊपर तान सकते हैं हमें तानना है।
  • नमस्कार आसन -उत्तानासन से हम धीरे-धीरे नमस्कार आसन के लिए हाथों को नीचे लाना है। हमारे हाथ छाती के सामने आ जाएंगे नमस्कार मुद्रा में।

इसी प्रकार जब हम दो बार दोहराते हैं तो हमारा एक सूर्य नमस्कार पूरा होता है। मतलब पहले दाहिने पैर पीछे जाएगा अश्व संचालन के लिए और दूसरी बार में बाया पैर पीछे जाएगा इस प्रकार से सूर्य नमस्कार का एक चक्र पूरा होगा नमस्कार का राउंड पूरा होने के बाद सूर्य की किरणों और लालिमा को अपने तन और मन में महसूस करते हुए हम शवासन में लेट जाएंगे।

शवासन में हमारे पैरों के बीच में एक से डेढ़ फीट का फैसला होना चाहिए। हमारे एड़िया अंदर की तरफ पंजे बाहर की तरफ होने चाहिए। हाथ हमारे बगल में हथेलियां ऊपर की तरफ आधी खुली हुई होनी चाहिए। हमारा पूरा शरीर विश्राम की अवस्था में होना चाहिए। डेढ़ से 2 मिनट तक इसी अवस्था में रहने पर अपने शरीर में विश्राम महसूस होता है। अब धीरे से बगल से करवट लेते हुए बैठ जाए।

ध्यान रखने योग्य बातें:

  • जब जब हम हाथों को नमस्कार मुद्रा से ऊर्ध्व नमस्कार की तरफ ले जाते हैं तो हाथों की उंगलियों को मोड़ना नहीं है और उंगलियां हमारी नासिक को स्पर्श करते हुए ऊपर की तरफ जाएं।
  • जब हम उत्तानासन में जाएं तो हमें नितंबों से मुड़ते हुए नीचे जाना चाहिए। हमारी कमर इसमें सीधी रहनी चाहिए। जब हम पर्वत आसन करते हैं तो हमारा घुटना कभी भी हमारे पंजे से आगे नहीं जाना चाहिए। जब हम पर्वत आसान करते हैं तो हमारा घुटना नहीं मुड़ना चाहिए। भुजंगासन में हमारा पंजा सीधा रहना चाहिए और छाती फूली हुई रहनी चाहिए। अष्टांग नमस्कार में हमारे नाभि और नाक जमीन को स्पर्श न करें।
  • जिनको चक्कर आते हैं, जिनका हाई ब्लड प्रेशर है, जिनकी कमर में दर्द है, जिनके घुटनों में दर्द है और गर्दन में दर्द है उनको सूर्य नमस्कार नहीं करना चाहिए।
  • सूर्य नमस्कार को ज्यादा करना आवश्यक नहीं है लेकिन सही ढंग से करना आवश्यक है। अगर हम सूर्य नमस्कार को सही ढंग से करते हैं तो हमें 10 से 12 मिनट लगते हैं। प्रत्येक आसन में कम से कम 15 से 20 सेकंड रुकना चाहिए तभी जाकर उसका बेहतर फायदा हमें मिलता है।
  • सूर्य नमस्कार के क्रम में एक, तीन, पाँच, सात, नौ, ग्यारह में श्वास लेने का प्रयास करना चाहिए और दो, चार, छः, आठ, दस, बारह में श्वास निकालने में ज्यादा ध्यान देना चाहिए।

सूर्य नमस्कार के लाभ:

  1. सूर्य नमस्कार से सिर के चोटी से लेकर पैरों के पंजे तक सारे शरीर का व्यायाम हो जाता है जैसे हृदय, यकृत, आँत, पेट, छाती, गला, पैर इत्यादि
  2. शरीर के सभी अंगो के लिए बहुत ही लाभदायक हैं।
  3. सूर्य नमस्कार सिर से लेकर पैर तक शरीर के सभी अंगो को बहुत लाभान्वित करता है
  4. सूर्य नमस्कार के नियमित अभ्यास से शरीर, मन और आत्मा का विकास होता हैं।
  5. पृथ्वी पर सूर्य के बिना जीवन संभव नहीं है इसीलिए यहां हमारे जीवन का बहुत ही विशेष अंग है इसलिए हम इन्हें भगवान कहते हैं।
  6. सूर्य नमस्कार के शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक और मनोवैज्ञानिक कई लाभ है
  7. हमारे शरीर की मांसपेशियां मजबूत और लचीली होती हैं

