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वक्रासन (Whole Spinal Twist Pose)

अर्थ

इस आसन में शरीर की स्थिति वक्र (मुड़ी हुई) के समान होने के कारण इसे वक्रासन कहा जाता है। यह अर्धमत्स्येन्द्रासन का एक सरल रूप है।

विधि (करने का तरीका)

बाईं ओर से करने की विधि:

  1. प्रारंभिक स्थिति: कमर सीधी रखते हुए दण्डासन में बैठें।
  2. पैरों की स्थिति: बाएं पैर को मोड़कर, बाएं पैर का तलवा दाएं घुटने के बगल में रखें। बाएं घुटने की दिशा ऊपर (आसमान) की ओर होनी चाहिए।
  3. हाथों की स्थिति: दाएं हाथ को ऊपर उठाकर बाएं पैर के टखने या पंजे को पकड़ें।
  4. मरोड़ने की क्रिया: कमर से बाईं ओर मुड़ते हुए बाएं हाथ को पीछे जमीन पर रखें।
  5. गर्दन व दृष्टि: गर्दन को बाईं ओर घुमाकर पीछे की ओर देखें। शरीर को सीधा रखने का प्रयास करें।
  6. स्थिति में रुकें: इस अवस्था में 30 सेकंड से 1 मिनट तक बने रहें।
  7. वापस आना: धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में आकर विश्राम करें।

दाईं ओर से करने की विधि:

  1. प्रारंभिक स्थिति: कमर सीधी रखते हुए दण्डासन में बैठें।
  2. पैरों की स्थिति: दाएं पैर को मोड़कर, दाएं पैर का तलवा बाएं घुटने के बगल में रखें। दाएं घुटने की दिशा ऊपर की ओर होनी चाहिए।
  3. हाथों की स्थिति: बाएं हाथ को ऊपर उठाकर दाएं पैर के टखने या पंजे को पकड़ें।
  4. मरोड़ने की क्रिया: कमर से दाईं ओर मुड़ते हुए दाएं हाथ को पीछे जमीन पर रखें।
  5. गर्दन व दृष्टि: गर्दन को दाईं ओर घुमाकर पीछे की ओर देखें। शरीर को सीधा रखें।
  6. स्थिति में रुकें: इस अवस्था में 30 सेकंड से 1 मिनट तक बने रहें।
  7. वापस आना: धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में आकर विश्राम करें।

लाभ

  • रीढ़ की हड्डी को मजबूती: मेरुदंड की कशेरुकाएं व मांसपेशियाँ लचीली व मजबूत होती हैं।
  • पाचन तंत्र सुधारे: पेट की चर्बी घटाने व पाचन क्रिया को दुरुस्त करने में सहायक।
  • रोगों में लाभ: कब्ज, गैस, लीवर की कमजोरी, नसों की दुर्बलता और कमर दर्द से राहत।
  • मधुमेह नियंत्रण: डायबिटीज को कंट्रोल करने में फायदेमंद।

सावधानियाँ एवं संशोधन

  • गर्दन दर्द: यदि गर्दन में दर्द हो, तो ज्यादा पीछे न देखें।
  • शरीर सीधा रखें: कमर, पीठ और गर्दन को सीधा रखने का प्रयास करें।
  • संशोधन: यदि पैर का टखना पकड़ने में कठिनाई हो, तो ज़ोर न लगाएं। केवल धड़ को मोड़ने पर ध्यान दें या योगा ब्लॉक का सहारा लें।

इन स्थितियों में न करें:

  • मासिक धर्म के दौरान
  • गर्भावस्था में

योगाचार्य ढाका राम
संस्थापक, योगापीस संस्थान

एक पाद सुप्त पादांगुष्ठासन: स्वास्थ्य से आनंद की ओर एक कदम

प्यारे मित्रों,
आप सभी को हमारा मुस्कुराता हुआ नमस्कार।
‘एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर’ कार्यक्रम में आपका हार्दिक स्वागत है।

आज हम जिस योगासन की बात करने जा रहे हैं, वह है एक पाद सुप्त पादांगुष्ठासन। यह आसन खासतौर पर पैरों से जुड़ी समस्याओं में अत्यंत लाभदायक है। जिन लोगों को एड़ियों, पिंडलियों, घुटनों या जांघों में दर्द रहता है, उन्हें यह आसन दिन में तीन बार अवश्य करना चाहिए। यह न केवल पैरों को मजबूती प्रदान करता है बल्कि रीढ़ की हड्डी में लचक भी बढ़ाता है।

आसन करने की विधि:

पहला चरण (दाहिने पैर से):

  1. सबसे पहले शवासन में लेट जाएं।
  2. दाहिने पैर को मोड़कर छाती की ओर लाएं।
  3. दाहिने हाथ से दाहिने पैर के अंगूठे को पकड़ें।
  4. धीरे-धीरे घुटने को सीधा करने का प्रयास करें।
  5. अपनी क्षमता अनुसार पैर को अपनी ओर खींचें।
  6. 1 मिनट तक इसी स्थिति में रहें।
  7. फिर धीरे-धीरे वापस शवासन में आ जाएं और शरीर का अवलोकन करें।

दूसरा चरण (बाएं पैर से):

  1. बाएं पैर को मोड़ें और छाती की ओर लाएं।
  2. बाएं हाथ से बाएं पैर के अंगूठे को पकड़ें।
  3. धीरे-धीरे घुटने को सीधा करें।
  4. पैर को अपनी ओर खींचें और 1 मिनट तक इसी अवस्था में रहें।
  5. इसके बाद शवासन में विश्राम करें और आसन से पहले और बाद के परिवर्तन को महसूस करें।

विकल्प:

यदि आप अपने पैर का अंगूठा या एड़ी नहीं पकड़ पा रहे हैं, तो योगा बेल्ट, चुन्नी, तौलिया या बेडशीट का उपयोग कर सकते हैं।

  1. शवासन में लेटकर दाहिने पैर के पंजे पर योगा बेल्ट लगाएं (छोटी उंगली के नीचे)।
  2. धीरे-धीरे पैर को सीधा करें।
  3. ध्यान रखें कि दोनों पैर सीधे हों और पंजे शरीर की ओर खिंचे हों।
  4. अपनी क्षमता अनुसार 90 डिग्री तक या उससे अधिक पैर को ऊपर उठाएं।
  5. 1 मिनट तक इसी स्थिति में रहें, फिर धीरे-धीरे वापस शवासन में आ जाएं।
  6. अब यही प्रक्रिया बाएं पैर से दोहराएं।

दोनों तरफ समान अभ्यास के बाद शवासन में विश्राम करें और शरीर को पूरी तरह ढीला छोड़ दें। फिर धीरे से करवट लेते हुए बैठ जाएं।

सावधानियां:

  • दोनों पैर सीधे होने चाहिए।
  • दोनों पैरों के पंजे शरीर की ओर खिंचे हुए होने चाहिए।

लाभ:

  • वेरीकोज़ वेन्स (Varicose Veins) के लिए यह रामबाण है।
  • पैरों से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या में लाभदायक।
  • एड़ियों, पिंडलियों, घुटनों और जांघों के दर्द में अत्यंत उपयोगी।
  • रीढ़ की लचक और पैरों की शक्ति में वृद्धि करता है।

आप सभी को हमारी ओर से फिर एक बार मुस्कुराता हुआ नमस्कार।
मुस्कुराते रहें, हँसते रहें, और आनंदित रहें।

आपका बहुत-बहुत धन्यवाद और आभार।

– योगाचार्य ढाकाराम
संस्थापक, योगापीस संस्थान

पीछे झुकने का वैज्ञानिक तरीका

हरि ओम प्यारे मित्रों!

