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28-Oct-2024

नौली क्रिया: स्वास्थ्य और आनंद की ओर योग का अगला कदम

योगाचार्य ढाकाराम

आप सभी को हमारा मुस्कुराता हुआ नमस्कार 😊

आप सभी का स्वागत है “एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर” कार्यक्रम में। पिछली बार हमने अग्निसार क्रिया और उड्डीयन बंध के बारे में सीखा। आज हम चर्चा करेंगे नौली क्रिया की, जो इन क्रियाओं का अगला चरण है।

नौली क्रिया का परिचय

महर्षि पतंजलि के अष्टांग योग में कई चरणों का उल्लेख है, जैसे यम, नियम, आसन, प्राणायाम, आदि। इसी क्रम में, घेरण्ड संहिता में भी 6 शुद्धिकरण क्रियाओं का वर्णन है, जिन्हें षट्कर्म कहा गया है: धौति, बस्ति, नेति, नौली, त्राटक और कपालभाति। इनका उद्देश्य शरीर को शुद्ध करना है। इनमें से नौली क्रिया पेट की शुद्धि के लिए महत्वपूर्ण है और इसे लौलीकी क्रिया भी कहते हैं।

नौली क्रिया के चरण

  1. मध्य नौली: समस्थिति में खड़े होकर, दोनों पैरों पर समान भार डालें। दोनों हाथों की हथेलियों को जांघों पर रखकर थोड़ा आगे झुकें। पेट की मांसपेशियों को मध्य में लाने की कोशिश करें।
  2. वाम नौली: बाईं जांघ पर हल्का दबाव डालते हुए, पेट की सभी मांसपेशियों को बाईं ओर लाएं।
  3. दक्षिण नौली: दाईं जांघ पर हल्का दबाव डालते हुए, पेट की सभी मांसपेशियों को दाईं ओर खींचें।
  4. नौली संचालन (भ्रमर नौली): दोनों हाथों को घुटनों पर रखकर पेट की मांसपेशियों को दाएं से बाएं और फिर बाएं से दाएं घुमाएं। हमेशा क्लॉकवाइज़ और एंटी-क्लॉकवाइज़ समान रूप से करें।

नौली क्रिया के लाभ

  • पाचन शक्ति में वृद्धि: पेट की मांसपेशियों को मजबूत बनाती है, जिससे पाचन तंत्र मजबूत होता है।
  • कब्ज में राहत: कब्ज की समस्या दूर होती है।
  • वजन घटाने में सहायक: पेट की चर्बी घटाने में मददगार।
  • गैस की समस्या से राहत: गैस की समस्या को दूर करती है और पेट की मांसपेशियों को टोन करती है।

सावधानियाँ

  • नौली क्रिया का अभ्यास हमेशा खाली पेट करें।
  • पित्त प्रधान व्यक्ति या जिनके शरीर में अत्यधिक गर्मी हो, वे इससे बचें।
  • गर्भवती महिलाएं, हर्निया या पेट के ऑपरेशन से गुजर चुके लोग इस क्रिया का अभ्यास न करें।
  • मासिक धर्म के दौरान महिलाएं नौली क्रिया न करें।
  • जिन लोगों को कमर दर्द हो, वे भी इस क्रिया से परहेज करें।

अभ्यास के बाद क्या करें?

अभ्यास के बाद एक गिलास दूध में दो चम्मच घी, सौंठ और काली मिर्च मिलाकर सेवन करें। यह पेट की मांसपेशियों को अंदर से मजबूत बनाता है। नौली क्रिया का अभ्यास कम से कम 7 बार दाएं से बाएं और 7 बार बाएं से दाएं अवश्य करें।

आप सभी का धन्यवाद और आभार! आनंदित रहें, मुस्कुराते रहें – यही हमारी भगवान से प्रार्थना है। 🙏

योगाचार्य ढाका राम
संस्थापक, योगापीस संस्थान

Yogacharya Dhakaram
Yogacharya Dhakaram, a beacon of yogic wisdom and well-being, invites you to explore the transformative power of yoga, nurturing body, mind, and spirit. His compassionate approach and holistic teachings guide you on a journey towards health and inner peace.
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