अगर सही तरीके से करें तो सूर्य नमस्कार हमारे शरीर की रोम रोम को आनंद से भर देता है।

सावधानियां:

  • माहवारी (मेंस्ट्रुअल साइकिल) के दौरान नहीं करना चाहिए
  • घुटनों में और कमर में ज्यादा दर्द हो तो भी नहीं करना चाहिए
  • हृदय से संबंधित समस्या वाली लोगों को इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए
  • गर्भावस्था के दौरान इसे नहीं करना चाहिए
  • जल्दी-जल्दी हड़बड़ी में नहीं करना चाहिए

आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद। आप सभी को हमारा मुस्कुराता हुआ नमस्कार।

अधिक जानकारी के लिए : www.dhakaram.com

योगाचार्य ढाका राम
संस्थापक, योगा पीस संस्थान

ग्रीवा शक्ति विकासक: गर्दन की मांसपेशियों को मजबूत बनाने का सरल तरीका

नमस्कार प्यारे मित्रों! आप सभी को हमारा मुस्कुराता हुआ नमन आज हम “एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर” कार्यक्रम में ग्रीवा शक्ति विकासक के बारे में बात करेंगे।

ग्रीवा शक्ति विकासक क्या है?

यह एक सरल योग क्रिया है जो गर्दन की मांसपेशियों को मजबूत बनाने और गर्दन दर्द को दूर करने में मदद करती है। इसे आप कहीं भी जैसे कुर्सी, सोफे या बिस्तर पर बैठकर कर सकते हैं।

ग्रीवा शक्ति विकासक के लाभ:

  • गर्दन की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है
  • गर्दन दर्द और सर्वाइकल को दूर करता है
  • रक्त प्रवाह को बेहतर बनाता है
  • एकाग्रता और स्मरण शक्ति को बढ़ाता है
  • तनाव और चिंता को कम करता है

ग्रीवा शक्ति विकासक कैसे करें:

  1. सीधे बैठें। यदि आपको सीधे बैठने में परेशानी हो रही है, तो अपने कूल्हों के नीचे तकिया, मसंद या लकड़ी का पाटा रखें मतलब ऊंचाई दें।
  2. अपनी गर्दन को धीरे-धीरे दाएं ओर घुमाएं। अपनी क्षमता के अनुसार गर्दन को घुमाएं, जैसे कि नाक को कंधे के समानांतर लाने का प्रयास करें। 30 सेकंड के लिए इस स्थिति में रहें।
  3. अब धीरे-धीरे अपनी गर्दन को बाईं ओर घुमाएं। अपनी क्षमता के अनुसार गर्दन को घुमाएं और 30 सेकंड के लिए इस स्थिति में रहें इस प्रकार दाहिनी तरफ दो बार और बाएं तरफ दो बार करें।
  4. धीरे-धीरे अपनी गर्दन को वापस बीच में लाएं और आंखें बंद करके मांसपेशियों को आराम करने दे ।

ध्यान रखने योग्य बातें:

  • गर्दन को घुमाते समय कंधों को न घुमाएं।
  • गर्दन को सीधा रखें, ऊपर या नीचे की ओर न झुकाएं।
  • प्रत्येक तरफ 30 सेकंड के लिए गर्दन को घुमाएं।
  • कम से कम 3 मिनट के लिए ग्रीवा शक्ति विकासक करें।

क्रिया के बाद परिवर्तन को महसूस करें:

  • आंखें बंद करके क्रिया के पहले और बाद में गर्दन में आए बदलाव को महसूस करें।
  • क्रिया करते समय ध्यान पूरी तरह से गर्दन पर होना चाहिए।

ग्रीवा शक्ति विकासक एक सरल और प्रभावी क्रिया है जो गर्दन को स्वस्थ रखने में मदद करती है। इसे नियमित रूप से करें और गर्दन दर्द से मुक्ति पाएं।

  • आप इस क्रिया को सुबह या शाम अथवा किसी भी समय कर सकते हैं।

आशा है यह जानकारी आपके लिए और आपकी शुभचिंतकों के लिए बहुत उपयोगी होगी।

धन्यवाद!

योगाचार्य ढाका राम
संस्थापक, योगापीस संस्थान