आप सभी को हमारा मुस्कुराता हुआ नमस्कार। एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर कार्यक्रम में आप सभी का स्वागत है। आज हम चर्चा करेंगे पीछे कैसे झुके।

गलत तरीके से पीछे झुकने से क्या होता है?

  • कमर में दर्द हो सकता है
  • शरीर की संरचना बिगड़ सकती है

सही तरीके से पीछे झुकने के फायदे:

  • मेरुदंड के लिए बहुत अच्छा
  • फेफड़ों और हृदय के लिए फायदेमंद

पीछे झुकने का तरीका:

  • अर्द्ध चक्रासन:
    1. अपने हाथों को नितंबों पर रखते हुए नितंबों को नीचे दबाएं और छाती को बाहर निकालें।
    2. आंखें बंद करके सांस लेते हुए छाती को ज्यादा से ज्यादा फुलाएं।
    3. गर्दन को तनाव मुक्त रखें।
    4. ध्यान कंधों और छाती की मांसपेशियों पर केंद्रित करें।
    5. आंखों को बिना खोले धीरे-धीरे हाथों को नीचे लाएं।
    6. आंखें बंद करके शरीर में होने वाले परिवर्तन को महसूस करें।
    7. ध्यान कंधों और छाती की मांसपेशियों पर केंद्रित करें।
    8. पीछे झुकने के लिए जल्दबाजी न करें।
    9. रोजाना अभ्यास से अच्छा परिणाम मिलेगा।
  • दूसरा तरीका:
    1. हाथों को कमर के पीछे ले जाकर उंगलियों को आपस में फंसाकर कैंची बना लें।
    2. छाती को आगे की ओर ज्यादा से ज्यादा फुलाएं और गर्दन को पीछे रखें।
    3. इस स्थिति में कम से कम एक से दो मिनट रुकने का प्रयास करें।
    4. जब रुकना मुश्किल हो जाए तो धीरे-धीरे आसन से वापस सामान्य अवस्था में आ जाएं।
    5. आंखें बंद करके शरीर में होने वाले परिवर्तन को महसूस करें।
    6. आंखें बंद करके आसन करने से मन में शांति और आनंद की अनुभूति होगी।
    7. कंधे और गर्दन में जकड़न या दर्द होने पर यह बहुत महत्वपूर्ण है।

ध्यान रखने योग्य बातें:

  • आगे झुकते समय कूल्हों के जोड़ से झुकें, पीठ सीधी रखें।
  • अर्ध चक्रासन करते समय छाती को फुलाते हुए ऊपरी भाग से पीछे झुकें।
  • मेरुदंड की कशेरुकाओं को धीरे-धीरे मोड़ें।

लाभ:

  • छाती, फेफड़ों और हृदय के लिए फायदेमंद
  • मेरुदंड को लचीला बनाता है
  • कंधों और गर्दन की मांसपेशियों के लिए लाभदायक

अन्य जानकारी के लिए:

www.dhakaram.com

योगाचार्य ढाका राम

संस्थापक

योगापीस संस्थान

एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर: ध्यान कैसे करें?

प्यारे मित्रों आप सभी को हमारा मुस्कुराता हुआ नमस्कार। एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर कार्यक्रम में आप सभी का स्वागत है।

आज हम एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर कार्यक्रम में ध्यान के बारे में बात करेंगे।

कई लोग सोचते हैं कि ध्यान करना बहुत मुश्किल है। मैं कहता हूं कि यह मुश्किल नहीं, बस थोड़ा अभ्यास की बात है।

ध्यान का मतलब है वर्तमान में रहना। भूतकाल या भविष्य के बारे में नहीं सोचना। यह आसान लगता है, लेकिन हमारा मन हमेशा इधर-उधर भटकता रहता है।

आज मैं आपको एक ऐसी तकनीक बताऊंगा जिससे ध्यान करना आसान हो जाएगा।

1. विचारों को आने जाने दें:

जब आप ध्यान करते हैं, तो आपके मन में तरह-तरह के विचार आते रहेंगे। अच्छे विचार भी, बुरे विचार भी।

इन विचारों पर ध्यान न दें। उन्हें आने दें और जाने दें। उन्हें केवल एक दृष्टा भाव से देखें।

2. एकाग्रता:

अपनी एकाग्रता को अपनी सांसों पर केंद्रित करें। अपनी सांसों को अंदर और बाहर आते हुए महसूस करें।

3. शांत रहें:

ध्यान करते समय शांत रहना बहुत महत्वपूर्ण है। यदि आपका मन भटकता है, तो उसे धीरे से वापस अपनी सांसों पर लाएं।

4. अभ्यास:

ध्यान एक अभ्यास है। शुरुआत में आपको मुश्किल हो सकती है, लेकिन धीरे-धीरे आपका मन शांत होने लगेगा।

कैसे बैठें:

  • किसी भी आसान में बैठें, जैसे पद्मासन, सुखासन, सिद्धासन या वज्रासन।
  • कमर और गर्दन सीधी रखें।
  • छाती फूली हुई हो।
  • पेट की मांसपेशियां शिथिल हों।
  • आंखें बंद करें।

कहां ध्यान करें:

  • आप कहीं भी ध्यान कर सकते हैं, जैसे घर, ऑफिस, यात्रा में।
  • शांत जगह चुनें।

कितने समय तक ध्यान करें:

  • शुरुआत में 5-10 मिनट तक ध्यान करें।
  • धीरे-धीरे समय बढ़ाएं।

ध्यान के लाभ:

  • तनाव कम करता है।
  • एकाग्रता बढ़ाता है।
  • मन को शांत करता है।
  • स्वास्थ्य के लिए अच्छा है।

इसी के साथ आप सभी का बहुत-बहुत आभार आप सभी खुश रहें, मस्त रहें और आनंदित रहे। आप सभी को नमन।

अधिक जानकारी के लिए:

योगाचार्य ढाका राम
संस्थापक, योगापीस संस्थान

सूर्य नमस्कार: स्वास्थ्य और आनंद का द्वार

आप सभी मित्रों को हमारा मुस्कुराता हुआ नमस्कार। एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर कार्यक्रम में आप सभी का स्वागत है।

आज हम सूर्य नमस्कार के बारे में बात करेंगे। सूर्य नमस्कार के बारे में लगभग हर कोई जानते हैं जब हम सूर्य नमस्कार की बात करते हैं तो हमारे मन में क्या भाव आते हैं जैसे कोई नदी के किनारे या कोई सूर्य भगवान को जल चढ़ा रहे हो आपने देखा भी होगा जब पूजा प्रार्थना होती है तो सूर्य भगवान को जल या अर्ह मतलब दही भी चढ़ाया जाता है है। सूर्य नमस्कार के बारे में सोचते हैं हमारे मन में सूर्य की लालिमा प्रकाश उनकी किरणें आती है। सूर्य नमस्कार पुराने समय से चला आ रहा है आप देखेंगे कि भगवान श्री राम के समय से भी सूर्य नमस्कार का प्रचलन है। रामायण में भी सूर्य नमस्कार के बारे में चर्चा की गई है। हम सूर्य नमस्कार से अपने शरीर और आत्मा का विकास कर सकते हैं। तो चलिए सूर्य नमस्कार साधना के लिए ।

  • नमस्कार आसन – सूर्य नमस्कार के लिए सबसे पहले हमें अपने एडी पंजों को मिलना है। हाथों को नमस्कार मुद्रा में लेकर आएंगे। हमारे अंगूठे हमारी छाती को छूने चाहिए मतलब हृदय कमल के पास और चेहरे पर मुस्कुराहट । अब हम आंखें बंद करके कल्पनाओं में किसी समुद्र के किनारे या पहाड़ की चोटी पर चलते हैं। वहां से हम महसूस करेगें कि हमारे सामने सूर्य प्रकाश की किरण है उनकी लालिमा हमारे शरीर पर पड़ रही है। हाथों को फैला कर हम उनसे प्रार्थना करेंगे हे सूर्य भगवान आपके अंदर जो तेज किरनें हैं जो तेज प्रकाश है उसमें से कुछ अंश हमें देकर हमें भी आपकी तरह तेजस्वी व प्रकाश वान बनाए। अब धीरे-धीरे अपने हाथों को नमस्कार मुद्रा में लाएंगे। दोनों हाथों की हथेलियां को आपस में मिलाकर नमस्कार मुद्रा में हृदय कमल की पास रखेंगे।
  • ऊर्ध्व नमस्कारासन – अब हाथों को धीरे-धीरे नासिक से स्पर्श करते हुए सिर के ऊपर की तरफ ले जाएंगे। हाथों को पूरा ऊपर की तरफ तान दे हमारे हाथ हमारे कानों को स्पर्श करते रहें। इस आसन को हम ऊर्ध्व नमस्कार आसन कहते हैं। अंगूठे को आपस में लॉक नहीं करना है।
  • उत्तानासन / पाद हस्तासन – उर्ध्व नमस्काआसन से हम उत्तानासन के लिए धीरे-धीरे हिप्स जॉइंट से आगे की ओर झुकेंगे। जब हम आगे झुके हमारे हाथ आगे की ओर खींचे हुए रहने चाहिए। अपने हाथों को हम पैरों के पास रखेंगे। हमारी कमर बिल्कुल सीधी रहनी चाहिए। सांस को बाहर निकालते जाना है और ज्यादा से ज्यादा झुकाने की कोशिश करनी है। हमारी कमर बिल्कुल सीधी रहनी चाहिए।
  • अश्व संचालन आसान – उत्तान आसान से हम अश्व संचालन में जाने के लिए पहले अपनी दाहिने पैर को पीछे की तरफ लेकर जाना है। हमारा पंजा और घुटना नीचे जमीन पर लगा हुआ रहेगा। हमारे कूल्हों को नीचे की तरफ दबाने की कोशिश करेंगे। इस आसन को हम अश्व संचालन आसन कहते हैं। इसमें हमारी दृष्टि ऊपर की तरफ रहेगी।
  • पर्वतासन – अश्व संचालन से पर्वत आसन में जाने के लिए हमारा हम अपनी बाएं पैर को पीछे दाहिने पैर के पास ले जाएंगे। हमारी एड़ियां नीचे जमीन पर लगी रहेगी। कमर से ऊपर वाले भाग का भार हाथों की तरफ और एड़ियां जमीन पर लगाने का प्रयास करेंगे। इस आसन में हम श्वास को बाहर निकलेंगे ज्यादा ध्यान देंगे।
  • भुजंगासन – पांचवा आसान है भुजंगासन। पर्वत आसान से बिना कुहनियो को मुड़े हम धीरे-धीरे कमर को नीचे की तरफ लाएँगे। हमारी छाती उठी हुई रहेगी। नितंबों को नीचे झुकाते हुए अपनी छाती को ज्यादा से ज्यादा फुलाएंगे। चेहरे पर किसी प्रकार का तनाव नहीं रखेंगे मुस्कुराते हुए करेंगे। इसमें हम स्वांस को अंदर लेने में ज्यादा फोकस करेंगे एडी पंजे मिले रहेंगे।
  • अष्टांग नमस्कार – भुजंगासन से अष्टांग नमस्कार में जाने के लिए सबसे पहले अपने पंजों को जमीन पर लगा दें उसके बाद दोनों घुटनों को फिर धीरे से अपनी छाती को जमीन पर लगाना है अंत में थुड़ी को गले पर लगाकर मस्तक को जमीन पर लगाएंगे लेकिन नाभि और नाक जमीन को स्पर्श न करें। हमारे शरीर के आठ अंग इसमें जमीन पर लगने चाहिए दो हमारे पैरों के पंजे, दो हमारे घुटने, दो हमारे हाथ, छाती और हमारा माथा। यह सूर्य नमस्कार का अंतिम चरण है इसके बाद हम आसनों का पुनरा वर्तन करेंगे जैसे हम गए थे उसी प्रकार वापस आएंगे
  • भुजंगासन – अष्टांग नमस्कार से धीरे-धीरे भुजंगासन आसन में आएंगे जैसे हम आसन में गए थे उसी प्रकार पहले का ललाट नाक थुड़ी गला और छाती को उठाते हुए भुजंगासन में आएंगे और हमारे छाती को फुलाएंगे। नितंबों को संकुचित करेंगे। कंधों को रोल करेंगे और गर्दन को रिलैक्स रखेंगे।
  • पर्वतासन – भुजंगासन से वापस पर्वतासन में आएंगे। पर्वतासन के लिए हम अपने नितंबों को ऊपर छत की तरफ तानेंगे। कमर से ऊपर वाले भाग का भार हाथों की तरफ और एड़ी को जमीन से लगाने का प्रयास करेंगे। छाती से ऊपर के हिस्से को हम नीचे खींचने का प्रयास करेंगे और कमर के निचले हिस्से को हम ऊपर की तरफ खींचने का प्रयास करेंगे।
  • अश्व संचालन – पर्वतासन के बाद हम अश्वसंचालन आसन में जाने के लिए बाय पैर को हाथों के बीच में लाकर रखेंगे। नितंब को नीचे की तरफ दबाने का प्रयास करें। छाती को फुलाने का प्रयास करेंगे और हमारी दृष्टि ऊपर की तरफ रहेगी।
  • उत्तानासन / पाद हस्तासन – अश्व संचालन से हम उत्तानासन लिए अपने दाहिने पैर को उठाकर हाथों के बीच में बाएं पैर के पास लाकर रख देंगे। अपनी क्षमता के अनुसार हम स्वांस को बाहर निकलते हुए आगे झुकने का प्रयास करेंगे।
  • ऊर्ध्व नमस्कार आसन – उत्तानासन से हम ऊर्ध्वनमस्कार आसन के लिए दोनों हाथों को नमस्कार मुद्रा में लाते हुए हाथों को खींचते हुए ऊपर की तरफ धीरे-धीरे श्वास भरते हुए उठाएंगे। ध्यान रखें हमारे हाथ हमारे कानों से लगे हुए होने चाहिए। हमारे चेहरे पर मुस्कुराहट के भाव होने चाहिए। जितना हम हाथों को ऊपर तान सकते हैं हमें तानना है।
  • नमस्कार आसन -उत्तानासन से हम धीरे-धीरे नमस्कार आसन के लिए हाथों को नीचे लाना है। हमारे हाथ छाती के सामने आ जाएंगे नमस्कार मुद्रा में।

इसी प्रकार जब हम दो बार दोहराते हैं तो हमारा एक सूर्य नमस्कार पूरा होता है। मतलब पहले दाहिने पैर पीछे जाएगा अश्व संचालन के लिए और दूसरी बार में बाया पैर पीछे जाएगा इस प्रकार से सूर्य नमस्कार का एक चक्र पूरा होगा नमस्कार का राउंड पूरा होने के बाद सूर्य की किरणों और लालिमा को अपने तन और मन में महसूस करते हुए हम शवासन में लेट जाएंगे।

शवासन में हमारे पैरों के बीच में एक से डेढ़ फीट का फैसला होना चाहिए। हमारे एड़िया अंदर की तरफ पंजे बाहर की तरफ होने चाहिए। हाथ हमारे बगल में हथेलियां ऊपर की तरफ आधी खुली हुई होनी चाहिए। हमारा पूरा शरीर विश्राम की अवस्था में होना चाहिए। डेढ़ से 2 मिनट तक इसी अवस्था में रहने पर अपने शरीर में विश्राम महसूस होता है। अब धीरे से बगल से करवट लेते हुए बैठ जाए।

ध्यान रखने योग्य बातें:

  • जब जब हम हाथों को नमस्कार मुद्रा से ऊर्ध्व नमस्कार की तरफ ले जाते हैं तो हाथों की उंगलियों को मोड़ना नहीं है और उंगलियां हमारी नासिक को स्पर्श करते हुए ऊपर की तरफ जाएं।
  • जब हम उत्तानासन में जाएं तो हमें नितंबों से मुड़ते हुए नीचे जाना चाहिए। हमारी कमर इसमें सीधी रहनी चाहिए। जब हम पर्वत आसन करते हैं तो हमारा घुटना कभी भी हमारे पंजे से आगे नहीं जाना चाहिए। जब हम पर्वत आसान करते हैं तो हमारा घुटना नहीं मुड़ना चाहिए। भुजंगासन में हमारा पंजा सीधा रहना चाहिए और छाती फूली हुई रहनी चाहिए। अष्टांग नमस्कार में हमारे नाभि और नाक जमीन को स्पर्श न करें।
  • जिनको चक्कर आते हैं, जिनका हाई ब्लड प्रेशर है, जिनकी कमर में दर्द है, जिनके घुटनों में दर्द है और गर्दन में दर्द है उनको सूर्य नमस्कार नहीं करना चाहिए।
  • सूर्य नमस्कार को ज्यादा करना आवश्यक नहीं है लेकिन सही ढंग से करना आवश्यक है। अगर हम सूर्य नमस्कार को सही ढंग से करते हैं तो हमें 10 से 12 मिनट लगते हैं। प्रत्येक आसन में कम से कम 15 से 20 सेकंड रुकना चाहिए तभी जाकर उसका बेहतर फायदा हमें मिलता है।
  • सूर्य नमस्कार के क्रम में एक, तीन, पाँच, सात, नौ, ग्यारह में श्वास लेने का प्रयास करना चाहिए और दो, चार, छः, आठ, दस, बारह में श्वास निकालने में ज्यादा ध्यान देना चाहिए।

सूर्य नमस्कार के लाभ:

  1. सूर्य नमस्कार से सिर के चोटी से लेकर पैरों के पंजे तक सारे शरीर का व्यायाम हो जाता है जैसे हृदय, यकृत, आँत, पेट, छाती, गला, पैर इत्यादि
  2. शरीर के सभी अंगो के लिए बहुत ही लाभदायक हैं।
  3. सूर्य नमस्कार सिर से लेकर पैर तक शरीर के सभी अंगो को बहुत लाभान्वित करता है
  4. सूर्य नमस्कार के नियमित अभ्यास से शरीर, मन और आत्मा का विकास होता हैं।
  5. पृथ्वी पर सूर्य के बिना जीवन संभव नहीं है इसीलिए यहां हमारे जीवन का बहुत ही विशेष अंग है इसलिए हम इन्हें भगवान कहते हैं।
  6. सूर्य नमस्कार के शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक और मनोवैज्ञानिक कई लाभ है
  7. हमारे शरीर की मांसपेशियां मजबूत और लचीली होती हैं

अगर सही तरीके से करें तो सूर्य नमस्कार हमारे शरीर की रोम रोम को आनंद से भर देता है।

सावधानियां:

  • माहवारी (मेंस्ट्रुअल साइकिल) के दौरान नहीं करना चाहिए
  • घुटनों में और कमर में ज्यादा दर्द हो तो भी नहीं करना चाहिए
  • हृदय से संबंधित समस्या वाली लोगों को इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए
  • गर्भावस्था के दौरान इसे नहीं करना चाहिए
  • जल्दी-जल्दी हड़बड़ी में नहीं करना चाहिए

आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद। आप सभी को हमारा मुस्कुराता हुआ नमस्कार।

अधिक जानकारी के लिए : www.dhakaram.com

योगाचार्य ढाका राम
संस्थापक, योगा पीस संस्थान

आंखों से संबंधित समस्याओं को कैसे दूर रखें: नेत्र शक्ति विकासक क्रिया

नमस्कार मित्रों आप सभी को हमारा मुस्कुराता हुआ नमन! आज हम “एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर” कार्यक्रम में नेत्र शक्ति विकासक क्रिया के बारे में बात करेंगे।

आंखों की समस्याएं: एक बढ़ती चिंता

आजकल हम सभी मोबाइल फोन, कंप्यूटर और टीवी का अत्यधिक उपयोग करते हैं। जिसके कारण आंखों में सूखापन, कमजोरी और थकान जैसी समस्याएं आम हो गई हैं। इन समस्याओं से बचने और आंखों को स्वस्थ रखने के लिए हमें नेत्र शक्ति विकासक क्रिया का अभ्यास करना चाहिए।

नेत्र शक्ति विकासक क्रिया क्या है?

यह एक सरल योग क्रिया है जो आंखों की मांसपेशियों को मजबूत बनाती है, आंखों की रोशनी बढ़ाने में मदद करती है और आंखों से संबंधित समस्याओं को दूर रखती है।

नेत्र शक्ति विकासक क्रिया कैसे करें:

  1. जमीन पर, कुर्सी पर, सोफे पर या बेड पर सीधे बैठ जाएं।
  2. अपने दोनों हाथों को बगल में फैलाकर कंधे के बराबर मुष्टि बना लें। आपका अंगूठा ऊपर की तरफ होना चाहिए।
  3. तिरछी नजर से 10 से 15 सेकंड के लिए दाहिने हाथ के अंगूठे को देखें। अपनी गर्दन सीधी रखें।
  4. 10 से 15 सेकंड रुकने के बाद आंखों को बाईं ओर, बाएं हाथ के अंगूठे को देखें।
  5. धीरे-धीरे अपनी आंखों को दाईं ओर और बाईं ओर देखना शुरू करें।
  6. इस क्रिया को दोहराएं। नेत्र शक्ति विकासक क्रिया करते समय 15 सेकंड दाईं ओर और 15 सेकंड बाईं ओर देखना है। इस प्रकार आपको इसे 6 बार करना होगा (तीन बार दाहिनी ओर और तीन बार बाईं ओर)।
  7. नेत्र शक्ति विकासक क्रिया करने के बाद आंखें बंद करके आंखों की मांसपेशियों को आराम दें और उनमें आए बदलाव को महसूस करें।

नेत्र शक्ति विकासक क्रिया करते समय ध्यान रखने योग्य बातें:

  • अपनी गर्दन को सीधा रखें और तिरछी नजर से अंगूठे की तरफ देखें।
  • अपने हाथों को पूरी तरह से तना हुआ रखें।
  • अपने चेहरे पर मुस्कुराहट रखें और तनाव मुक्त रहें।
  • अपने कंधों को सामान्य रूप से रखें, उठे हुए नहीं।

नेत्र शक्ति विकासक क्रिया के लाभ:

  • आंखों की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है
  • आंखों की रोशनी बढ़ाने में मदद करता है
  • आंखों में सूखापन और कमजोरी को कम करता है
  • आंखों की थकान को दूर करता है
  • आंखों से संबंधित समस्याओं को दूर रखता है

अतिरिक्त सुझाव:

  • नहाते समय अपनी आंखों को पानी से धोएं।
  • अपनी आंखों को साफ रखने के लिए ठंडे पानी से धोएं।
  • आंखों को स्वस्थ रखने के लिए आंवला और पपीता का सेवन करें।
  • आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए त्रिफला के पानी से आंखों को धो सकते हैं।

निष्कर्ष:

नेत्र शक्ति विकासक क्रिया एक सरल और प्रभावी क्रिया है जो आंखों को स्वस्थ रखने में मदद करती है। इसे नियमित रूप से करें और आंखों से संबंधित समस्याओं से मुक्ति पाएं।

धन्यवाद!

योगाचार्य ढाका राम
संस्थापक, योगापीस संस्थान

टखना और घुटने के दर्द के लिए गुल्फ चक्र क्रिया

नमस्कार दोस्तों! एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर कार्यक्रम में आपका स्वागत है। आज हम बात करेंगे गुल्फ चक्र के बारे में।गुल्फ का मतलब होता है टखना और चक्र का मतलब होता है गोलाकार घूमना। यह एक योग क्रिया है जो टखनों, पिंडलियों, घुटनों और जांघों को मजबूत और लचीला बनाने में मदद करती है। यह टखना और घुटने के दर्द को दूर करने के लिए भी बहुत फायदेमंद है।

कैसे करें :

सबसे पहले नीचे बैठ जाएं और पैरों को दंडासन की स्थिति में सामने फैलाएं। पैरों के बीच एक से डेढ़ फुट का फासला रखें। अपने हाथों को अपनी कमर के पीछे जमीन पर लगाएं और छाती को फूला हुआ रखें।

अब अपने पैरों के टखनों को गोलाकार घुमाएं। इसके लिए अपने बाएं पैर के पंजे से दाएं पैर की एड़ी को और दाएं पैर के पंजे से बाएं पैर की एड़ी को छूने का प्रयास करें। इस प्रकार कम से कम तीन बार करे और एक चक्र में कम से कम 15 से 20 सेकंड लगना चाहिए जितनी बार दाएं ओर टखनों को हमने घड़ी की दिशा में घुमाया है उतनी बार हम घड़ी की विपरीत दिशा में पैरों को गोलाकार घुमाएंगे। पैरों को घुमाते हुए एड़ी टखनों पिंडलियों और घुटनों के साथ जांघो में होने वाले खिंचाव का अवलोकन करें और अपने पैरों को विश्राम की अवस्था में ले आएं। जब आप विश्राम करें गुल्फ चक्र करने से पहले और करने के बाद की परिवर्तन को महसूस करें।

गुल्फ चक्र के लाभ:

  • टखनों, पिंडलियों, घुटनों और जांघों को मजबूत और लचीला बनाता है।
  • टखना और घुटने के दर्द को दूर करता है।
  • रक्त संचार में सुधार करता है।

गुल्फ चक्र के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें:

  • गुल्फ चक्र को धीरे-धीरे करें। जल्दी-जल्दी करने से इसका प्रभाव कम हो जाएगा।
  • दोनों पैरों के बीच एक से डेढ़ फुट का फासला अवश्य रखें। इससे पैरों पर पूरा खिंचाव आएगा।
  • आंखें बंद करके चेहरे पर मुस्कुराहट रखते हुए सहज भाव से क्रिया करें।
  • क्रिया करने के बाद शरीर को ढीला छोड़ दें।

प्रतिदिन कितनी बार करें गुल्फ चक्र:

जिन लोगों को टखनों, पिंडलियों, घुटनों या जांघों में दर्द है उन्हें दिन में तीन बार गुल्फ चक्र करना चाहिए। इसे सुबह, दोपहर और शाम में कर सकते हैं।

निष्कर्ष:

गुल्फ चक्र एक सरल लेकिन प्रभावी योग क्रिया है जो टखनों, पिंडलियों, घुटनों और जांघों के स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है। नियमित रूप से गुल्फ चक्र करने से आप इन क्षेत्रों में होने वाली समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं। और खास बात इसकी यह है आप अपने बिस्तर के ऊपर भी कर सकते हैं लेकिन बिस्तर स्पंजी नहीं होना चाहिए ना बहुत नरम और ना बहुत कठोर होना चाहिए

इसी के साथ आप सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद और आप सभी को हमारा मुस्कुराता हुआ नमन। अन्य जानकारी के लिए क्लिक करें www.DhakaRam.com

योगाचार्य ढाकाराम
संस्थापक, योगापीस संस्थान

सही प्रकार से कैसे बैठें: सुखासन 

नमस्ते दोस्तों! आज हम बात करेंगे कि हमें सही तरीके से कैसे बैठना चाहिए। आलथी-पालथी मारकर बैठना एक बहुत ही सरल तरीका है जिसे योग की भाषा में सुखासन कहते हैं। अगर हम गलत तरीके से बैठते हैं तो हमारे कमर, घुटने, पिंडलियों और टखनों में भी दर्द हो सकता है। आज हम यहां पर चर्चा करेंगे कि आप आलथी-पालथी लगाकर सुखासन में सही तरीके से कैसे बैठे।

गलत तरीके से बैठने के नुकसान:

जब हम गलत तरीके से बैठते हैं तो हमारा शरीर का वजन एक तरफ झुक जाता है। इससे हमारे शरीर में संतुलन बिगड़ जाता है और हमारे कमर, घुटने और पिंडलियों में दर्द हो सकता है। इसके अलावा, गलत तरीके से बैठने से हमारे पेट आगे की तरफ निकल जाता है और हमारी छाती दब जाती हैं और फेफड़े भी संकुचित होकर प्रॉपर मात्रा में ऑक्सीजन फेफड़े में नहीं जाता है।

सही तरीके से बैठने के फायदे:

सही तरीके से बैठने से हमारे शरीर में संतुलन बना रहता है और हमारे कमर, घुटने और पिंडलियों में दर्द होने की संभावना कम हो जाती है। इसके अलावा, सही तरीके से बैठने से हमारा पेट अंदर की तरफ होता है और हमारी छाती बाहर की तरफ निकलती है। इससे हमें सांस लेने में आसानी होती है क्योंकि ऑक्सीजन की मात्रा हमारे फेफड़ों में सही प्रकार से जाती हैं और हमारा मन शांत रहता है।

सही तरीके से आलथी-पालथी में कैसे बैठें:

  1. सबसे पहले एक समतल सतह पैरों को फैलाकर दंडासन में बैठे हैं उसके बाद दाहिने पैर को मोड़कर दाहिने पैर की एड़ी और तलवे को बाई जँघा के नीचे रख देवें।
  2. उसके बाद बाएं पैर को मोड़कर बाएं पैर की एड़ी और तलवे को दाहिने जँघा के नीचे रख कर बैठ जाएं।
  3. अब, अपने दाहिने नितंब को हथेली से सहारा देकर दाहिनी तरफ खींचें।
  4. इसी तरह, अपने बाएं नितंब को बाई हथेली से सहारा देकर बाएं तरफ खींचें।
  5. अपने कंधे को रोल करके छाती को हनुमान जी की तरह फुला दें जिससे पेट अपने आप अंदर चला जाएगा। अपनी कमर एकदम को सीधी रखें लेकिन अकड़ नहीं।
  6. अब, लंबी गहरी सांस लें और अपने शरीर और मन को महसूस करें।

ध्यान रखने योग्य बातें:

  • जब आप बैठें तो आपका पेट अंदर की तरफ होना चाहिए, ना कि बाहर की तरफ फूला हुआ होना चाहिए।
  • आपकी कमर बिल्कुल सीधी होनी चाहिए।
  • आपके दोनों पैर एक दूसरे जंघा के नीचे होने चाहिए।

अन्य जानकारी:

  • अगर आप बैठे-बैठे थक जाते हैं तो आप दोनों पैरों को सामने फैला सकते हैं और जो पैर नीचे है उसे ऊपर और जो ऊपर है उसे नीचे करके बदल सकते हैं ताकि दोनों तारों का संतुलन बेहतर बने।
  • अगर आप आलथी-पालथी मारकर बैठते हैं तो आप जमीन से जुड़े रहते हैं।

निष्कर्ष:

सही तरीके से आलथी-पालथी मारकर बैठना एक बहुत ही स्वस्थ तरीका है। यह हमारे शरीर को कई तरह से लाभ पहुंचाता है। इसलिए, आज से ही सही तरीके से आलथी-पालथी मारकर सुखासन में बैठना शुरू करें।

  • आलथी-पालथी मारकर बैठने से हमारे शरीर के सभी अंगों को आराम मिलता है।
  • इससे हमारे शरीर में रक्त का संचार बेहतर होता है।
  • इससे हमारे पाचन तंत्र को भी लाभ मिलता है।

उपयोगी टिप्स:

  • अगर आपको आलथी-पालथी मारकर बैठने में परेशानी हो रही है तो आप धीरे-धीरे शुरू करें।
  • शुरुआत में आप थोड़ी देर बैठें और फिर धीरे-धीरे बैठने का समय बढ़ाएं।

आप सभी का दिन मंगलमय हो, आनंदमय हो। इसी के साथ आप सभी से विदा लेते हैं। आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद।

ऊर्जा और शक्ति प्रदान करने वाला आसन: ताड़ासन

प्यारे मित्रों, आपने देखा होगा जब हम सोकर उठते हैं तो हम अंगड़ाई लेते हैं। अंगड़ाई लेने से हमें हमारे अंदर से सुस्ती गायब हो जाती है हम ऊर्जावान हो जाते हैं। अंगड़ाई हम 8 से 10 सेकंड लेते हैं। तो सोच कर देखिए 8 से 10 सेकंड अंगड़ाई लेने से अगर हमारे अंदर की सुस्ती गायब हो जाती है तो 1 मिनट का ताड़ासन कर लेने से हमारे अंदर कितनी ऊर्जा का संचार होगा।

ताड़ासन एक सरल लेकिन शक्तिशाली योगासन है जो शरीर और मन को ऊर्जा और शक्ति प्रदान करता है। यह आसन पैरों, मेरुदंड (रीढ़ की हड्डी), पेट और छाती के लिए फायदेमंद है। ताड़ासन करने से शरीर और मन को आलस्य रहित और तरोताजा महसूस होता है।

ताड़ासन के लिए हमें कम से कम 3 मिनट का समय देना होगा। जब हम आसन में जाते हैं तो कम से कम हमें 30 सेकंड्स का समय लगता है और आसान से वापस आने में भी हमें 30 सेकंड का समय लगता है। हम 1 मिनट का आसान करते हैं और 1 मिनट का समय हमें अवलोकन में लगता है। इस प्रकार हमें ताड़ासन को कम से कम 3 मिनट का समय देना चाहिए। यह आसान हमारे पैरों के लिए, रीड की हड्डी के लिए, पेट और छाती की समस्याओं के लिए लाभदायक है। यहां तक की कोहनी कलाई और उंगलियों के जोड़ों (अर्थराइटिस) के लिए बहुत फायदेमंद है।

ताड़ासन हमारे सिर की चोटी से लेकर पैरों के पंजों तक के सारे शरीर को ऊर्जावान बनाने में मदद करता है। कूल्हों को संकुचित करने से हमारे सेक्रम,कोक्सीक्स और लम्बर के दर्द में राहत मिलता है। पेट को अंदर पिचका कर रखने से हमारे पेट के अंदरूनी अंगों की मसाज होती है। छाती को जब हम फुला कर रखते हैं तो यह हमारे फेफड़ों और हृदय के लिए बहुत अच्छा है। कंधों को खींचने से कंधों और गर्दन के लिए कोहनी को खिंचने से कोहनी और कलाई और उंगलियों में स्ट्रेच देने से अर्थराइटिस जैसे समस्याओं में बहुत फायदेमंद है आसन में हमें ध्यान रखना है कि हमारी आंखें बंद रहे सारा ध्यान हमारे श्वास और हमारे आसन पर रहे। तो प्यारे मित्रों हमें इस आसन को 3 मिनट का समय सुबह देना है और 3 मिनट का समय शाम में देना है। इस आसन को हम कहीं भी कर सकते हैं और कभी भी कर सकती हैं। अपने आप को तरोताजा रखने के लिए आप इस आसन को रोजाना अवश्य करें।

ताड़ासन का अर्थ:

ताड़ासन का अर्थ है “ताड़ के पेड़ की तरह खड़े होना”। यह आसन ताड़ के पेड़ की तरह मजबूत और स्थिर होने का प्रतीक है।

ताड़ासन कैसे करें:

  1. सीधे खड़े हो जाएं, पैरों के बीच एड़ी से पंजों तक एक समान दूरी रखें।
  2. हाथों को जांघों पर रखें।
  3. धीरे-धीरे दोनों हाथों को ऊपर की ओर उठाएं, जब तक कि वे कंधों के बराबर न पहुंच जाएं।
  4. हाथों को कंधों से घुमाते हुए, हथेलियों को आकाश की ओर रखें।
  5. दोनों हाथों को खींचते हुए, छत को छूने की कोशिश करें।
  6. कूल्हों को संकुचित करें, पेट को अंदर पिचका कर रखें और छाती को फुला लें।
  7. सिर की चोटी से लेकर पैरों के पंजों तक शरीर को एक सीध में रखें।
  8. इस स्थिति में कम से कम 1 मिनट तक रहें।
  9. धीरे-धीरे हाथों को नीचे लाएं और पैरों को सामान्य स्थिति में लाएं।
  10. हाथों को पीछे रखें और दाहिने हाथ से बाएं हाथ की कलाई को पकड़ कर आराम से खड़े हो जाएं।
  11. पूरे शरीर को शिथिल करें।

ताड़ासन के लाभ:

  • शरीर को ऊर्जा और शक्ति प्रदान करता है।
  • पैरों, रीढ़ की हड्डी, पेट और छाती के लिए फायदेमंद है।
  • शरीर को आलस्य रहित और तरोताजा महसूस कराता है।
  • कूल्हों के दर्द को कम करता है।
  • पेट के अंगों की मालिश करता है।
  • फेफड़ों और हृदय के लिए अच्छा है।
  • कंधों और गर्दन के लिए फायदेमंद है।
  • कोहनी और कलाई के दर्द को कम करता है।

सावधानियां:

  • अगर आपके घुटनों में दर्द है अथवा कमजोरी है तो आप लेट कर सुप्त ताड़ासन कर सकते हैं।
  • अगर आपके कूल्हों में दर्द है, तो इस आसन को करते समय कूल्हों को क्षमता के अनुसार संकुचित करें।

निष्कर्ष:

ताड़ासन एक सरल लेकिन शक्तिशाली योगासन है जो शरीर को कई लाभ प्रदान करता है। यह आसन रोजाना करने से शरीर को ऊर्जावान और स्वस्थ रखा जा सकता है। ताड़ासन दिन में कम से कम एक बार अवश्य करना ही चाहिए।

इसी के साथ आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद और आप सभी का दिन मंगलमय हो सुप्रीम पावर परमेश्वर की अनुकंपा हम सभी पर बनी रहे और इस खुशी को बांटने में आप हमारा सहयोग करें मतलब यह जन-जन तक पहुंचे।

हँसता हुआ ध्यान: एक आनंददायक और लाभकारी अभ्यास

आप सभी को हमारा मुस्कुराता हुआ नमस्कार। एक कदम स्वास्थ्य से आनंद की ओर कार्यक्रम में आप सभी का स्वागत है।

आज हम सभी बिंदास होकर हँसता हुआ ध्यान करेंगे। आप सोचेंगे कि हम क्यों हँसे और हँसता हुआ ध्यान कैसे करेंगे लेकिन हँसने का कोई कारण नहीं होता है। आप लोगों को याद होगा कि हमने पिछली बार “हँसी के बिना जीवन नहीं” लेख लिखा था जिसमें हँसने के बारे में बताया था। हमने कहा था कि हमारे जैसा कोई नहीं इसलिए हम सब हँसेंगे क्योंकि हम यूनिक है और परमपिता परमेश्वर ने किसी भी मनुष्य या किसी भी जीव जंतु को रिपीट नहीं किया है। इस दुनिया में हमारे जैसे हम इकलौते ही हैं। लेकिन आज हम आपको हँसने के लिए एक दूसरी चाबी देंगे मतलब वजह देंगे क्योंकि जब आप बेवजह हँसते हैं तो आपकी आजू-बाजू वाले बोल ही देते हैं क्यों हँस रहे हो भाई पागलों की तरह। इसीलिए पिछली बार हमने वजह दिया था हमारे जैसा कोई नहीं और इस बार दूसरी वजह दे रहे हैं आप लोगों के पास हँसने के लिए।

अब आपके पास 2 वजह हो जाएगी और इस तरह की वजह आने वाली एपिसोड में देते रहेंगे । आज आप दुनिया के सबसे अमीर आदमी बनने वाले हैं। हर कोई कहता है कि मेरे पास यह नहीं है मेरे पास वह नहीं है लेकिन आज आप अपने मुंह से ही कहेंगे कि मेरे जैसा अमीर इस दुनिया में कोई नहीं है। आप आज इसलिए हँसेंगे क्योंकि आपके जैसा अमीर आदमी और इस दुनिया में कोई नहीं है। अब आप जरा दिल और दिमाग से सोचिए अगर इस दुनिया का सबसे अमीर आदमी आकर आपके दोनों गुर्दे मांगे और बोले कि मैं अपनी सारी संपत्ति आपके नाम कर दूंगा तो क्या आप उन्हे अपने दोनों गुर्दे देंगे? नहीं देंगे। तो सोचिए भगवान ने आपको आपके शरीर की कितनी सारी बहुमूल्य चीज दे रखी हैं। भगवान ने आपको दो गुर्दे दे रखे हैं और दो-दो आंखें दे रखी हैं अगर कोई सारी संपत्ति तुम्हारा नाम कर दूंगा अपने दोनों आंखें हमें दे दो क्या हम अपने दोनों आंखें देंगे बिल्कुल भी नहीं देंगे। तो सोचिए आप कितने भाग्यशाली हैं कि आपको यह सारी चीज मिली हुई है। आज से हम यह सोच कर हँसेंगे कि भगवान ने हमें इतना भाग्यशाली बनाया है। तो जोर से हँसेंगे। तो इतना हँसो की आपके पड़ोसी को भी पता लग जाए कि आप हँस रहे हैं। अपनी आंखें बंद करें और हँसते रहे और शरीर का रोम रोम हँस रहा है ऐसा महसूस करेंगे। भगवान को धन्यवाद दें कि उन्होंने आपको दो बहुमूल्य आंखें दी हैं और आंखों और गुर्दे जैसे कितने ही बहुमूल्य चीज हमारे शरीर में है। इसलिए दिल खोलकर हँसो इतना हँसेंगे की आपका पेट दर्द होने लग जाए आपके गालों में दर्द होने लग जाए। अपने आप पर हँसना है और दिल से हँसना है। योग का मतलब ही है अपने स्वयं पर हँसना हैं। आज हम हँस रहे हैं क्योंकि हमारे पास दो आंखें हैं और इन आंखों के बिना दुनिया कुछ भी नहीं है। लोग दूसरों पर हँसते हैं लेकिन हमें अपने आप पर हँसना है। खो जाना है अपने आप में। धन्यवाद दे परमपिता परमेश्वर को की उन्होंने हमें गुर्दे और आंखें और बहुत सारी मूल्यवान चीज हमारे शरीर में प्रदान की है। हमारे शरीर में भगवान ने सैकड़ो ऐसी चीज दे रखी हैं जिनका कोई मुकाबला नहीं। इसलिए आत्म विश्लेषण बहुत जरूरी है। अपने आप में खो जाए। अपने आप का अवलोकन करे। जब भी आप उदास हो आप अपने आप को देखें। अपने बेशकीमती शरीर को देखें और खूब हँसे और हँसता हुआ ध्यान करें उनकी अनुकंपा हम पर बरस रही है उसे महसूस करें।

हँसता हुआ ध्यान कैसे करें?

  • हँसता हुआ ध्यान करने के लिए, सबसे पहले एक आरामदायक स्थिति में बैठ जाएं जैसे आलती पालती मार कर बैठना मतलब सुखासन में अर्ध पद्मासन पद्मासन या कुर्सी या सोफे के ऊपर कुल मिलाकर आरामदायक स्थिति में और अपने हाथों को अपने घुटनों पर रखें। अपनी आँखें बंद करें और अपने शरीर को आराम दें।
  • अब, अपने होंठों को खोलें और हँसने की आवाज निकालें। शुरू में, यह नकली हँसी की तरह लग सकता है, लेकिन जैसे-जैसे आप अभ्यास करते हैं, यह अधिक स्वाभाविक हो जाएगा।
  • अपनी हँसी को अपने पूरे शरीर में फैलने दें। अपने चेहरे, गर्दन, छाती और पेट को हिलाएं। अपनी हँसी को दिल से आने दें।
  • 10-15 मिनट तक हँसते रहें। उसके बाद अपनी आँखें खोलें और सामान्य स्थिति में लौटें।

लाभ:

  • मनोवैज्ञानिक लाभ: हंसता हुआ ध्यान तनाव, चिंता और अवसाद को कम करने में मदद कर सकता है। यह आत्म-सम्मान और आत्म-प्रेम को बढ़ावा देने में भी मदद कर सकता है।
  • शारीरिक लाभ: हंसता हुआ ध्यान रक्तचाप को कम करने, प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने और दर्द को कम करने में मदद कर सकता है।

हँसता हुआ ध्यान के लिए कुछ सुझाव:

  • अपने आप पर हँसें: हँसता हुआ ध्यान का सबसे अच्छा तरीका अपने आप पर हँसना है। अपने शरीर की विविधताओं और अपूर्णताओं को स्वीकार करें और उन पर हँसें।
  • अपनी हँसी को स्वाभाविक होने दें: शुरू में, आपकी हँसी नकली लग सकती है, लेकिन जैसे-जैसे आप अभ्यास करते हैं, यह अधिक स्वाभाविक हो जाएगी। अपनी हँसी को रोकने की कोशिश न करें, बस इसे बहने दें।
  • नियमित रूप से अभ्यास करें: हँसता हुआ ध्यान का अधिकतम लाभ उठाने के लिए, नियमित रूप से इसका अभ्यास करें।

तो प्यारे मित्रों हँसते मुस्कुराते रहो। दूसरों पर हँसने की बजाय हमेशा अपने ऊपर हँसिए। हँसने को अपनी जिंदगी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाये किसी भी हालत में अपनी खुशी के साथ कंप्रोमाइज नहीं करें क्योंकि अगले ही क्षण का हमें पता नहीं है। इसी के साथ आप सभी का जीवन हँसता खेलता आनंद में हो ।